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केरल में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू नहीं होगा: पिनाराई विजयन 

“यह धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकता को परिभाषित करने जैसा कदम है। इससे मानवता, देश की धर्मनिरपेक्ष परंपरा और इसके लोगों के सामने एक खुली चुनौती पेश हो गई है।”
Vijayan
फाइल फोटो, साभार : सोशल मीडिया एक्स

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक बयान जारी कर कहा है कि, नागरिकता संशोधन अधिनियम में सीएए लागू नहीं होगा।” बयान में आगे कहा गया है कि, “आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार की नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों की अधिसूचना का मक़सद देश को परेशानी में डालना है। लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले गृह मंत्रालय ने सीएए को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है और जिसका मक़सद लोगों में दरार डालना, सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काना और संविधान के मूल सिद्धांतों को कमजोर करना है।” 

विजयन ने कहा कि, “समान अधिकार हासिल करने वाले भारत के सभी नागरिकों को लोगों में दरार डालने वाले इस कदम का एकजुट होकर विरोध करना चाहिए।”

विजयन के मुताबिक, “इस कदम को केवल संघ परिवार के हिंदुत्व सांप्रदायिक एजेंडे के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए। इसका मक़सद, 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़गानिस्तान से भारत में आकर बसे गैर-मुसलमानों को नागरिकता देना, जबकि मुसलमानों को नागरिकता देने से इनकार करना है जो संविधान का खुला उल्लंघन है।”

उनके मुताबिक, “यह धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकता को परिभाषित करने जैसा कदम है। इससे मानवता, देश की धर्मनिरपेक्ष परंपरा और इसके लोगों के सामने एक खुली चुनौती पेश हो गई है।”

बयान में आगे कहा गया है कि, “यह केरल की पहली विधानसभा थी जिसने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था और घोषणा की थी कि केरल राज्य में एनपीआर को किसी भी कीमत पर लागू नहीं किया जाएगा।” सनद रहे कि, सीएए की असंवैधानिकता का हवाला देते हुए केरल सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया था और जनलामबंदी के लिए मंजेश्वर से परसाला तक मानव श्रृंखला का आयोजन किया था। बयान के मुताबिक, संघ परिवार इस बात पर ज़ोर देना चाह रहा है कि वह लोगों के विरोध और आलोचनाओं को नज़रअंदाज़ करते हुए अपना सांप्रदायिक एजेंडा लागू करेगा।”

बयान में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि, एलडीएफ सरकार इस बात को फिर से दोहराती है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, जो मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है, उसे केरल में लागू नहीं किया जाएगा। हम अपने उसी स्टैंड को यहां फिर से दोहराते हैं। बयान के आखिर में कह गया है कि, “केरल इस सांप्रदायिक और विभाजनकारी कानून के विरोध में एकजुट होगा।”

(महेश कुमार स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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