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एचआईवी रोधी दवाओं की कमी का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र को न्यायालय का नोटिस

पीठ ने कहा ‘‘याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि देश में एआरटी दवाओं की खरीद नाकाफी है और 2021-22 के लिए अगस्त 2021 में निकाली जाने वाली निविदा दिसंबर 2021 में जारी की गई थी और अंततः विफल रही। दो सप्ताह में जवाब के लिए नोटिस जारी करें।’’
SC

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश में एचआईवी रोगियों के इलाज के लिए एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की कमी का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) और अन्य को नोटिस जारी किया।

पीठ ने कहा ‘‘याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि देश में एआरटी दवाओं की खरीद नाकाफी है और 2021-22 के लिए अगस्त 2021 में निकाली जाने वाली निविदा दिसंबर 2021 में जारी की गई थी और अंततः विफल रही। दो सप्ताह में जवाब के लिए नोटिस जारी करें।’’

एंटी-रेट्रोवायरल थैरेपी (एआरटी) में एचआईवी-रोधी दवाओं का उपयोग करके ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) से संक्रमित लोगों का उपचार किया जाता है।

उच्चतम न्यायालय एक गैर सरकारी संगठन ‘‘इंडियन नेटवर्क फॉर पीपल लीविंग विद एचआईवी/एड्स’’ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें देश में एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की कमी का आरोप लगाया गया है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के एंटी रेट्रो वायरल थैरेपी केंद्रों में दवाओं की अनुपलब्धता के कारण एचआईवी / एड्स से पीड़ित लोगों के एआरवी उपचार में बाधा उत्पन्न होती है।

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