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डीयू : एसओएल में अव्यवस्था के चलते अधर में लटका लाखों छात्रों का भविष्य

अधूरी कक्षाओं और बिना स्टडी मटेरियल के परीक्षा देने को मजबूर एसओएल छात्र प्रशासन से ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
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दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के छात्र और प्रशासन एक बार फिर आमने-सामने हैं। जहां एक और छात्र बिना तैयारी के इंटरनल असेसमेंट और सेमेस्टर परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं तो वहीं अब आनन-फानन में छात्रों के लगातार प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने स्टडी मटेरियल तो बांटना शुरू कर दिया है, लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में मटेरियल लाखों छात्रों तक इंटरनल असेसमेंट के बीच कैसे पहुंचाया जाएगा, इसका प्रशासन के पास न तो प्लान है और नाही कोई जवाब। छात्रों का आरोप है कि प्रशासन असेसमेंट के बीच छात्रों को मैसेज करके स्टडी मटेरियल के लिए बुला रहा है। जहां इसके वितरित सेंटरों पर घंटों लंबी लाइन में लगने पर भी उन्हें आधा- अधूरा मटेरियल ही मिल पा रहा है।

बता दें कि बीते शुक्रवार, 24 फरवरी को छात्रों ने साउथ स्टडी सेंटर के बाहर इस पूरी अव्यवस्था को लेकर कड़ा विरोध दर्ज करवाया। इससे पहले रविवार, 19 फरवरी को सैकड़ों एसओएल छात्रों ने आर्ट्स फैकल्टी से डीयू कुलपति आवास तक क्रांतिकारी युवा संगठन के नेतृत्व में अधिकार रैली निकाली थी। इस रैली में छात्रों की भारी संख्या को देखते हुए एसओएल प्रिंसिपल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि जल्द ही सभी छात्रों को ये स्टडी मटेरियल मिल जाएगा। लेकिन ये मटेरियल परीक्षा के चंद दिनों पहले और असेसमेंट के बीच में छात्रों को कितना लाभ दे पाएगा इसका जवाब शायद ही प्राचार्य जी के पास हो। हालांकि इस बीच छात्र लगातार परीक्षा को टालने की गुहार प्रशासन से लगा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर अभी भी प्रशासन नींद से नहीं जागता तो छात्र अपनी मांगों को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय तक पहुंचेंगे।

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लाखों छात्रों का भविष्य प्रभावित

प्रदर्शन में शामिल एसओएल छात्रों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि प्रशासन का आनन-फानन में परीक्षाओं को लेकर किया गया फैसला लाखों छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा। समेस्टर सिस्टम के तहत आने वाले सप्ताह में करीब 28 फरवरी से एसओएल की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं लेकिन अभी तक सभी छात्रों को स्टडी मटेरियल ही नहीं मिला है। कक्षाएं नियमित रूप से नहीं लग रही हैं। ऐसे में छात्र कैसे परीक्षा देंगें।

क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में भारी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में डीयू वीसी से आगामी सेमेस्टर परीक्षाओं को टालने की मांग की। साथ ही एसओएल के छात्रों को भी रेगुलर छात्रों की तर्ज पर सुविधाएं मुहैया कराने की गुहार लगाई।

केवाईएस के राज्य समिति सदस्य भीम कुमार ने न्यूज़क्लिक को बताया कि एसओएल में अव्यवस्था, अधूरी कक्षाएं और परीक्षा से पहले स्टडी मटेरियल न मिलने का मुद्दे पहली बार सामने नहीं आया। ये बीते कई सालों से हर बार की कहानी बन गया है। इस संबंध में केवाईएस और एसओएल छात्रों ने एसओएल और डीयू प्रशासन को कई ज्ञापन भी सौंपे हैं। हालांकि यह समस्याएं फिर भी जारी हैं, और स्थिति बद-से-बदतर होती जा रही हैं।

एसओएल में भारी भ्रष्टाचार

भीम ने आरोप लगाया कि एसओएल में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है। प्रशासन के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है, बावजूद इसके लगातार छात्रों को तमाम सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। हर साल अव्यवस्था के चलते बड़ी संख्या में छात्र फेल हो रहे हैं और प्रशासन उनसे दोबारा परीक्षा की फीस जमा करवा कर अपनी जेबे भर रहा है। और यही कारण है कि प्रशासन न तो समय से क्लास करवाता है नाही समय से स्टडी मटेरियल बांटता है।

भीम बताते हैं कि जो स्टडी मटेरियल बांटा जा रहा है, उसमें न तो लिखने वाले प्रोफेसर का नाम छपा है और नाही कोई सूचना। एसओएल के टीचर्स तक इसे बेकार बता चुके हैं। ऐसे में छात्रों के भविष्य का क्या होगा ये तो सब समझ ही सकते हैं। भीम के मुताबिक इंटनल असेसमेंट में भी कई समस्याएं सामने आ रही हैं। ऑनलाइन परीक्षा में छात्रों के पेपर समिट नहीं हो पा रहे। कभी वेबसाइट क्रैश हो जा रही है, तो कभी सर्वर डाउन। छात्रों को इसकी जानकारी भी ज्यादा नहीं है। ऐसे में ये इन छात्रों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी हो रही है।

