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दिल्ली : क्या सरकार ने शिक्षकों को कोरोना की जंग में अकेला छोड़ दिया है?

यह सिर्फ़ एक जय या सुमैंया और उनके परिवार की कहानी नहीं है। दिल्ली में अभी तक सरकारी राशन बांटते हुए कम से कम 150 से अधिक शिक्षक संक्रमित हो चुके हैं। लगभग सभी ने संक्रमण के लिए कुव्यवस्था और सुरक्षा उपकरण के न होने की बात कही है।
कोरोना वायरस
Image courtesy: Sambad

जय कुमार कस्तलिया दिल्ली के विद्यालय में शिक्षक हैं और वो सरकारी राशन बंटवाते समय कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। इसके बाद तीन जून को जब स्थिति गंभीर हुई तो वो अपने परिवार के साथ LNJP गए, वहां उनके परिवार को बताया गया कि बेड खाली नहीं है। इसके बाद एक अन्य अस्पताल GTB में उन्हें एडमिट किया गया। इसके बाद से उनकी स्थति गंभीर बनी हुई हैं और अभी भी वो GTB अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हैं। जय से संक्रमण उनके परिवार में भी फैल गया इसकी चपेट में सबसे पहले उनके पिता आए। 6 जून को कन्फर्म हुआ की उनके पिता भी कोरोना संक्रमित हैं, उसके बाद उन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया लेकिन वो जल्द ही कोरोना से जंग हार गए और उन्होंने 7 जून को दम तोड़ दिया।

जय कोई अकेले शिक्षक नहीं हैं जो इस बीमारी की चपेट में आए हैं। दिल्ली में डेढ़ सौ से ज़्यादा शिक्षक संक्रमण की जद में आ चुके हैं। इससे भी गंभीर समस्या, ये है कि इस महामारी का शिकार शिक्षकों के साथ ही उनके परिवारों के लोग भी हो रहे हैं। जय के कोरोना संक्रमित होने के बाद उनके बड़े भाई जितेंद्र कुमार, जो खुद भी शिक्षक हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया और सरकार की व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर सवाल उठाए।

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उन्होंने 6 जून को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी और उसमें बताया कि उनके परिवार के चार व्यक्ति प्रशासन के कहने पर कोरोना ड्यूटी पर हैं लेकिन उनके और उनके परिवार की सुरक्षा का ठीक से ख्याल नहीं रखा जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार और प्रशासन से सभी कर्मचारियों की सुरक्षा करने का आग्रह भी किया। सभी कर्मचारियों को N 95 ( प्रतिदिन) मास्क और फेस शील्ड व ग्लव्स आदि प्रशासन द्वारा जल्द दिए जाने की भी मांग की।

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इसके बाद भी जितेंद्र ने अपनी कई पोस्टों में सरकार के रवैये को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, "...इस स्थिति के लिए दोषी नहीं हैं? क्या वे दोषी नही हैं जिन्होंने ड्यूटी पर भेज तो दिया लेकिन सुरक्षा व्यवस्थाओं के लिए कुछ नहीं किया। यहाँ उन सबकी पूरी जिम्मेदारी थी जिनको भी हमने जिस भी रूप में चुनकर भेजा, पर वे तो टीवी पर मास्क लगाकर कुछ-कुछ कहकर मनोबल बढ़ाकर, मन की बात कह कर, हमें बेमन करके चले जाते हैं। क्या इस तरह के नेतृत्व के लिए लोग आपको चुनते हैं! सारी व्यवस्थाओं को देखकर दुख होता है। कुछ लोग हो सकता है जी जान लगाकर नेतृत्व संभाल रहे हों। पर जो कुछ सामने है उससे अभी तक ये ही लगा कि वास्तव में इनका नेतृत्व, नेतृत्व लायक नही है।"

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हमने जितेंद्र से बात करने की कोशिश की लेकिन वो अपने बीमार परिजनों की सेवा करने में व्यस्त थे। इसके साथ शायद वो अभी मानसिक रूप से भी बात करने की स्थिति में नहीं थे। उन्होंने हमारा फोन उठाया भी और कहा, “देखिए मेरे पिता जी की मौत हो गई है, भाई आईसीयू में है और बहन भी कोरोना से संक्रमित है। मैं अभी आपसे बात नहीं कर सकता।” हमने भी उनकी स्थिति को देखकर ज्यादा कोशिश नहीं की।

इसी तरह दिल्ली के नगर निगम के अन्य शिक्षक सुमैंया हैं। आज उनका पूरा परिवार भी कोरोना माहमारी से जूझ रहा है। उनकी ड्यूटी भी राशन बाँटने में लगाई गई थी। जिसके बाद ही उनका परिवार कोरोना संक्रमित हुआ, सबसे पहले उनके पिता के संक्रमित होने की पुष्टि हुई। हालंकि सुमैंया और उनके पिता लगभग एक ही दिन 24 मई को बीमार हुए थे, लेकिन उनके पिता की उम्र अधिक होने के कारण वो ज्यादा गंभीर हो रहे थे। इसलिए आनन-फानन में बड़ी मशक्त से उनकी कोरोना जाँच GTB में कराई गई लेकिन उनकी जाँच रिपोर्ट आने में 5 दिन लग गए। जिसके बाद परिवार ने उन्हें एम्स में भर्ती कराया। वहां उनकी तत्काल कोरोना की जाँच हुई जिसमें उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई। जिसके बाद से ही वो आईसीयू में भर्ती हैं। इसके बाद पूरे परिवार की भी जाँच हुई जिसमें उनके एक भाई को छोड़ बाकी सब संक्रमित पाए गए।

