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दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार और यूपी पुलिस की गिरती साख!

‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा' मोटो के साथ इनदिनों यूपी पुलिस आम लोगों की छोड़िए कानून की रक्षा भी नहीं कर पा रही। दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना सूचना दिल्ली से गिरफ़्तारी के एक मामले में यूपी पुलिस को जमकर फटकार लगाते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कहीं।
UP Police
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

उत्तर प्रदेश पुलिस आए दिन अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में बनी रहती है। कभी गाड़ी पलटने के बाद एनकाउंटर हो, या पीड़ित को और प्रताड़ित करने का मामला। कभी पिस्तौल की जगह मुंह से ठांय-ठांय बोलकर हीरो बनते दारोगा हों या फिर कथित लव जिहाद के केस में सुपर एक्टिव अंदाज़ में प्रेमी जोड़ों को पकड़ कर केस करना हो, इन सब मामलों में यूपी पुलिस ‘सदैव तत्पर’ रहती है। अपराध, विवाद में कानून का सही ढ़ंग से पालन हो रहा है या नहीं इससे यूपी पुलिस को शायद कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो इलाहाबाद हाईकोर्ट की कई बार फटकार के बाद अब दिल्ली हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस को अपहरण के एक मामले में तगड़ी झाड़ लगाई है।

बता दें कि यूपी पुलिस ने अपहरण के एक मामले में दिल्ली से दो लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि ऐसा करते हुए उसने कानून का सही ढंग से पालन नहीं किया। दिल्ली हाईकोर्ट में जब मामला पहुंचा तो कोर्ट ने यूपी पुलिस की इस कार्रवाई को ‘अवैध’ बताते हुए यह तक कह डाला कि ऐसा यूपी में चलता होगा यहां नहीं।

क्या है पूरा मामला?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मामला दिल्ली के एक व्यक्ति और यूपी की एक महिला से जुड़ा है। दोनों ने इसी साल 1 जुलाई को परिजनों की मर्जी के खिलाफ शादी कर ली थी। लड़की के परिवार ने इसकी शिकायत यूपी पुलिस को कर दी और अपहरण का आरोप लगाकर मामला दर्ज करा दिया गया। इसके बाद यूपी पुलिस ने दिल्ली आकर लड़के के पिता और भाई को उनके दिल्ली स्थित घर से उठा लिया। ये कार्रवाई बीती 6 अगस्त की देर रात की गई थी। अब इसी गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार, 28 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश पुलिस को कड़ी फटकार लगाई।

लाइव लॉ के मुताबिक इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने यूपी पुलिस से साफ कहा कि इस तरह की ‘अवैध’ कार्रवाई देश की राजधानी में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दिल्ली में इन सब की इजाजत नहीं दी जाएगी। आप यहां गैर-कानूनी कार्य नहीं कर सकते हैं।

मालूम हो कि नव-विवाहित जोड़े ने कोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि दोनों बालिग हैं और उन्होंने लड़की के परिजनों की इच्छा के विरुद्ध एक जुलाई 2021 को शादी की थी। जोड़े के अनुसार उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं और लड़के के भाई तथा पिता को यूपी पुलिस करीब डेढ़ महीने पहले गिरफ्तार करके ले गई थी और उनका कोई पता नहीं चल रहा है।

पुलिस महिला तक तो पहुंची नहीं, फिर परिजनों की गिरफ़्तारी को क्यों दौड़ पड़ी?

इस मामले में तथ्यों की पड़ताल करने के बाद कोर्ट ने यूपी के एसएचओ शामली को निर्देश दिया है कि वे पूरी केस फाइल के साथ न्यायालय के समक्ष उपस्थित हों। अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तथ्यों का पता लगाये बिना और यह पता किए बिना कि पक्षकार बालिग हैं या नाबालिग, उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तारियां की गईं। अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई कि पुलिस महिला तक तो पहुंची नहीं, लेकिन उसके पति के पिता और भाई को गिरफ़्तार करने के लिए जरूर दौड़ पड़ी।

कोर्ट ने ये भी कहा कि इस केस में उत्तर प्रदेश पुलिस ने हर कदम पर क़ानून का उल्लंघन किया है। जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने यूपी पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा कि वो कोर्ट के सामने शामली रूट की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग रखे ताकि पता चले कि असल में गिरफ्तारी कहां से की गई।

उन्होंने कहा, “मैं सारे सीसीटीवी निकलवा लूंगी और अगर मुझे ये मिल गया कि शामली पुलिस दिल्ली आई थी तो मैं आप सबके खिलाफ डिपार्टमेंटल इंक्वाली शुरू करवा दूंगी।”

