दिल्ली: निगमकर्मियों के हड़ताल का 11वां दिन, कर्मचारी वेतन और जनता सफ़ाई के लिए परेशान

दिल्ली: उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हड़ताल का 11वां दिन ,कर्मचारी के साथ ही अब आमजनता भी नगर निगम के प्रशासन से त्रस्त हो रही है। जहाँ एकतरफ पिछले कई महीनों से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला जिससे अब उनके लिए जीवनयापन बहुत मुश्किल हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ जनता भी परेशान है, क्योंकि डॉक्टर, शिक्षक, इंजीनियर सभी हड़ताल पर हैं। साथ ही जनता के सामने सबसे बड़ी समस्या साफ सफ़ाई की है। लोगों के घरों के सामने अब कूड़े का पहाड़ बन रहा है। जिससे उनका घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है। इसलिए अब कर्मचारियों के साथ ही आम लोगों का गुस्सा भी नगर निगम में सत्तासीन बीजेपी और दिल्ली सरकार के ख़िलाफ़ फूट रहा है।
लोगों का कहना है कि सरकारों को एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप छोड़कर इसका स्थायी समाधान करना चाहिए। न्यूज़क्लिक दिल्ली-6 की ग्राउंड रिपोर्ट आपके सामने पेश कर रहा है, जहाँ पिछले दस दिनों से सफ़ाई नहीं होने से बुरे हालात हैं और लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं-
दिल्ली-6 यानी पुरानी दिल्ली के आसपास का इलाक़ा दिल्ली का एक प्रमुख आर्थिक केंद्र होने के साथ ही बहुत ही ऐतिहसिक इलाक़ा भी है। यहां विदेशी सैलानी भी बड़ी संख्या में आते हैं। लेकिन आजकल ये पूरा इलाक़ा कूड़े के ढेर में बदलता दिख रहा है। लोगों को इससे कई तरह के बीमारियों का भी भय सता रहा है। अभी कोरोना तो चल ही रह ही साथ बर्ड फ्लू और इन सब में ये अब कूड़े की समस्या ने लोगो का जीना दुश्वार कर दिया है।
हमने कुछ स्थानीय लोगों से बात की। फरिहा जो बल्लीमारान में ट्यूशन के लिए जाती हैं, उन्होंने बताया कि कूड़े की वजह से रोड पर चलना तो दूर पैर रखना मुश्किल हो गया है घर से बाहर निकलते ही गलियों में ही कूड़े के ढेर लगे हैं। वे खुद कूड़े की वजह से ट्यूशन भी नही जा पा रही हैं।
फहमीना जो एमएनसी में काम करती हैं और सुबह 7 बजे घर से निकल जाती हैं। कॉरपोरेट ऑफिस या एमएनसी में काम करने का मतलब है आपको अपने आपको एकदम मैन्टेन रखना होता है। लेकिन फहमीना ने बातचीत में बताया कि इस समय उनके लिए यह सब करना कितना मुश्किल है। कई लोग ऐसे भी हैं जो गंदगी में अपना पूरा दिन गुज़ार रहे हैं। शाहजहां तो बहुत परेशान हैं क्योंकि आसपास के सभी लोग उनके घर के पास ही कूड़ा डाल जाते हैं।
लाल कुआं बाज़ार में पैर रखने की जगह नहीं है। हमने बात की शालीमार दुकान के मालिक से जो बल्लीमारान में रहते हैं और उनकी दुकान बल्लीमारान के मोड़ पर ही है। हड़ताल के 2-3 दिन तक तो दुकान के आगे कुछ नहीं था लेकिन बढ़ते दिनों के साथ शालीमार दुकान के आगे कूड़े का ढेर लग गया। इससे आसपास के दुकानदारों को भी मुसीबत हुई। ख़ासकर जिनकी खाने पीने की दुकान हैं वह अपने दुकान नहीं लगा पाए।
लाल कुआं बाज़ार में रात के वक़्त बड़ी रौनक हुआ करती थी लेकिन इस गंदगी के कारण सब फीका पड़ गया, जिससे दुकानदारों को भारी आर्थिक नुकसान भी हुआ। लाल कुआं बाज़ार की हालत भी किसी कूड़ा घर से कम नहीं हो रही। जिस वजह से ग्राहक नहीं आ रहे हैं।
