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कोविड परीक्षण किट मामला : 'गुजराती कंपनी को क्यों दी तरजीह?' येचुरी का PM से सवाल

बढ़ते कोरोना वायरस मामलों के बीच मीडिया रिपोर्ट्स पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सीपीआई(एम) महासचिव ने पीएम के नाम पत्र लिखकर माँग की है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्कुलर को वापस लिया जाये और एनआईवी, पुणे द्वारा अनुमोदित सभी टेस्ट किटों को उपयोग में लाने को मंज़ूरी दी जाये।
coronavirus
प्रतिनिधि छायाचित्र।

नई दिल्ली: नोवेल कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र 16 राज्यों में तालाबंदी और पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया है। लेकिन जिन चीजों ने हालात कहीं और बदतर बना डाले हैं उनमें से एक है, देश में परीक्षण किटों की भारी कमी। इस हकीकत से आँखें मूँदी नरेंद्र मोदी सरकार ने अब जैसे जागते हुए 60 निजी प्रयोगशालाओं को परीक्षण की अनुमति का फैसला दे डाला। जबकि वास्तविकता ये है कि इसके लिए कहीं अधिक अनुमोदित किटों की आवश्यकता है। लेकिन इसी बीच स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शनिवार को एक सर्कुलर आ धमका है, जो अपने-आप में गंभीर सवाल खड़े करती है।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी सर्कुलर में सिर्फ उन्हीं परीक्षण किटों के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है जिन्हें यूएस एफडीए और यूरोपीय संघ द्वारा मंजूरी दी गई हो। और यहीं पर एक पेंच है- TOI की रिपोर्ट के अनुसार- जिसमें कई स्थानीय निर्माताओं के हवाले से बताया गया है, से ऐसा जान पड़ता है कि इन मानदंडों पर भारत में सिर्फ एक कंपनी- कोसरा डायग्नोस्टिक्स ही खरी उतर पा रही है। अहमदाबाद स्थित यह कंपनी अम्बालाल साराभाई इंटरप्राइजेज और अमेरिका के को-डायग्नोस्टिक्स इंक ऑफ़ उटा का एक संयुक्त उपक्रम है। इस कम्पनी के सीईओ मोहन कार्तिकेय साराभाई हैं जो इस साल 25 फरवरी के दिन साबरमती आश्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के स्वागत सत्कार के मामले में पीएम मोदी के साथ सबसे आगे थे।
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संयोगवश कॉसारा वो पहली भारतीय कम्पनी है जिसे केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की ओर से इसी पिछले मंगलवार (17 मार्च) को COVID-19 परीक्षण किटों के इसके वड़ोदरा प्लांट में निर्माण का लाइसेंस मिला है।

“हम CDSCO से लाइसेंस हासिल कर चुके हैं और जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर देंगे। हमने अमेरिका में अपने भागीदारों को कच्चे माल का आर्डर दे रखा है और ये जल्द ही ये पहुँचने वाला है।” अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट में साराभाई को उधृत किया गया था। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्कुलर पर सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं: क्या कोई एक फर्म भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश की वायरस परीक्षण सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो सकता है?

ऐसे कई भारतीय निर्माता हैं जिन्होंने पहले भी इन परीक्षण किटों को निर्मित किया है और वे काफी समय से सरकार से हरी झंडी के इंतजार में थे। अब जब स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी सर्कुलर ही यूएसएफडीए और ईयू के दिशानिर्देश को विशिष्ट तौर निर्दिष्ट करते हों, तो ऐसे में इन कंपनियों का खुद को ठगा महसूस करना पूरी तरह से जायज है। क्योंकि रिसर्च & डेवलपमेंट पर इन्होने अपनी ओर से भारी मात्रा में रकम झोंक रखी है।

एसोसिएशन ऑफ़ डायग्नोस्टिक मैन्युफैक्चररस की वीना कोहली ने टीओआई से बात करते हुए कहा कि वे इन दिशानिर्देशों के ख़िलाफ़ सरकार को लिखने जा रही हैं। उनका कहना था कि वे इस बात को लेकर निराश हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय भारत की नियामक प्रक्रियाओं का अनादर कर रही है। इसकी जगह वह उन विदेशी नियामकों को मंजूरी दे रही है जो भारतीय निर्माताओं को इससे बाहर रखते हैं।

भारत की पीड़ित जनता की ओर से देश में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने इस सम्बन्ध में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक कड़ा पत्र लिखा है। इस पत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्कुलर को तत्काल वापस लेने की माँग की गई है।

