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दिल्ली MCD में घमासान: बीजेपी और आप में टकराव, मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव टले

सदन के शुरू होने से पहले ही दोनों दलों के बीच तल्ख़ तेवर दिख रहे थे। बुधवार से ही 10 मनोनीत पार्षदों को लेकर बीजेपी और आप में ठनी हुई थी।
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

शुक्रवार, 6 जनवरी को दिल्ली नगर निगम में मेयर का चुनाव होना था लेकिन वहाँ जो घटना हुई वो लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली थी। हालांकि आशंका पहले से ही जताई जा रही थी क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बहुमत न होने के बाद भी जिस तरह से मेयर चुनाव में प्रत्याशी उतारा और उपराज्यपाल की मदद से अपने कार्यकर्ताओं को पार्षद के लिए नॉमिनेट कराया और इसके साथ ही पीठासीन अधिकारी भी अपने ही पार्षद को बनवाया उसके बाद से ये लग रहा था कि ये चुनाव इतना आसान होने नही जा रहा हैं क्योंकि बीजेपी ने उन जगहों पर भी सत्ता हासिल की है जहां उसे विपक्ष मे बैठने का जनादेश मिल था। हालिया उदाहरण चंडीगढ़ का है जहां उसके पास संख्या बल नहीं था फिर भी उसने अपना मेयर बना लिया था।

दिल्ली में भी कई बार बीजेपी के नेताओं ने इस बात का आंशिक संदेश दिया था कि वो निगम में मेयर बना लेंगे। हालांकि दिल्ली मे आम आदमी पार्टी (आप) भी तैयार थी, वो लगातार बीजेपी के हथकंडों पर नज़र बनाए हुए थे और उनको लेकर आक्रामक भी थी।

खैर अब समझते हैं शुक्रवार को हुआ क्या और मेयर चुनाव का गणित क्या है?

सदन में क्या हुआ?

छह जनवरी को दिल्ली को अपना मेयर और डिप्टी मेयर मिलना था लेकिन अब उसके लिए कुछ और इंतज़ार करना होगा। क्योंकि जबरदस्त हंगामे के चलते शुक्रवार को बिना किसी कार्य के सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया जिसकी वजह से मेयर का चुनाव टल गया और अब सबको अगली तारीख का इंतजार हैं। ये बैठक मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए बुलाई गई थी। साथ ही पार्षदों के शपथ लेने के बाद यह चुनाव होना था।

सदन के शुरू होने से पहले ही दोनों दलों के बीच तल्ख तेवर दिख रहे थे। बुधवार से ही 10 मनोनीत पार्षदों को लेकर बीजेपी और आप में ठनी हुई थी।

उपराज्यपाल ने MCD में 10 पार्षद मनोनीत किए हैं। मनोनीत पार्षदों को एल्डरमैन भी कहा जाता है। एल्डरमैन अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं। आप ने मनोनीत पार्षदों को बीजेपी का कार्यकर्ता बताते हुए पहले तो उनके मनोनीत होने को ही गलत बताया। आप का कहना है कि ये एमसीडी के काम को रोकने की एक कोशिश है। ये एल्डरमैन समितियों के कामकाज में बाधा डालेंगे।

खैर शुक्रवार को सिविक सेंटर में जब सदन शुरू हुआ तो पीठासीन पदाधिकारी के फैसले को लेकर दोनों दल पक्ष और विपक्ष में आमने-सामने आ गए। सदन की बैठक में पीठासीन अधिकारी (प्रोटेम स्पीकर) और बीजेपी पार्षद सत्या शर्मा के शपथ लेने के बाद हंगामा शुरू हो गया।

जैसे ही शर्मा ने ‘एल्डरमैन’ मनोज कुमार को शपथ लेने के लिए बुलाया, ‘आप’ पार्षदों और विधायकों ने इसका विरोध किया और भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगाते हुए आसन के सामने आ गए। उन्होंने ‘भाजपा की गुंडागर्दी नहीं चलेगी’ जैसे नारे भी लगाए।

भाजपा पार्षदों ने पलटवार करते हुए ‘आप’ और उसके राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल के खिलाफ नारेबाज़ी की। दोनों दलों के पार्षद एक-दूसरे के साथ धक्का-मुक्की करते नज़र आए।

