दिल्ली निगम चुनाव: भाजपा, आप और कांग्रेस किसके क्या हैं मुद्दे
दिल्ली में नगर निगम चुनावों की घोषणा के साथ ही तीनों प्रमुख दल आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस अब चुनावी चौसर पर गोटियां बिछाने में लग गए हैं। आप पहली बार निगम में सत्ता के दावे के साथ जनता के बीच होगी तो वहीं, बीजेपी एकबार फिर पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर पुनः सत्ता के लिए ताल ठोंकती नजर आ रही है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन को भूलकर किसी भी हाल में निगम की सत्ता में पकड़ बनाने जुगत में होगी।
आम आदमी पार्टी (आप) ने दावा किया कि भ्रष्टाचार में कथित संलिप्तता के कारण आगामी एमसीडी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2017 की तरह ही अपने मौजूदा पार्षदों को मैदान में नहीं उतारने का फैसला किया है।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनावों के लिए आप प्रभारी दुर्गेश पाठक ने भाजपा पार्षदों पर 35,000 करोड़ रुपये “हड़पने” का आरोप लगाया।
इसके साथ ही इस चुनाव मे आप जहां दिल्ली मे कूड़े के पहाड़ को अपना मुख्य मुद्दा बना रही है, वहीं भाजपा दिल्ली सरकार पर प्रदूषण और उनके मंत्रियों के भ्रष्टाचार को लेकर हमलावर है। उधर कांग्रेस अपनी अंतिम मुख्यमंत्री दिवंगत शीला दीक्षित के कामों के आधार पर वोट मांग रही है।
आपको बता दें कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए चार दिसंबर को मतदान होना है, जबकि मतों की गिनती सात दिसंबर को होगी। हालांकि ये चुनाव अप्रैल में होने थे परन्तु केन्द्र में सत्ताधारी भाजपा के निगमों के एकीकरण के निर्णय की वजह से देरी हुई।
चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव के कारण राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार से ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। उन्होंने कहा कि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया सात नवंबर से शुरू हो जाएगी और 14 नवंबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि 16 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी जबकि 19 नवंबर तक उम्मीदवार अपने नाम वापस ले सकेंगे।
इन चुनावों मे सभी दलों के मुद्दों, उनकी ताक़त और कमज़ोरी पर एक नज़र डालते है—
आप को निगम मे भाजपा की असफलता और केजरीवाल सरकार के काम पर भरोसा
आप पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद से ही निगम चुनावों को लेकर आक्रमक रही है। केजरीवाल और उनकी पार्टी ने भाजपा और केंद्र सरकार पर चुनाव को टालने को लेकर भी सवाल खड़े किए और उनकी चुनाव कराने की मंशा पर ही सवाल उठाते रहे। हालांकि अब चुनाव घोषणा के बाद से वो बड़ा मुद्दा कूड़ा और कूड़े के पहाड़ को बना रही है। निगम में भाजपा पिछले डेढ़ दशक से शासन में है। इसके बाद भी आम लोगों के बीच सड़क, नाली और साफ-सफाई की समस्या बनी हुई है। इसके अलावा निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार भी एक बड़ी समस्या है। जिसे केजरीवाल की पार्टी द्वारा बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है। इसके साथ सत्ता विरोधी लहर भी आप के पक्ष में माहौल बना सकती है।
इसके अलावा आप को अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर भरोसा है। साथ ही उन्हें सस्ती बिजली, सस्ते पानी, महिलाओं के लिए फ्री बस जैसी लोकप्रिय योजनाओं का फायदा मिलने की उम्मीद है। आप नेता इसके अलावा स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं में किए गए सकारात्मक बदलावों को भी लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को 70 में 62 सीटों पर प्रचंड जीत मिली थी।
