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ज्ञानवापी मस्जिद में ‘शिवलिंग’ के वैज्ञानिक सर्वे के आदेश के ख़िलाफ़ अर्ज़ी पर सुनवाई करेगा न्यायालय

मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर की सुरक्षा को लेकर वजूखाने वाली जगह को सील कर रखा है। सील से अर्थ है कि वहां पर कोई छेड़छाड़, नुकसान, निर्माण या तोड़फोड़ नहीं किया जाएगा। 
Gyanvapi
फ़ोटो साभार: PTI

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वजू के स्थान पर मिली विवादित आकृति की साइंटिफिक जांच और कॉर्बन डेटिंग का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। ज्ञानवापी इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। सर्वोच्च न्यायालय अब मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट 19 मई 2023 को इस मामले को सुनेगा।

ज्ञानवापी इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से जाने-माने अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिंहा और जेबी पारदीवाला की पीठ शुक्रवार को इस मामले को सुनवाई के लिए राजी हो गई है। विवादित आकृति की साइंटिफिक जांच और कॉर्बन डेटिंग के मामले में हिंदू पक्ष पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर चुका है। इसी महीने की 12 तारीख को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित आकृति की कॉर्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यह कैसे होगा? इस पर वाराणसी की जिला अलादत निर्णय लेगी। जिला जज खुद तय करे कि वह कैसे जांच कराएगा।

हिंदू पक्ष की याचिका पर वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे की मांग से जुड़ी याचिका दाखिल की थी। इस पर 22 मई 2023 को सुनवाई होनी है। ज्ञानवापी में 16 मई, 2022 को सर्वे के दौरान विवादित आकृति मिली थी, जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग और मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। हिंदू पक्ष ने वाराणसी स्थित जिला जज की अदालत में इसकी कॉर्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे की मांग की उठाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। विवादित आकृति की जांच के लिए अभी तारीख तय नहीं हो सकी है। वाराणसी की जिला अदालत इस मामले में हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से बातचीत कर रहा है।

भारतीय पुरासर्वेक्षण विभाग (एएसआई)  ने 11 मई 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट को एक सील बंद लिफाफा सौंपा था, जिसके आधार पर 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने ज्ञानवापी परिसर में मिली आकृति की साइंटिफिक और कार्बन डेटिंग जांच कराने का फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आकृति की ऊपरी सतह से 10 ग्राम से ज्यादा हिस्सा नहीं लिया जाए। तय तय किया जाए कि 10 ग्राम की वस्तु से कैसे उसकी उम्र पता लगाई जा सकती है?

मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर की सुरक्षा को लेकर वजूखाने वाली जगह को सील कर रखा है। सील से अर्थ है कि वहां पर कोई छेड़छाड़, नुकसान, निर्माण या तोड़फोड़ नहीं किया जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि एएसआई का सर्वे सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। वहीं, मामले में मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जो जगह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील है, वहां कैसे जांच हो सकती है?

ज्ञानवापी इंतजामिया मसाजिक कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी एमएस यासीन कहते हैं, ''चाहे दिल्ली के लाल किले में चले जाइए या फिर ताजमहल। मस्जिदों में वजू के लिए खासतौर पर हौज बनाया जाता है। आमतौर पर हौज में भरा पानी गर्म हो जाया करता था। इसलिए इसमें फव्वारा बनाने की परंपरा शुरू हुई, ताकि हौज का पानी ठंडा रहे। ज्ञानवापी परिसर में जो फव्वारा मिला है, वो इसीलिए बनाया गया था।"

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