हंगामे के बीच, सदन की कार्यवाही को एक घंटे से अधिक समय के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद भी स्थिति हंगामे वाली बनी रही। इसके कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा जो बीजेपी की पार्षद हैं उन्होंने सबसे पहले मनोनीत पार्षदों की शपथ करवाने की घोषणा की जिसपर निगम मे सबसे वरिष्ठ पार्षद और आप नेता मुकेश गोयल ने आपत्ति जताई कि सबसे पहली निर्वाचित सदस्यों की शपथ करवानी चाहिए मनोनीत सदस्यों की नहीं। इस बात को लेकर हंगामा इतना बढ़ गया कि मामला गाली-गलौज से शुरू हुआ और मारपीट तक चला गया। ये सब तब हुआ जब सदन में देश के सभी स्तर की नेता मौजूद थे। लेकिन सब अपने-अपने पक्ष मे खड़े दिखे।

'आप' नेताओं और पार्षदों ने आरोप लगाया कि निर्वाचित पार्षदों से पहले ‘एल्डरमैन’ को शपथ दिलाने का निर्णय उन्हें मतदान का अधिकार दिलाने की भाजपा की ‘चाल’ थी। पार्टी ने पहले भी यह आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल ने विशेषज्ञों के बजाय बीजेपी के लोगों को ‘एल्डरमैन’ के रूप में नियुक्त किया है।

एमसीडी के अधिकारियों के मुताबिक, यह निगम के इतिहास में पहली बार हुआ है कि नवनिर्वाचित सदन अपनी पहली बैठक में महापौर और उपमहापौर का चुनाव कराने में विफल रहा।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, "संविधान का अनुच्छेद 243(आर) स्पष्ट रूप से मनोनीत सदस्यों को सदन में मतदान करने से रोकता है। उनसे सदन में मतदान कराने का प्रयास असंवैधानिक है।"

भाजपा सांसदों ने ‘आप’ पर पूर्व योजना के तहत सदन में हंगामा करने का आरोप लगाया। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी और मनोज तिवारी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में पश्चिम दिल्ली से लोकसभा सदस्य परवेश वर्मा ने कहा कि निर्वाचित और मनोनीत में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने कहा, "एमसीडी में मनोनीत सदस्यों को एल्डरमैन कहा जाता है। क्या यह संभव है कि एल्डरमैन के पास मतदान अधिकार नहीं हैं?"

आप और बीजेपी दोनों ने लगाए मारपीट के आरोप

बीजेपी ने आरोप लगाया कि पार्टी की दो महिला पार्षदों को ‘आप’ पार्षदों ने घेर लिया और उनपर हमला किया। सांसद मनोज तिवारी ने दावा किया कि बीजेपी पार्षद शरद कपूर के पैर में ‘फ्रैक्चर’ हुआ है। बीजेपी ने एमसीडी के सदन में उनके पार्षदों पर हुए हमले के मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

बीजेपी सांसदों ने आरोप लगाया कि सदन की बैठक के दौरान भाजपा के छह-सात पार्षद घायल हो गए। दिल्ली भाजपा मीडिया संपर्क प्रकोष्ठ के सह-प्रभारी विक्रम मित्तल ने कहा कि दो पार्षदों–शरद कपूर और कुसुमलता – की ‘मेडिको-लीगल केस’ (एमएलसी) रिपोर्ट प्राप्त हो गई है।

वही ‘आप’ नेताओं ने भी दावा किया कि उनके कई पार्षद घायल हुए हैं। आप विधायक आतिशी ने कहा, "हम अपने पार्षदों पर हमला करने के लिए बीजेपी पार्षदों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएंगे।” उन्होंने कहा कि घायल पार्षदों को इलाज के लिए लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल ले जाया गया है।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “ यह असंवैधानिक है और हमने सचिव से सदन की कार्यवाही स्थगित करने की मांग की। बीजेपी और उपराज्यपाल को खुश करने के लिए नियम नहीं तोड़ने चाहिए।”

आप पार्षद प्रवीण कुमार के हाथ में चोट आई है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा विधायकों ने सदन में उन पर हमला किया। कुमार ने कहा, "उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ दिए। यह एक जानलेवा हमला था। हम सिर्फ ‘एल्डरमैन’ को शपथ दिलाने का विरोध कर रहे थे। लेकिन उन्होंने हम पर हमला किया।"

‘आप’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ‘आप’ अपने पार्षदों पर हमलों के लिए प्राथमिकी दर्ज कराएगी।

पार्टी के विधायक भारद्वाज ने दावा किया कि मनोनीत सदस्य (एल्डरमैन) एमसीडी सदन में कभी मतदान नहीं करते हैं।

‘आप’ ने आरोप लगाया है कि हंगामे में उसके 13 पार्षदों को चोटें आई हैं।

उन्होंने आरोप लगाया, “न तो महापौर चुनाव में और न ही उप महापौर चुनाव में और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में भी वोट डालने की अनुमति नहीं है। बीजेपी गलत तरीकों से अपने वोटों की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रही है।”