सुमैंया ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि पिता जी के संक्रमण के पुष्टि के बाद भी अन्य घरवालों की जाँच कराने के लिए काफ़ी मश्कत करनी पड़ी परन्तु अंततः सभी का जाँच हो गई।

उन्होंने बातचीत में एक और बात बताई की उनके पिता भी सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल और समाजिक कार्यकर्ता भी है। हालांकि प्रशासन ने उनकी कोरोना में ड्यूटी नहीं लगाई थी लेकिन वो दिल्ली में हुए दंगों के बाद से ही लोगो की मदद कर रहे थे। जिस कारण संभवना यह भी है कि संक्रमण कहीं और से भी हुआ हो। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि राशन बाँटते हुए उन लोगों को कोई भी सुरक्षा उपकरण नहीं दिया जाता था।

'सरकार ने शिक्षकों को मरने के लिए मौत के मुंह में अकेला छोड़ दिया है'

यह सिर्फ़ एक जय या सुमैंया और उनके परिवार की कहानी नहीं है। दिल्ली में कम से कम अभी तक सरकारी राशन बांटते हुए 150 से अधिक शिक्षक संक्रमित हो चुके हैं। लगभग सभी ने संक्रमण के लिए कुव्यवस्था और सुरक्षा उपकरण के न होने की बात कही है। सरकार टीवी और अपने भाषणों में तो इन्हे कोरोना योद्धा और इनके तारीफ के पुल बांधती है लेकिन सच्चाई यह है की ये सरकार के लापरवाही का शिकार हो रहे हैं। ये योद्धा बिना किसी हथियार के युद्ध के मैदान में हैं। जिससे इनका जीवन संकट में आ गया, सिर्फ इन्हीं का नहीं सरकारी लापरवाही के कारण उनके परिवार भी इस माहमारी का शिकार हो रहे है।

दिल्ली गवर्मेंट टीचर एसोसिएशन के महसचिव अजयवीर यादव ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि सरकार ने शिक्षकों को मरने के लिए मौत के मुंह में अनाथ छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार हमसे राशन बँटवती है जोकि हमारा काम नहीं है फिर भी शिक्षकों ने विशेष परिस्थति को देखते हुए किया लेकिन सरकार हमारी सुरक्षा को लेकर चिंतित नहीं है, बाक़ी सुरक्षा की बात तो छोड़ दीजिए हमे मास्क और सैनिटाइजर तक नहीं दिया जाता है। जिसकी वजह से सैकड़ों शिक्षक संक्रमित हो रहे हैं और कई शिक्षकों की मौत हो चुकी हैं। पता नहीं सरकार हमे मरवाने पे क्यों तुली हुई है।

आगे उन्होंने कहा कि अब जब स्थतियाँ सामान्य हो गई हैं सब कुछ खुल गया है फिर भी हमसे राशन क्यों बंटवाया जा रहा है? यह काम जिस विभाग का है उससे क्यों नहीं करवाया जा रहा है।

अजयवीर आगे कहते है कि सरकार अब हमेशा संक्रमित हुए व्यक्तियों के घरों की टेपिंग भी करा रही है, जो कि कहीं से भी उचित नहीं है। शिक्षक का काम पढ़ाना है लेकिन सरकार उनसे एक डी ग्रुप के कर्मचारी के तरह व्यवहार कर रही है। अगर कोई सवाल उठाता है तो उन्हें कार्रवाई की धमकी दी जाती है।

राशन बाँटने में खतरे को देखते हुए कई शिक्षकों ने सरकार को पत्र लिखकर अपना विरोध भी दर्ज कराया है।

सभी शिक्षकों का टेस्ट कराया जाए :शिक्षक न्याय मंच

शिक्षक न्याय मंच नगर निगम के अध्यक्ष कुलदीप सिंह खत्री का कहना है कि नगर निगम के शिक्षक पिछले 2 माह से राशन बांट रहे हैं। जिस कारण कई शिक्षक कोरोना संक्रमित हो गए है, इसलिए ज़रूरी है कि सभी का कोरोना टेस्ट करवाया जाए।

निगम के शिक्षकों और कर्मचारियों को 3 महीने से वेतन नहीं मिलने की शिकायत करते हुए कुलदीप सिंह खत्री ने कहा कि पिछले दिनों राशन बांटने के दौरान नगर निगम की एक महिला शिक्षक कोरोना पॉजिटिव हो गई थी, जिसकी बाद में मौत हो गई, इस घटना से सभी लोग डरे हुए हैं।

दिल्ली में कोरोना केस 30 हज़ार के पार और मौत के आंकड़े भी हज़ार पार

दिल्ली कोरोना के कुल केस के मामले में शीर्ष 3 राज्यों में शामिल है। अब तक यहां 34 हज़ार 687 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 1085 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि 12731 लोग ठीक भी हो चुके हैं। लेकिन आशंका जताई जा रही है कि कोरोना संक्रमण के मामले में दिल्ली जल्द ही मुंबई को पीछे छोड़ देगी। क्योंकि दिल्ली में कोरोना के मामले अब बेहद तेजी से बढ़ रहे है। पिछले 24 घंटों यानी गुरुवार सुबह 8 बजे से शुक्रवार सुबह 8 बजे तक राजधानी दिल्ली में कोरोना के 1877 नए मरीज सामने आए जो एक दिन में कोरोना मरीजों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। यह पहली बार है कि जब दिल्ली में कोरोना वायरस के 1800 से ज्यादा मामले एक दिन में आए हैं। इससे पहले तीन जून को सबसे ज्यादा 1513 मामले सामने आए थे। जबकि इन 24 घंटों में दिल्ली में 101 लोगों ने दम तोड़ा।

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