हालांकि पार्टी की कमजोरियों की चर्चा करें तो आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी भी बाकी राजनीतिक दलों की तरह बन गई, जिनको लेकर वो हमलावर रहती है। इस पार्टी पर भी उसी तरह भ्रष्टाचार की खबरें आ रही है। दूसरा पिछले निगम चुनाव की तरह इस बार भी भाजपा नए चहरों को मैदान मे उतार सकती है। इसकी काट भी पार्टी नहीं ढूंढ सकी है।
भाजपा एकबार फिर राष्ट्रीय नेतृत्व के सहारे
भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अरविंद केजरीवाल हैं। भाजपा अभी तक उनका काट नहीं ढूंढ पाई है। दिल्ली भाजपा की बात करे तो उसमें केजरीवाल की तरह कोई एक सर्वमान्य नेता नहीं है। राज्य नेतृत्व को लेकर पार्टी में रार मची हुई है। प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से लेकर मनोज तिवारी का नाम समर्थकों द्वारा उछाला जाता रहा है लेकिन अभी यही लगता है कि पार्टी नरेंद्र मोदी के सहारे ही चुनावों में उतरने का मूड बना रही है। इसके साथ ही
लगातार तीन बार से जीत रही भाजपा के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती सत्ता विरोधी लहर से निपटना भी है।
इसके अलावा केजरीवाल की शिक्षा, मोहल्ला क्लीनिक और सस्ता बिजली, पानी जैसी योजनाओं की काट बीजेपी अभी तक नहीं निकाल पाई है।
हालांकि भाजपा के पास एक मजबूत जमीनी संगठन और बड़ी इलेक्शन मशीनरी है। इसकी ताकत दिखाते हुए बीते दिनों दिल्ली भाजपा ने हर बूथ पर पंचपरमेश्वर सम्मेलन किया, जिसमें एक बूथ पर पांच कार्यकर्ता को नियुक्त किया गया। इसके आलवा उनके पास ब्रांड मोदी है। आप को घेरने के लिए कथित शराब घोटाला, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर जांच एजेंसी का शिकंजा जैसे तमाम मुद्दों को जोर शोर से उठाया जा रहा है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में राशन बांटा जाना, भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
कांग्रेस खुद को पुनर्जीवित करने का प्रयास करेगी
वहीं, देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल यह है कि तकरीबन सभी सियासी जानकार उसे तीसरी नंबर की पार्टी के तौर पर देख रहे हैं तथा पार्टी के पास विश्वसनीय चेहरे और मजबूत संगठन का भी अभाव है।
हालांकि, पिछले नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के मत प्रतिशत में तेज उछाल आया और उसे 21 फीसदी वोट मिले। पिछले साल के लोकसभा चुनाव में उसे 22.46 फीसदी वोट मिले, जो कांग्रेस के लिये हौसले को बढ़ाने वाला रहा। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को महज 18 फीसदी वोट मिले थे और वह तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी। हालांकि इसके बाद वाले विधानसभा चुनवा मे एकबार फिर कांग्रेस फिसड्डी साबित हुई।
दिल्ली के निगम चुनाव में इस बार कांग्रेस पूरे दमखम के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक वह इस बार शीला दीक्षित के 15 साल के कामकाज को लेकर दिल्ली की जनता के बीच आक्रमक तरीके के साथ जाने वाली है। कांग्रेस का चुनवी नारा है—'मेरी चमकती दिल्ली, मेरी कांग्रेस वाली दिल्ली, शीला दीक्षित वाली दिल्ली’।
कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय कुमार को सोमवार को पार्टी के दिल्ली प्रभारी की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी, जो नगर निगम चुनाव के संपन्न होने तक यह भूमिका निभाएंगे। इससे पहले तक शक्ति सिंह गोहिल कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी की जिम्मेदारी देख रहे थे।
पार्टी के अनुसार, गोहिल गुजरात विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं इसलिए कुमार को दिल्ली का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। कुमार पहले से ही सिक्किम, त्रिपुरा और नगालैंड के प्रभारी हैं।
कांग्रेस ने दिल्ली नगर निगम के चुनाव के लिए सोमवार को चयन समिति का भी गठन किया, जिसकी अध्यक्षता पार्टी महासचिव अविनाश पांडे करेंगे।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )
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