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क्यों बिहार में कोरोना मरीज़ों को करना पड़ा हाइवे जाम, खानी पड़ी पुलिस की लाठियां?

व्यवस्था इतनी लचर कि बिहार में सड़क पर उतरना पड़ा कोरोना मरीज़ों को, संवेदना ऐसी कि समाधान के बदले पुलिस ने कर दिया लाठीचार्ज।
बिहार में कोरोना मरीज़ों को करना पड़ा हाइवे जाम

गुरुवार 2 जुलाई को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर में अजोबोगरीब दृश्य उत्पन्न हो गया। जिन कोरोना मरीज़ों को आम लोगों से आइसोलेट करके उनका बेहतर इलाज किया जाना था, वे सड़कों पर उतर कर हंगामा और प्रदर्शन कर रहे थे। वे आइसोलेशन सेंटर में बेहतर इलाज और अन्य सुविधाओं की मांग कर रहे थे। उन्होंने एनएच 30 को जाम कर दिया था। उन्हें किसी आम प्रदर्शनकारियों की तरह सड़कों पर प्रदर्शन करते देख आसपास के लोग सहम गये। संक्रमण के खतरे से बचने के लिए सड़क के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें खड़ी हो गयीं। इस भीड़ में बिहार राज्य के खनन एवं भूतत्व मंत्री भी फंस गये। इस अभूतपूर्व प्रदर्शन के बाद जहां प्रशासन को इन मरीज़ों की मांगें सुनकर उनका समाधान करना चाहिए था, बदले में स्थानीय पुलिस ने उनपर लाठियां चला दीं। इस लाठीचार्ज में कुछ महिला मरीज़ों के जख्मी होने की खबर है।

क्यों कोरोना मरीज़ों को सड़कों पर उतरना पड़ा

यह मामला बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर में बने कोरोना आइसोलेशन सेंटर का है, जिसे एएनएम सेंटर दुलौर में बनाया गया है। वहां कोरोना संक्रमित 60 मरीज़ भर्ती थे। ये मरीज़ पिछले तीन-चार दिनों से वहां की बदतर व्यवस्था को लेकर आक्रोशित थे। उनका कहना था कि आइसोलेशन सेंटर में साफ-सफाई का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जा रहा, समय पर और ढंग का भोजन उपलब्ध नहीं किया जाता, एक तरह से उन्हें कैदियों की तरह लाकर रख दिया गया है। वहां के सिक्योरिटी गार्ड मरीज़ों के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं।

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ग्रिल के अंदर कैदियों की तरह रह रहे हैं मरीज़

इन मरीज़ों का कहना है कि उन्होंने पहले भी यहां की अव्यवस्था को लेकर शिकायत की थी। 28 जून को भोजपुर जिले के सिविल सर्जन, जगदीशपुर के एसडीएम, एसडीपीओ आदि ने आकर इस सेंटर की जांच भी की, और सभी शिकायतों को दूर करने का वादा किया। मगर उनके वादे के बावजूद जब किसी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उन्हें मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ा।

समस्या समाधान के बदले मिली लाठियां, कुछ मरीज़ों को किया ट्रांसफऱ

अव्यवस्था के विरोध में एनएच 30 को ढाई घंटे तक जाम रखने के बावजूद इन मरीज़ों की समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं निकला। इसके बदले आरोप है कि पुलिस प्रशासन ने इन मरीज़ों पर ही लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज में कुछ महिलाएं भी जख्मी हुई हैं। इसके बाद प्रशासन से प्रदर्शन की अगुआई करने वाले सात मरीज़ों को वहां से हटाकर पीरो के आइसोलेशन सेंटर में भेज दिया।

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एनएच 30 पर बैठ कर प्रदर्शन करते कोरोना के मरीज

माले नेता ने किया विरोध

इस घटना की सूचना मिलने पर भोजपुर के माले नेता अजीत कुशवाहा और पप्पू सिंह ने आइसोलेशन सेंटर पहुंचकर मरीज़ों से बातचीत की। माले नेता अजीत कुशवाहा ने लाठीचार्ज की घटना पर सख्त आपत्ति जताई है, खास कर महिलाओं पर लाठी चलाने का। उन्होंने कहा, मरीज़ों के प्रति प्रशासनिक उदासीनता और कुव्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाना अपराध नहीं है। उन्होंने कहा यह अतिसंवेदनशील मामला है, पुलिस को शांति से इसका समाधान निकालना चाहिए था। मरीज़ बेहतर व्यवस्था चाहते हैं तो इसमें उनका क्या दोष।

मरीज़ों को ही दोष दे रहे अधिकारी

भोजपुर के डिस्ट्रिक्ट सुपरिटेंडेंट राघवेंद्र किशोर और नोडल पदाधिकारी डॉ. खगेंद्र ठाकुर का कहना है कि हम सेंटर पर हर मुमकिन सुविधा देने का प्रयास करते हैं, मगर मरीज़ सहयोग नहीं करते। उन्हें समय से दवा खाने और व्यायाम करने के लिए कहने पर वे उग्र हो जाते हैं।

डीएम बोले, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी

इस घटना के बाद भोजपुर जिला के डीएम रौशन कुशवाहा ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया है कि वे आइसोलेशन सेंटर की सुविधाएं बेहतर करें। इसके लिए उन्होंने बीडीओ को भी निर्देश दिया है कि खाने-पीने की व्यवस्था में सुधार लायें। साथ ही उन्होंने कहा है कि सेंटर की अव्यवस्था के लिए दोषी कर्मियों और लापरवाह पुलिसकर्मियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करें। इसके लिए एक रिपोर्ट भी तैयार हो रही है।

हाल के दिनों में बिहार में कोरोना के मामले में तेजी आयी है। यहां कोरोना संक्रमित मरीज़ों का आंकड़ा दस हजार की संख्या के पार चला गया है। शुक्रवार, 3 जुलाई को यह रिपोर्ट लिखे जाने के पिछले चौबीस घंटे में 519 कोरोना मरीज़ मिले। कुल मरीज़ों की संख्या 10911 है। हालांकि इनमें से 8211 स्वस्थ हो चुके हैं और 2618 मरीज़ ही इलाजरत हैं। मगर मृत मरीज़ों की संख्या 84 हो गयी है। पिछले एक हफ्ते में मरीज़ों की संख्या में लगभग 25 फीसदी और कोरोना से मरने वालों की संख्या में लगभग 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

अनलॉक की घोषणा के बाद बिहार में मरीज़ों की संख्या तीन गुनी हो गयी है। वहीं कोरोना से मरने वालों की संख्या चार गुनी हो गयी है। जबकि कोरोना को लेकर लोग लापरवाह हुए हैं और प्रशासन का रवैया ढीलाढाला नजर आ रहा है।

(पुष्यमित्र स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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