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नेहा सिंह राठौड़ के साथ खड़े हुए सांस्कृतिक संगठन, पुलिस नोटिस का जताया कड़ा विरोध

संगठनो ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताते हुए कहा कि पहले सरकार सवाल उठाने वाले पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से ही डरती थी अब तो लोक गायकों से भी घबराने लगी है।
neha singh rathore

समकालीन सामाजिक व राजनीतिक सन्दर्भों पर केन्द्रित अपने चुटीले राजनीतिक  व्यंग्य भरे गीत गाकर चर्चित होनेवाली युवा लोक गायिका नेहा सिंह राठौड़ को उनके गाये गीत ‘यूपी में का बा’ को लेकर यूपी पुलिस द्वारा जवाबतलब का नोटिस दिए जाने का व्यापक विरोध हो रहा है। आंदोलनकारी महिला संगठनों ने ‘बुलडोज़र राज नहीं चलेगा, लोकतंत्र-संविधान से देश चलेगा!’ के नारे के साथ योगी सरकार के इस कृत्य का विरोध किया है। वहीं जन संस्कृति मंच, जनवादी लेखक संघ और भारतीय जन नाट्य संघ के कई सांस्कृतिक संगठनों ने एक लोक गायिका को पुलिस-नोटिस देने को भाजपा सरकार द्वारा ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ पर हमला करार देते हुए इस दमनकारी रवैये पर अपना तीखा विरोध जताते हुए उक्त काला-नोटिस को अविलम्ब वापस लेने की मांग की है। वहीं, नेहा सिंह  के पक्ष में सपा प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत के खड़ा होने से मामला अब सियासी रंग पकड़ता जा रहा है।   

जन संस्कृति मंच ने राष्ट्रीय स्तर पर जारी बयान के द्वारा इस घटना की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया है। जसम ने नेहा सिंह राठौड़ के साथ एकजुटता जताते हुए यूपी सरकार से नोटिस को तत्काल वापस लेने और इस फासीवादी कृत्य के लिए माफी मांगने की मांग की है।

मंच की ओर से उक्त आशय का बयान जारी करते हुए जसम के राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह ने कहा है कि- नेहा सिंह अपने गीतों के जरिए बेरोजगारी, उत्पीड़न सहित जनता के सवाल लगातार प्रमुखता से उठाती रही हैं। उन्होंने कानुपर देहात में गरीब परिवार के घर को बुलडोजर से गिरा देने और इस कार्रवाई के दौरान मा-बेटी की जलने से हुई मौत की घटना से आहात होकर ‘ यूपी में का बा ’ गीत का दूसरा संस्करण जारी किया था। इस गीत में उन्होंने योगी सरकार के “बुलडोजर राज” पर सवाल उठाया था। जिसकी प्रतिक्रिया में कानपुर देहात पुलिस द्वारा उन्हें सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस दिया गया है। नोटिस में नेहा सिंह राठौड़ को इस गीत के जरिए समाज में वैमनस्य और तनाव की स्थिति उत्पन्न करने का आरोप लगाते हुए तीन दिनों के अंदर जवाब देने को कहा गया है।

जन संस्कृति मंच ने यूपी भाजपा सरकार की इस कार्रवाई को बोलने की आजादी पर हमला बताते हुए कहा है कि यूपी सरकार को कानुपर देहात की अमानवीय घटना पर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने और अतिक्रमण के नाम पर सांप्रदायिक राजनीति के तहत मुसलमानों के घरों को अवैधानिक तरीके से गिराने की घटना पर रोक लगाने के बजाय इस पर सवाल उठाने वालों का मुंह बंद कराने का प्रयास कर रही है।

मंच ने यह भी आरोप लगाया है कि योगी सरकार जब से सत्ता में आयी है तभी से पत्रकारों, लेखकों, साहित्यकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं का दमन कर रही है। पत्रकार सिद्दीक कप्पन को झूठे मामले में फंसा कर दो वर्ष से अधिक समय तक जेल में रखा गया और जमानत मिलने के बावजूद उनकी रिहाई में बाधा खड़ी की गई। बोर्ड परीक्षा में पेपर लीक की खबर प्रकाशित करने पर बलिया के तीन पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन, सुप्रिया शर्मा पर केस दर्ज किया गया। मिड-डे-मील में बच्चों को रोटी-नमक दिए जाने की खबर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल पर एफआईआर दर्ज की गई। ऐसे अनगिनत घटनाएं हैं। गायिका नेहा सिंह राठौड़ को नोटिस जारी करना योगी सरकार की दमनकारी परियोजना का ही हिस्सा है।

जन संस्कृति मंच ने नेहा सिंह के साथ पूरी एकजुटता जाहिर करते हुए देश भर के तमाम संस्कृतिकर्मियों और उनके संगठनों से इस फासीवादी कृत्य के विरोध में तत्काल सक्रिय होने की अपील की है।