येचुरी की ओर से लिखे गए इस पत्र में कहा गया है “नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी द्वारा अनुमोदित सभी परीक्षण किटों को निश्चित तौर पर उपयोग में लाया जाना चाहिए। यह विचित्र है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी सर्कुलर में सिर्फ उन्हीं परीक्षण किटों के इस्तेमाल में लाये जाने की बात कही गई है जो यूएस एफडीए और यूरोपीय संघ द्वारा अनुमोदित की गई हों। रिपोर्टों से पता चलता है कि इस प्रकार की किटों का निर्माता भारत में सिर्फ एक है, जो गुजरात में है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुये इस सर्कुलर को वापस लिया जाना चाहिए और एनआईवी द्वारा अनुमोदित सभी किटों के इस्तेमाल में लाये जाने को तत्काल सुनिश्चित किया जाए।”

सीपीआई(एम) की ओर से यह माँग भी की गई है कि उन करोड़ों परिवारों को जो दैनिक मजदूरी पर अपनी गुजर बसर करते हैं और बीपीएल श्रेणी में आते हैं, ऐसे लोगों को कम से कम उनके जन धन खातों में 5,000 रुपयों को प्रेषित किये जाएँ। इसके साथ ही उन परिवारों के बच्चे जो अभी तक मध्यान्ह भोजन योजना के तहत लाभान्वित होते थे, उन्हें राशन किट्स वितरण की व्यवस्था की जाये। पीडीएस के जरिये एक महीने के लिए सभी बीपीएल/एपीएल परिवारों को मुफ्त राशन वितरित किया जाये।

पूरा पत्र नीचे पढ़ें:

माननीय प्रधानमंत्री जी,

समस्त देश और जनता इस COVID-19 के प्रसार के ख़िलाफ़ बेहद गंभीर संग्राम के बीच घिरे हुए हैं। इस घातक वायरस के समुदाय में फैलने से रोकने के लिए कई राज्यों में आम तालाबंदी लागू की जा रही है।

इस प्रकार की तलाबंदियों की हालत में आवश्यक है कि बड़े पैमाने पर लोगों के परीक्षण की की जरूरत है। खासतौर पर उन लोगों का अनिवार्य तौर पर जिनमें इस प्रकार के लक्षण घोषित तौर पर नजर आ रहे हैं। इस आधार पर उन विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान की जा सकती है, जहाँ इसकी आशंका अधिक है और ऐसे विशिष्ट क्षेत्रों में तालाबंदी को लागू किया जाना चाहिए।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी द्वारा अनुमोदित सभी परीक्षण किटों को इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए। यह अजीब है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर सिर्फ उन्हीं परीक्षण किटों के इस्तेमाल के लिए निर्देश दिए हैं जो सिर्फ़ यूस एफडीए और यूरोपीय ईसी द्वारा अनुमोदित किये गए हैं। रिपोर्टों से पता चल रहा है कि ऐसा निर्माता अपने यहाँ सिर्फ एक गुजरात में है जो ऐसी किट्स का उत्पादन कर सकता है। परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए इस सर्कुलर को वापस लिया जाना चाहिए और एनआईवी द्वारा अनुमोदित सभी किटों को तत्काल इस्तेमाल में लाये जाने को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

करोड़ों ऐसे परिवार हैं जो अपने परिवार की आजीविका दैनिक मजदूरी के आधार पर चला पाते हैं जो आज इस तालाबंदी की स्थिति के चलते काफी मुश्किलों में जी रहे हैं। इस बात की तत्काल आवश्यकता है कि जन धन खातों और बीपीएल लाभार्थियों के खातों में कम से कम 5,000 रूपये की धनराशि हस्तांतरित की जाए।

उन बच्चों के परिवारों को राशन किट्स वितरित किये जाएँ जो अभी तक मध्यान्ह भोजन योजना के लाभार्थी थे। पीडीएस के जरिये सभी बीपीएल/एपीएल परिवारों को एक महीने का राशन मुफ्त वितरित किये जाने का प्रबंध हो।

दुनिया के कई देशों ने घोषणा की है कि उनकी सरकार उन सभी कामगारों को जो अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं, को कम से कम उनके वेतन का 80 प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित करेंगे। भारत सरकार की ओर से भी ऐसा ही कुछ किये जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही छोटे और मझौले, खुदरा व्यापारियों को एक साल के लिए बैंक ऋणों के साथ ईएमआई के भुगतान पर स्थगन मिलना चाहिए।

अब जबकि संसद द्वारा वित्त विधेयक को मंजूरी दी चुकी है, तो ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि करोड़ों लोगों के जान-माल की रक्षा के लिए वह इसके लिए अलग से धनराशि के लिए पर्याप्त पैकेज को निर्धारित करे।

यह ऐसा समय है जब हमें अपने संसाधनों का इस्तेमाल लोगों की ज़िन्दगियाँ को बचाने पर खर्चना चाहिए न कि खुद को राजकोषीय अनुशासन पर ही फ़िक्रमंद होने तक सीमित करके रख देना चाहिए।

सधन्यवाद,

आपका अपना  

(सीताराम येचुरी)

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

COVID Test Kits: Why Does Govt Circular Favour Only Gujarat-Based Firm, Yechury Asks PM

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