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि मामले में किसी भी अवैध गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी। पुलिस को क़ानून के अनुसार कार्रवाई करनी होगी। पीठ ने कहा कि यह एक सामान्य कानून है कि याचिकाकर्ता नंबर 2 के पिता और भाई को दिल्ली पुलिस को बताए बिना उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और ले नहीं जाया जा सकता।

‘आप अपनी मर्ज़ी से किसी को भी उठाकर नहीं ले जा सकते'

अदालत की फटकार इसके बाद भी जारी रही। कोर्ट ने आगे कहा, “अगर आप बिल्कुल आंख बंद करके और दिमाग़ बंद करके काम करते हैं तो इसका हमारे पास कोई इलाज नहीं। आप अपनी मर्ज़ी से किसी को भी उठाकर नहीं ले जा सकते। यही क़ानून कहता है ना?”

इससे पहले मंगलवार, 26 अक्टूबर जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने दंपति की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि यह एक अति सामान्य कानून है कि दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आने वाले व्यक्तियों को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उसे सूचित किए बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

तब जस्टिस मुक्ता ने पारित आदेश में कहा था, “कोई यह समझ नहीं पाया कि याचिकाकर्ता नंबर एक बालिग है और उसने अपनी मर्जी से अपने माता-पिता का घर छोड़ा है और उसने याचिकाकर्ता नंबर 2 से शादी की है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 366 और धारा 368 के तहत अपराध कैसे बनता है।"

दिल्ली पुलिस ने क्या कहा?

यूपी पुलिस की कार्रवाई पर दिल्ली पुलिस का भी एक पक्ष है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक यूपी पुलिस ने उसे बताया था कि महिला की मां की शिकायत पर उसने दिल्ली से दो लोगों की गिरफ़्तारी की थी, लेकिन इस कार्रवाई से पहले उसने दिल्ली आने की सूचना यहां की पुलिस को नहीं दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक महिला की उम्र 21 साल है। यानी वो नाबालिग नहीं है।

अदालत में जब महिला की उम्र पर सवाल उठे तो कोर्ट ने यूपी पुलिस को और फटकार लगाते हुए कहा, “अगर आपको और आपके जांच अधिकारी को नहीं पता कि जांच कैसे की जाती है तो इसका कोई इलाज मेरे पास नहीं है।”

सुनवाई के दौरान अदालत ने पुलिस को तुरंत महिला का बयान लेने का निर्देश दिया। ये भी कहा कि कोर्ट यूपी पुलिस को महिला को अपनी ज्यूरिस्डिक्शन से बाहर ले जाने नहीं देगी।

जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा, "आप वहां (यूपी में) ले जाकर प्रताड़ित नहीं कर सकते। मैं उनको यहां दिल्ली के क्षेत्राधिकार से नहीं जाने दूंगी।"

यूपी पुलिस की गिरती साख

गौरतलब है कि यूपी पुलिस अक्सर ही अपनी कार्रवाई को लेकर सुर्खियों में रहती है। बीते साल ही बहुचर्चित हाथरस कांड में भी पुलिस की भूमिका पर कई सवाल खड़े हुए थे। तब भी पुलिस पर मामले को गंभीरता से न लेने का आरोप था। घटना के 10 दिन बाद तक पुलिस ने किसी की गिरफ़्तारी नहीं की थी। इतना ही नहीं पुलिस और प्रशासन पर पीड़िता के परिवार की सहमति के बिना ही उसका अंतिम संस्कार किए जाने का भी गंभीर आरोप है।

योगी सरकार महिला सुरक्षा के मोर्चे पर तो लगातार विफल नज़र ही आती है लेकिन बीते कुछ समय में खस्ता कानून व्यवस्था और शासन-प्रशासन की पीड़ित को प्रताड़ित करने की कोशिश, बलात्कार और हत्या जैसे संवेदशील मामलों में एक अलग ही ट्रैंड सेट करता दिखाई पड़ रहा है। प्रदेश में कथित लव जिहाद के ख़िलाफ़ नए कानून के तहत कई मामले दर्ज हुए, कुछ में लोगों की गिरफ़्तारी भी हुईं। हालांकि कुछ कट्टरवादी हिंदू संगठनों का दबाव, पुलिस की अतिसक्रियता और बीते समय के गड़े मुर्दे उखाड़ने की कोशिश के चलते ये मामले सवालों के घेरे में ही रहे। कई बार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुद पुलिस के साथ-साथ सरकार को भी लताड़ लगाई, लेकिन इन सब के बावजूद यूपी पुलिस अपनी छवि रोज बद से बदतर करवाती जा रही है।

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