आर्य मसालों की दुकान बंद पड़ी है। कूड़ा दुकान के गेट पर ही जमा है। यहां काफी दूर से भी दुकानदार आते हैं और अगर उन्हें दुकान के आगे कूड़ा मिले तो आप खुद सोच सकते है कैसा लगेगा। दुकानों के आगे कूड़ा है कूड़े के साथ साथ ही ट्रैफिक भी चल रहा है। कूड़े के ऊपर से ट्रैफिक रोड को और गंदा कर रहा है।
हड़ताल का 11वां दिन
आपको सनद रहे 7 जनवरी से उत्तरी निगम के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। यह हड़ताल रुके हुए वेतन और पेंशन की मांग को लेकर है। इसमें सफाई कर्मचारियों से लेकर स्वास्थ्यकर्मी, शिक्षक, अभियंता व अन्य कर्मचारी शामिल हैं। चिंताजनक बात यह है कि कोरोना के टीकाकरण अभियान में कार्य करने वाले स्वास्थ्यकर्मी भी हड़ताल पर है। निगम के महापौर और अधिकारियों के साथ कई चरण की बैठक में कोई ठोस आश्वासन न मिलने पर निगम कर्मियों ने हड़ताल का ऐलान किया था। इससे पूर्व शिक्षकों ने सिविक सेंटर के बाहर प्रदर्शन कर वेतन जारी करने की मांग कर रहे है। कर्मचारियों ने 15 जनवरी को सिवक सेंटर से दिल्ली के मुख्यमंत्री के कार्यालय तक मार्च करने का ऐलान किया लेकिन पुलिस ने उन्हें जाने नहीं दिया।
दिल्ली नगर निगम बीजेपी के अंतर्गत आता है जो आज एक भरष्टचार का अड्डा बन गया है। लेकिन इस मामले में दिल्ली सरकार ने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। अभी हड़ताल को देखकर उन्होंने 14 जनवरी को नगर निगम को 938 करोड़ की राशि देने का एलान किया लेकिन अभी उसे भी जारी नहीं किया है।
एमसीडी एम्प्लाइज यूनियंस के संयोजक एपी खान ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने जो घोषणा की है वो बहुत कम है उससे तो निगम के कर्मचारियों का एक महीने का वेतन ही बहुत मुश्किल से मिलेगा जबकि यहां तो कर्मचारियों को तीन से लेकर छह महीने से वेतन नहीं मिला है।
इस हड़ताल को निगम की विभिन्न विभागों की 40 यूनियन का समर्थन में है।
हालांकि यह हड़ताल कोई पहली बार नही हो रही है। वक़्त वक़्त पर निगम कर्मचारी अपने वेतन के लिए मांग करते रहे हैं। सफाई कर्मचारियों की हड़ताल पिछले साल भी हुई थी उससे पिछले साल भी और उसके पिछले साल भी इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि एमसीडी में किस तरह कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है।
बल्लीमारन विधानसभा से विधायक इमरान हुसैन आम आदमी पार्टी से निगम कर्मचारियों के धरने का समर्थन करते हैं ओर कहते हैं कि हम भी मांग करते कि कर्मचारियों को वेतन मिलना चहिये। लेकिन वास्तविकता यह है आम आदमी पार्टी की सरकार भी इसमें ज़्यादा कुछ नहीं कर रही।
कूड़े पर भी सियासी खेल खेला जा रहा है। कोई अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है, बस एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। लेकिन इस सब के बीच में पिस रही है सिर्फ आम जनता, चाहे वो आम कर्मचारी हो जो अपने वेतन के इंतज़ार में है या कूड़े के ढेर के बीच रह रहे आम लोग।
एमसीडी एम्प्लाइज यूनियंस के संयोजक एपी खान यह भी बताते है कि दिल्ली सरकार और निगम मिलाकर इस समस्या के लिए दोषी हैं। दोनों को मिलकर इसका स्थायी समाधान देना चाहिए।
(सना सुल्तान एक समाजसेवी और स्वतंत्र लेखिका हैं।)
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