क्या है मेयर चुनाव का गणित

एमसीडी में 250 निर्वाचित पार्षद शामिल हैं। दिल्ली में बीजेपी के सात लोकसभा सदस्य और ‘आप’ के तीन राज्यसभा सदस्य तथा दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा नामित 14 विधायक भी महापौर और उप महापौर पद के लिए होने वाले चुनाव में हिस्सा लेंगे। स्थायी समिति के छह सदस्य भी चुने जाएंगे।

‘आप’ को 250 सदस्यीय एमसीडी में स्पष्ट बहुमत हासिल है। ‘आप’ ने पिछले साल दिसंबर में हुए एमसीडी चुनाव में 134 वार्ड में जीत दर्ज कर एमसीडी में भाजपा के 15 साल पुराने शासन का अंत कर दिया था। भाजपा चुनाव में 104 वार्ड पर विजयी रही थी। बाद में, मुंडका के निर्दलीय पार्षद गजेंद्र दराल भाजपा में शामिल हो गए थे।

महापौर चुनावों में कुल वोट 274 हैं। संख्या बल ‘आप’ के पक्ष में है, जिसके पास 150 वोट हैं, जबकि भाजपा के पास 113 मत हैं। जबकि नौ पार्षदों वाली कांग्रेस ने मतदान में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है।

भाजपा की, महापौर और उप महापौर पद के चुनावों में जीत दर्ज करने की संभावना न के बराबर है, लेकिन वह महत्वपूर्ण स्थायी समिति के तीन पद हासिल करने की कोशिश करेगी।

स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं, जिनमें से 12 जोन से और छह सदन से चुने जाते हैं। दिल्ली नगर निगम मे इन समिति और जोनल कमेटी को महत्वपूर्ण शक्तियां हासिल है इसलिए बीजेपी और आप दोनों इसमे अधिक से अधिक अपने सदस्यों को जिताना चाहती हैं। यहाँ ध्यान देने की बात है कि इनके चुनाव में नामित दस सदस्य वोट डाल सकते हैं।

बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि महापौर और उप महापौर चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, क्योंकि एमसीडी में दल-बदल कानून लागू नहीं होता और चुनाव में ‘क्रॉस-वोटिंग’ भी संभव है। जिसपर ‘आप’ नेता दिलीप पांडेय ने आरोप लगाया कि भाजपा ‘गुंडागर्दी’ के ज़रिए निगम पर ‘नियंत्रण’ कर देश के संविधान और लोकतंत्र को ‘नष्ट’ कर रही है।

मेयर चुनाव से कांग्रेस ने क्यों किया किनारा?

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने बृहस्पतिवार को ही स्पष्ट कर दिया था कि कांग्रेस मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में आप या बीजेपी का समर्थन नहीं करेगी।

उन्होंने कहा, "दिल्लीवासियों ने उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाने के लिए कांग्रेस पार्षदों को चुना और उनके कल्याण के लिए काम करने के लिए उन्हें वोट दिया, न कि आप और भाजपा के एजेंडे को पूरा करने के लिए। हमारे पार्षद मतदान से पहले सदन से बहिर्गमन करेंगे।" उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस लोगों के हितों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ेगी।"

चौधरी ने कहा, "गुप्त मतदान के माध्यम से, कांग्रेस ने निगम में पार्टी के नेतृत्व के लिए तीन पार्षदों का चयन किया है। नाज़िया दानिश एमसीडी में पार्टी की नेता होंगी, शीतल उप नेता होंगी जबकि शगुफ्ता चौधरी मुख्य सचेतक होंगी।"

अब कब होगा मेयर का चुनाव?

पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने कहा कि एमसीडी के सदन में हंगामे की जानकारी नगर निगम सचिव भगवान सिंह और एमसीडी आयुक्त ज्ञानेश भारती ने उपराज्यपाल के दफ्तर को दे दी है और चार ‘एल्डरमैन’ द्वारा ली गई शपथ मान्य है।

उन्होंने कहा कि एमसीडी के सदन की बैठक की अगली तारीख उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा घोषित की जाएगी।

अधिकारियों के मुताबिक, इसमें कुछ दिन लग सकते हैं, क्योंकि पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए पूरी प्रक्रिया नए सिरे से अधिसूचना के ज़रिए दोहरानी होगी।

उन्होंने कहा कि ‘प्रोटेम स्पीकर’ एमसीडी के सदन की सिर्फ पहली बैठक के लिए थे।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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