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कांग्रेस ने बेरोज़गारी के आंकड़ों को लेकर प्रधानमंत्री पर साधा निशाना

“CMIE के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में बेरोज़गारी दर अब 10 प्रतिशत से ऊपर है जो 2 वर्षों में सबसे अधिक है जबकि यह पहले ही पांच दशकों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी थी।”
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नयी दिल्ली: कांग्रेस ने बेरोज़गारी के मुद्दे को लेकर बृहस्पतिवार, 02 नवंबर को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव जयराम रमेश ने ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में बेरोज़गारी दर 10 प्रतिशत के पार चली गई है।

खरगे ने एक बयान में कहा, ‘‘देश में बेरोज़गारी दर 10 प्रतिशत के पार है। मंदी और महंगाई के बीच मोदी सरकार ने ऐसा 'बेरोज़गारी मेला' लगाया है जो करोड़ों युवाओं को दर-दर भटकने पर मजबूर कर रहा है। नरेंद्र मोदी जी, आप पीआर स्टंट करके, जो कुछ हज़ार “पहले से स्वीकृत’ पदों पर भर्ती पत्र बांटने का काम करते हैं वो उन युवाओं की उम्मीदों और ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने जैसा है जिन्हें सालों से नौकरियों का इंतज़ार है।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘आपकी (प्रधानमंत्री) ज़्यादतियों का ख़ामियाज़ा सबसे अधिक एससी, एसटी, ओबीसी व आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। कोविड के दौरान गई नौकरियों में से 90 लाख अच्छे वेतन वाली नौकरियां बिलकुल ग़ायब हो गई हैं।’’

खरगे के मुताबिक, ग्रामीण भारत का हाल बदहाल है तथा मनरेगा में 20 प्रतिशत मांग बढ़ गई है, जो ऐतिहासिक 10.8 प्रतिशत बेरोज़गारी दर से साफ़ दिखता है। उन्होंने कहा कि सरकार के आंकड़े खुद कहते हैं कि स्नातक की पढ़ाई करने वाले युवाओं में बेरोज़गारी दर 13.4 प्रतिशत है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारत का बढ़ता मोदी-निर्मित आर्थिक संकट नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है। CMIE के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में बेरोज़गारी दर अब 10 प्रतिशत से ऊपर है जो 2 वर्षों में सबसे अधिक है जबकि यह पहले ही पांच दशकों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी थी। ग्रामीण बेरोज़गारी अब 10.8 प्रतिशत है।’’

उनका कहना है कि ‘‘बेरोज़गारी का संकट गंभीर है यह मनरेगा के तहत काम की रिकॉर्ड मांग से और भी स्पष्ट हो गया है। मनरेगा करोड़ों भारतीयों के लिए रोज़गार का आख़िरी सहारा है। इसके तहत काम मांगने वालों की संख्या पिछले वर्ष से 20 प्रतिशत बढ़ गई है। काम की मांग करने वाले परिवारों की संख्या 2019 में कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में भी अधिक है।’’

रमेश ने दावा किया कि आंकड़ों से साफ़ होता है कि आर्थिक सुधार की सभी बातें पूरी तरह से सिर्फ़ दिखावा हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अक्टूबर 2023 में एक करोड़ भारतीयों ने श्रम बाज़ार में प्रवेश किया। इनमें से लाखों को काम नहीं मिल पाएगा। अभी पिछले हफ़्ते ही ख़बर आई थी कि सैकड़ों इंजीनियरों ने सरकारी चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन किया है। इंफोसिस और विप्रो ने कहा है कि वे इस साल कॉलेजों से प्लेसमेंट नहीं करेंगे। अधिकांश भारतीय, विशेष रूप से शिक्षित युवा, मोदी मेड आर्थिक संकट से पीड़ित हैं।’’

कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी की स्थायी विरासत रिकॉर्ड बेरोज़गारी है। इसलिए सरकार इस समस्या को छिपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाएगा, ध्यान भटकाने के प्रयास होंगे और लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की जाएगी। लेकिन भारत का युवा सच जानता है।’’

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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