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आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता, लोकसभा में विपक्षी दलों ने उठाए सवाल

दरअसल, कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है तथा पदोन्नति में आरक्षण का दावा कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
SC

दिल्ली : कांग्रेस, वाम और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने नियुक्तियों एवं पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सोमवार को लोकसभा में सवाल उठाया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह ‘संवेदनशील मामला’ है जिस पर सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत सरकार का पक्ष रखेंगे। 

सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और पार्टी के अन्य सदस्य इस मुद्दे को उठाने को कोशिश की। कांग्रेस सदस्यों ने संविधान खतरे में होने की टिप्पणी भी की। द्रमुक, माकपा और बसपा के सदस्यों ने भी अपने स्थान पर खड़े होकर इस मुद्दे पर अपनी बात रखने का प्रयास किया।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया, लेकिन विपक्षी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा।

इस पर बिरला ने कहा कि सदस्य इस विषय को शून्यकाल में उठाएं क्योंकि सदन ने ही प्रश्नकाल को सुचारू रूप से चलने देने की व्यवस्था तय की है।

कांग्रेस के किसी सदस्य के ‘संविधान खतरे में होने’ की टिप्पणी पर बिरला ने कहा कि ‘संविधान खतरे में नहीं हैं। आप संसद की गरिमा क्यों खतरे में डाल रहे हैं?’

इस दौरान सदन के उप नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश दिया है। यह संवेदशील मामला है। सामाजिक न्याय मंत्री इस पर वक्तव्य देंगे।

इसके बाद बिरला ने कहा कि सदस्य शून्यकाल के दौरान इस विषय को उठाएं जिस पर सरकार जवाब देगी। फिर उन्होंने प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया। 

बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद भवन स्थित कार्यालय में आज सुबह वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की। संसद सत्र के दौरान नियमित रूप से ऐसी बैठकें होती हैं लेकिन शीर्ष अदालत के फैसले की पृष्ठभूमि में यह बैठक महत्वपूर्ण है । 

आधिकारिक तौर पर इस बैठक को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है। 

दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकारें नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है तथा पदोन्नति में आरक्षण का दावा कोई मौलिक अधिकार नहीं है।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘‘इस न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के मद्देनजर इसमें कोई शक नहीं है कि राज्य सरकारें आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। ऐसा कोई मौलिक अधिकार नहीं है जिसके तहत कोई व्यक्ति पदोन्नति में आरक्षण का दावा करे।’’

उत्तराखंड सरकार के पांच सितम्बर 2012 के फैसले को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने यह टिप्पणी की।
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण उपलब्ध कराये बगैर सार्वजनिक सेवाओं में सभी पदों को भरे जाने का फैसला लिया था।

भाजपा और आरएसएस के डीएनए में है आरक्षण खत्म करना, हम ऐसा नहीं होने देंगे : राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नियुक्तियों और पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि आरक्षण को खत्म करने की मंशा रखना भाजपा एवं आरएसएस के डीएनए में है।

गांधी ने यह भी कहा कि भाजपा और आरएसस कितना भी प्रयास कर ले, लेकिन कांग्रेस एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को खत्म नहीं होने देगी।

उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ‘‘ये (सरकार) आरक्षण के खिलाफ है। ये किसी न किसी तरह से आरक्षण को संविधान से निकालना चाहते हैं। इनकी तरफ ऐसे प्रयास होते रहते हैं। ये चाहते हैं कि एससी-एसटी समुदाय आगे नहीं बढ़ें।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अब फैसला आया कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। यह सब उत्तराखंड की सरकार ने शीर्ष न्यायालय में कहा है। यह आरक्षण को निरस्त करने का भाजपा का तरीका है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा और आरएसएस वाले कितना भी प्रयास कर लें, लेकिन हम आरक्षण को हटने नहीं देंगे क्योंकि आरक्षण संविधान का एक तरह से प्रत्यक्ष हिस्सा है। ’’

गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया, ‘‘संविधान पर हमला हो रहा है। लोगों को बोलने नहीं दिया जाता। ये न्यायपालिका पर दबाव बनाते हैं। संविधान के स्ंतभों को एक-एक करके तोड़ रहे हैं।’’ 

उन्होंने दावा किया, ‘‘भाजपा और आरएसएस के डीएनए में है कि उनको आरक्षण चुभता है और वे इसे मिटाना चाहते हैं। मैं एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोगों से कहना चाहता हूं कि चाहे मोदी जी या मोहन भागवत सपना देखें, हम आरक्षण को मिटने नहीं देंगे।’’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भाजपा आरक्षण को खत्म करने की कोशिश में है।

प्रियंका ने ट्वीट किया, "भाजपा का आरक्षण खत्म करने का तरीका समझिए। आरएसएस वाले लगातार आरक्षण के खिलाफ बयान देते हैं।

उत्तराखंड की भाजपा सरकार उच्चतम न्यायालय में अपील डालती है कि आरक्षण के मौलिक अधिकार को खत्म किया जाए। उत्तर प्रदेश सरकार भी तुरंत आरक्षण के नियमों से छेड़छाड़ शुरू कर देती है।''

उन्होंने आरोप लगाया, "भाजपा ने पहले दलित आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ बने कानून को कमजोर करने की कोशिश की। अब संविधान और बाबासाहेब द्वारा दिए बराबरी के अधिकार को कमजोर कर रही है।"

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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