ध्यान रहे कि डीयू प्रशासन द्वारा सेमेस्टर सिस्टम लागू करने से लेकर अब तक एसओएल छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव, तमाम प्रावधानों की अनदेखी और छात्रों की समस्याओं को लेकर कई बार इस संगठन ने छात्रों के साथ मिलकर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है लेकिन हर बार इनके हाथ सिर्फ आश्वासन ही लगा है।

कई सेंटरों पर क्लास सस्पेंड

एसओएल के छात्र राहुल बतातेे हैं कि कई सेंटर्स पर क्लासेस सस्पेंड कर दी गई हैं। कई जगह स्टडी मटेरियल को लेकर अफरा-तफरी मची हुई है। प्रशासन छात्रों को कई घंटों की लंबी लाइनों में लगवा रहा है, इसके अलावा किसी को कोई भा जानकारी प्रोपर नहीं दी जा रही। कहीं कोई कह रहा है कि जिन छात्रों का इंटरनल असेसमेंट का पेपर रह गया, उनका दोबारा होगा, ये खुद प्रिंसिपल का कहना है, लेकिन क्या ये वाकई सही है, इसकी कोई जानकारी प्रशासन की ओर से नहीं दी जा रही। बच्चों को ही जो जहां से सुना सुनाया मिल रहा है, बताया जा रहा है। प्रशासन की परीक्षाओं को लेकर कोई गंभीरता नहीं है।

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एसओएल की छात्रा शमा बताती हैं कि उन्हें बीते सप्ताह काफी देर से स्टडी मटेरियल मिला, उनके कई साथियों के आखिरी समय में विषय और स्ट्रीम दोनों बदल दिए गए, जिससे उन्हें अलग दिक्कतें आ रही हैं। इसके अलावा शमा कहती हैं कि उनका वाइवा ऑनलाइन लिया जा रहा है, जो बहुत मुश्किल है, क्योंकि हर किसी के पास पर्सनल स्मार्ट फोन हर समय डेटा के साथ नहीं होता। कई निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए ये कठिन भी है। ऊपर से इस वाइवा को लेकर कोई प्रॉपर इंस्ट्रकशन पहले से नहीं दिए गए। कैसे, जवाब समिट करने हैं, कैसे पेपर समिट होगा आदी। इसके चलते अलग दिक्कतें पेश आ रही हैं।

बिना तैयारी के परीक्षाएं कैसे?

शमा के अनुसार डीयू प्रशासन लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। छात्र सेमेस्टर मोड और सिलेबस से पहले ही जूझ रहे हैं। क्योंकि सेमेस्टर सिस्टम को प्रशासन की ओर से बिना किसी तैयारी के अचानक स्टूडेंट्स पर थोपा दिया गया था। फिर कोरोना ने वैसे ही सब पर ग्रहण लगा दिया। ऐसे में एक बार फिर बीना तैयारी के परीक्षाएं से लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया है।

एसओएल से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स की पढ़ाई कर रहे सत्यम का कहना है कि अभी तक उनकी मात्र कुछ कक्षाएं ही हुई हैं, वो भी अवव्यवस्थित तरीके से जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों को एक कक्षा में पढ़ाया गया। स्टडी मटेरियल भी उन्हें आधा ही मिल पाया है। ऐसे में सत्यम कहते हैं कि यूजीसी की गाइडलाइन के हिसाब से एसओएल के स्टूडेंट्स को छपा हुआ स्टडी मटेरियल देना जरूरी है, लेकिन छात्रों को अब तक यह पूरा नहीं मिला है। ना ही इसे लेकर कोई अन्य सुविधा दी जा रही है ऐसे में अगले सप्ताह से परीक्षा में वो क्या लिखेंगे उन्हें खुद नहीं पता, क्योंकि बिना तैयारी के परीक्षा में बैठना उनके लिए काफी मुश्किल है।

इसी तरह बीए प्रथम वर्ष की छात्रा पूजा कहती हैं कि बीते रविवार के दिन प्रदर्शन के बाद उन्हें स्टडी मटेरियल मिला था। कक्षाएं उनकी ऑनलाइन हुई हैं, वो भी ठीक से नहीं क्योंकि कई बार कब किस माध्यम से क्लास होनी है इसकी जानकारी सही तरीके से मिल नहीं पाती। पूजा के दो विषय भी बदल दिए गए हैं। ऐसे में उनके लिए अब अचानक उन दो विषयों की तैयारी भी एक चुनौती है।

गौरतलब है कि एसओएल में वो छात्र एडमिशन लेते हैं जो किसी कारणवश रेगुलर में एडमिशन नहीं ले पाते या जो पढ़ाई के साथ कोई अन्य कामम भी कर रहे होते हां। ये ज्यादातर मध्यम और निम्म मध्यम परिवारों के बच्चे होते हैं, जिनसे एसओएल में अच्छी-खासी फीस वसूली जाती है, लेकिन सुविधाओं की बात करें, तो इन छात्रों का आरोप है कि जहां रेगुलर छात्रों के पास रेगुलर कक्षाएं, बेहतर लाइब्ररी, आल रूट बस पास जैसी तमाम सुविधाएं होती हैं, वहीं एसओएल छात्रों को अनियमित और अव्यवस्थित कक्षाओं, लाइब्ररी की कमी, स्टडी मेटेरियल में गड़बड़ियाँ और लेट रिज़ल्ट संबंधी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में परीक्षाओं से पूर्व छात्रों के लिए जरूरी मूलभूत सुविधायेँ सुनिश्चित नहीं करने से लाखों छात्रों के भविष्य पर खतरा देखने को मिल रहा है।

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