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दिल्ली: 4 साल बाद भी निर्वाचित विक्रेता सदस्य बिना भत्ते के पथ विक्रेताओं का सर्वेक्षण करने के लिए मजबूर

2018 में अधिसूचित कई टाउन वेंडिंग समितियों (TVCs) के सदस्यों ने गुरुवार को दिल्ली नगर निगम (MCD) के मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
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नई दिल्ली: शहर में कई टाउन वेंडिंग समितियों (TVCs) के सैकड़ों निर्वाचित सदस्यों ने गुरुवार को दिल्ली नगर निगम (MCD) के मुख्यालय के बाहर सिविक सेंटर में विरोध प्रदर्शन किया और अपने लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन की तर्ज पर भत्ते की मांग की। 

हॉकर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी (HJAC) के आह्वान पर प्रदर्शन करते हुए प्रदर्शनकारियों ने पथ विक्रेता का सर्वेक्षण पूरा नहीं करने और राष्ट्रीय राजधानी में पथ विक्रेय  व्यवसाय को विनियमित करने के उद्देश्य से लाये गए  2014 के कानून के कार्यान्वयन में देरी के लिए MCD की भी आलोचना की, जो पहले उत्तर, पूर्व और दक्षिण क्षेत्र में विभाजित थी। ।

पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम, 2014 के तहत गठित टीवीसी को विक्रेय जोन की पहचान करने, शहर में पथ विक्रेता का सर्वेक्षण करने और उन्हें एक विक्रेता सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार है।

समिति में नामित राज्य सरकार के अधिकारी, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि और चुने हुए स्थानीय रेहड़ी-पटरी वाले शामिल हैं। पथ विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे सदस्यों की संख्या किसी भी हाल में चालीस प्रतिशत से कम नहीं होगी जो स्वयं पथ विक्रेताओं द्वारा निर्वाचित किए जाएंगे। दिल्ली में, शहर भर के विभिन्न क्षेत्रों में 28 टीवीसी को 2018 में अधिसूचित किया गया था।

हालांकि, एचजेएसी ने शिकायत की कि अब तक, शहर में टीवीसी सदस्यों को किसी भी प्रकार का कोई भत्ता नहीं दिया गया है। यह तब है जब इसके लिए प्रावधान 2014 के अधिनियम के साथ-साथ दिल्ली पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन) योजना, 2019 में भी शामिल है। 

एचजेएसी ने एमसीडी कमिश्नर को संबोधित ज्ञापन में कहा, "दिल्ली में विक्रेय जोन बनाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है और विक्रेय जोन बनाए बिना बड़ी संख्या में रेहड़ी-पटरी वालों को उनके विक्रेय स्थान से बेदखल किया जा रहा है, जो कि सरासर कानून का उल्लंघन है।" 

गुरुवार को सिविल लाइंस ज़ोन में एक निर्वाचित टीवीसी सदस्य राकेश कालरा (53) ने न्यूज़क्लिक को बताया कि समिति के सदस्यों को वर्तमान में अपने-अपने क्षेत्रों में रेहड़ी-पटरी वालों का सर्वेक्षण करने के लिए अपनी आजीविका का काम छोड़ना पड़ता है और अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है।

कालरा, जो उत्तर पश्चिम दिल्ली के जीटीबी नगर में एक फल विक्रेता भी हैं, कहते हैं, “हमने अपनी जेब से भुगतान करके सर्वेक्षण किया है। महामारी के दौरान, हमारे एक TVC सदस्य की भी COVID-19 से मृत्यु हो गई। और फिर भी, सरकार द्वारा उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया।”

40 वर्षीय खाना विक्रेता पुतुल दत्ता, जो शाहदरा दक्षिण क्षेत्र के एक निर्वाचित टीवीसी सदस्य हैं, कहते हैं, “शहर के स्ट्रीट वेंडरों को अपनी शिकायतों को टीवीसी तक पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। हमारी समिति के पास स्थानीय रेहड़ी-पटरी वालों की जानकारी वाले रजिस्टरों को बनाए रखने के लिए कार्यालय की जगह या धन नहीं है। यही कारण है कि हमें सर्वेक्षण कार्य जारी रखने में मुश्किल हो रही है। 

राष्ट्रीय राजधानी में निगमों द्वारा किए गए दिल्ली स्ट्रीट हॉकर्स सर्वे द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार तक 77,674 विक्रेताओं की पहचान की गई, जिनमें से 67,089 को प्रमाणन के लिए मंजूरी मिल गई है।

हालांकि, इससे पहले भी कई कार्यकर्ताओं ने अफसोस जताया है कि शहर में कई विक्रेताओं का सर्वेक्षण किया जाना बाकी है। यहां तक कि सर्वेक्षण किए गए और विक्रेताओं के रूप में पहचाने जाने वालों के पास विक्रेता प्रमाण पत्र होने के बावजूद नगरपालिका अधिकारियों द्वारा जबरन बेदखली का सामना करने की शिकायत की है। कार्यकर्ताओं द्वारा साझा किए गए एक अनुमान के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में करीब पांच लाख रेहड़ी पटरी विक्रेता हैं - स्थिर और चलनशील दोनों।

एचजेएसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने गुरुवार को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में टीवीसी के लिए एक बजटीय प्रावधान की तुरंत घोषणा की जानी चाहिए।

इस बीच, न्यूज़क्लिक द्वारा एक्सेस किए गए एचजेएसी के ज्ञापन में गुरुवार को कहा गया कि कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) स्वास्थ्य देखभाल और बीमा की सुविधा शहर के सभी रेहड़ी-पटरी वालों तक पहुंचाई जानी चाहिए)।  एचजेएसी ने तर्क दिया कि यह चरम जलवायु परिस्थितियों से उत्पन्न स्वास्थ्य खतरों के कारण विक्रेता के सामने आने वाली संभावित वित्तीय कठिनाइयों को कम करेगा।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

Delhi: Four Years on, Those Tasked to Survey Street Vendors Continue to Work Without Allowance

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