इसी आशय का बयान जारी कर जनवादी लेखक संघ ने भी नेहा सिंह को पुलिस-नोटिस  दिए जाने का कड़ा विरोध किया है। जलेस द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जारी बयान में कहा गया है कि- नेहा सिंह के गाए उक्त गीत में कहीं से भी सामाजिक वैमनस्य और तनाव फ़ैलाने वाली बात नहीं है। इसे लेकर पुलिस का नोटिस दिया जाना साबित करता है कि भाजपा सरकारें अपने विरोध में कोई भी स्वर नहीं सुनना चाहती है और ऐसी हर आवाज़ को दबा देना चाहती है। उक्त पुलिस-नोटिस को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए सभी लेखक-कलाकारों से अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्षधर बन कर नेहा सिंह के समर्थन में खड़े होने की अपील की गयी है। जिसके लिए यह भी कहा गया है कि  यू ट्यूब पर यह गाना मौजूद है और कोई भी इसे सुन सकता है।  

भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की राष्ट्रीय समिति की ओर से भी बयान जारी कर ‘यूपी में का बा 2’ गीत पर सामाजिक वैमनस्य और तनाव फैलाने के अनर्गल आरोप लगाए जाने और नेहा सिंह से स्पष्टीकरण मांगे जाने को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला कहा है। नेहा सिंह से एकजुटता व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश की इस असंवैधानिक कारवाई को फ़ौरन वापस लेने की मांग की है।

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ने नेहा सिंह को पुलिस द्वारा नोटिस दिए जाने का कड़ा विरोध किया है। संगठन की ओर से महासचिव मीना तिवारी के साथ साथ ऐपवा की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष व सचिव ने संयुक्त बयान में कहा है कि- नेहा सिंह अपने गीतों से हमेशा जन मुद्दों को उठाती रहीं है और सरकार की गलत नीतियों का विरोध करती रहीं है। इस गीत में कानपुर में बुलडोज़र से घर गिराए जाने और मां बेटी की मौत पर सवाल उठाया गया है। जो पूरी तरह से वाज़िब है और भाजपा के “बुलडोज़र राज” का शिकार हो रही कानपुर ही नहीं पूरे देश की महिलाओं का सवाल है।

‘यूपी में बुलडोज़र राज नहीं चलेगा, सिर्फ संविधान और लोकतंत्र का राज चलेगा’ का आह्वान करते हुए कहा है कि एक संवेदनशील कलाकार होने के नाते नेहा सिंह को अपने गीतों से पुलिस दमन के विरोध करने का पूरा अधिकार है। ऐपवा ने मांग की है कि योगी सरकार कानपुर की पुलिस और प्रशासन पर मुकदमा दर्ज़ कर, एक लोक गायिका से नोटिस वापस ले और अभिव्यक्ति के अधिकार पर हमले बंद करे।

सोशल मीडिया में तो इस मुद्दे पर व्यापक विरोध के स्वर मुखर हो रहें हैं। इसके कई पोस्टों में यह सवाल बिल्कुल प्रासंगिक है कि जब इसी यूपी में लगातार “ गला काट लेने और जीभ काट लेने” की सार्वजनिक धमकी दी जा रही है। साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय के मुसलमानों के खिलाफ हर दिन नफरत और ज़हर उगलने वालों का तांता लगा हुआ है, तो क्यों उत्तर प्रदेश की पुलिस को इससे कोई सामाजिक वैमनस्य और तनाव फैलया जाना नहीं दीख रहा है? लेकिन समाज की कड़वी सच्चाई बताने वाला एक गीत आ जाता है तो प्रदेश की योगी सरकार व उनके पुलिस-प्रशासन को सामाजिक वैमनस्य और तनाव फैलने का अंदेशा सताने लग रहा है।  ‘यूपी में का बा’ गीत के आधार पर तो सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेकर कानपुर देहात पुलिस द्वारा नेहा सिंह को भेजे गए नोटिस के बार में पूछना चाहिए।

पटना में भी जन संस्कृति मंच समेत, अभियान व इप्टा समेत कई सांस्कृतिक संगठनों ने बयान जारी कर यूपी सरकार व पुलिस के दमनकारी रवैये का ज़ोरदार विरोध किया है। भाजपा सरकारों द्वारा अभिव्यक्ति की आज़ादी पर किये जा रहे हमलों के खिलाफ सड़कों पर ‘जन सांस्कृतिक अभियान’ चलाने की घोषणा करते हुए कहा है कि- मोदी-योगी सरकार अभी तक तो सवाल उठाने वालों से डरकर उन्हें फर्जी मुकदमों में जेलों में डाल रही थी, अब तो वह नेहा सिंह जैसी लोक गायिका के गीत से भी घबराने लगी है । 

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