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दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की निर्भया के दोषी पवन गुप्ता की याचिका, वकील पर लगा जुर्माना

पवन ने खुद को घटना के समय नाबालिग होने की दावा करने वाली अर्जी 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई थी। निचली अदालत पहले ही उसकी अर्जी खारिज कर चुका है, जिसके बाद वो अपील करने हाईकोर्ट आया था।
nirbhaya case
Image courtesy: One India

दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चार दोषियों में शामिल पवन गुप्ता की याचिका खारिज़ कर दी है। साथ ही इस मामले में कोर्ट ने वकील पर जुर्माना भी लगाया है। पवन ने याचिका दाखिल कर कहा था कि वर्ष वह 2012 में वारदात के वक्त नाबालिग था और इसलिए उसे जस्टिस जुविनाइल एक्ट के तहत देखा जाए।

बता दें कि इससे पहले पवन ने खुद को घटना के समय नाबालिग होने की दावा करने वाली अर्जी 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई थी, जिसे निचली अदालत पहले ही खारिज कर चुका है, जिसके बाद वो अपील करने हाईकोर्ट आया था।

आज क्या-क्या हुआ कोर्ट में?

मामले की सुनवाई शुरू होने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई 24 जनवरी तक टाल दी थी, इसकी वजह दोषी पवन के वकील एपी सिंह ने कोर्ट से इस मामले में नए कागजात दाखिल करने के लिए समय मांगना था। लेकिन 'निर्भया' के वकीलों ने इसका विरोध करते हुए सुनवाई टाले जाने पर आपत्ति जाहिर की। जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपने 24 जनवरी तक के लिए सुनवाई टालने के आदेश को वापस ले लिया।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कई बार पत्र भेजे जाने के बावजूद पेश नहीं हुए दोषी के वकील ए पी सिंह पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने कहा कि बार-बार लुकाछिपी के कारण कोर्ट का समय बर्बाद हो रहा है। अदालत ने दिल्ली बार काउंसिल को दोषी की उम्र के संबंध में अदालत में जाली हलफनामा दाखिल करने के लिए वकील के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।

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दरअसल पवन ने यह दावा किया था कि दिसंबर 2012 में जब ये अपराध हुआ, तब वो नाबालिग था। पवन ने घटना के समय नाबालिग घोषित करने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने उसकी उम्र का पता लगाने के लिए हड्डियों संबंधी जांच नहीं की। उसने जुवेनाइल जस्टिस कानून के तहत छूट का दावा किया। अपनी याचिका में दोषी ने कहा कि जेजे कानून की धारा 7ए में प्रावधान है कि नाबालिग होने का दावा किसी भी अदालत में किया जा सकता है और इस मुद्दे को किसी भी समय यहां तक कि मामले के अंतिम निपटारे के बाद भी उठाया जा सकता है।

अदालत ने पवन को मौत की सजा सुनाई है और फिलहाल वो दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। उसने अनुरोध किया कि संबंधित प्राधिकरण को उसके नाबालिग होने के दावे का पता लगाने के लिए हड्डियों संबंधी जांच करने का निर्देश दिया जाए।

गौरतलब है कि दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने एक चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया का सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। इस घटना की निर्ममता के बारे में जिसने भी पढ़ा-सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए। इस घटना के बाद पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए और महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था।

इस मामले के चार दोषी विनय शर्मा, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह को मृत्युदंड सुनाया गया। एक अन्य दोषी राम सिंह ने 2015 में तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी और नाबालिग दोषी को सुधार गृह में तीन साल की सजा काटने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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