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किसान नेताओं का ऐलान- हम निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं

किसान अपनी समस्याओं और चिंताओं को लेकर दिल्ली आए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री दिल्ली से 850 किलोमीटर से भी ज़्यादा दूर वाराणसी में जाकर कह रहे हैं कि कोई समस्या नहीं है, किसानों को बहकाया गया है। इससे साफ़ है कि फिलहाल इस मसले का कोई हल नहीं निकलने जा रहा।
किसान

केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने सोमवार को कहा कि वे ‘‘निर्णायक’’ लड़ाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। लेकिन फिलहाल किसानों की मांगों का कोई समाधान आसपास नहीं दिखाई दे रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जो कहा उससे साफ लगता है कि मोदी सरकार मानती है कि इन तीन नए कानूनों से कोई समस्या नहीं है, बल्कि किसानों को बहकाया गया है।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक दिन के वाराणसी दौरे के दौरान एक सभा में अपनी सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों को किसानों के लाभ के कानून बताया और कहा कि किसानों के साथ छल किया गया है, यही वजह है कि किसान आशंकित हैं। इसी का लाभ उठाकर उन्हें बहकाया जा रहा है। इसी तरह की बातें उन्होंने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कहीं थीं। इस तरह साफ है कि जब सरकार यह मानती ही नहीं कि इन कानूनों से कोई दिक्कत है और किसान अपनी जायज मांगों को लेकर आए हैं तो फिर बातचीत से क्या हल होना है। क्योंकि हल तभी होता है जब समझा जाए कि कोई समस्या है। सरकार के लिए तो सिर्फ किसानों का दिल्ली आना समस्या है। और वो इसे ही हल करना चाहती है।   

उधर, प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके ‘‘मन की बात’’ सुनें।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते।’’

किसानों के प्रतिनिधि ने दावा किया कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं।’’

वहीं, एक अन्य किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आंदोलन को ‘‘दबाने’’ के लिए अब तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगभग 31 मामले दर्ज किए गए हैं।

चढूनी ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा।

गौरतलब है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों से बुराड़ी मैदान पहुंचने की अपील की थी और कहा था कि वहां पहुंचते ही केन्द्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल उनसे बातचीत करेगा।

किसानों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर तीन दिसम्बर की तय तारीख से पहले वार्ता की केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पेशकश पर बातचीत की गयी, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारने से मना कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघू तथा टीकरी बार्डरों पर डटे रहने की बात कही।

उनके प्रतिनिधियों ने कहा था कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें। उन्होंने दावा किया था कि बुराड़ी मैदान एक ‘खुली जेल’ है।

(समाचार एजेंसी भाषा के कुछ इनपुट के साथ) 

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