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दिल्ली: बवाना औद्योगिक क्षेत्र में फिर फैक्ट्री में लगी आग, मज़दूरों ने उठाए गंभीर सवाल

प्लास्टिक दाना बनाने की फैक्ट्री में हुए इस हादसे में किसी भी मज़दूर के हताहत होने की सूचना नहीं है। मज़दूरों के मुताबिक जिस फैक्ट्री में यह हादसा हुआ वहां लगभग 35 लोग काम करते थे।
फैक्ट्री में लगी आग

दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में एकबार फिर प्लास्टिक का दाना बनाने की फैक्ट्री में सोमवार दोपहर आग लग गई। आग लगने की सूचना पर पुलिस और दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे। आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड की 30 से अधिक गाड़ियों को मौके पर लगाया गया। परन्तु आग इतनी भयावह थी कि खबर लिखे जाने तक यानि मंगलवार दोपहर 12 बजे तक इस पर काबू नहीं पाया जा सका था। हालांकि राहत भरी खबर यह रही कि इस हादसे में किसी भी मज़दूर की हताहत होने की सूचना नहीं है।

आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। दमकलकर्मियों के अनुसार मौके पर फिलहाल ऑपरेशन चल रहा है कुछ भी कहा जा सकता है।

आपको बता दें बवाना औद्योगिक क्षेत्र यह कोई पहली घटना नहीं है। यहां इस तरह की घटना लगातार घटित होती रहती है लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इस औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्लास्टिक दाने का काम होता है। मज़दूरों के मुताबिक जिस फैक्ट्री में यह हादसा हुआ वहां लगभग 35 मज़दूर काम करते थे। जिस वक्त आग लगी थी, उस समय सारे मज़दूर फैक्ट्री में ही थे। लेकिन आग बेसमेंट में लगी थी इस वजह से मज़दूरों को निकलने का थोड़ा समय मिल गया।

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मजदूरों और दमकलकर्मियों के मुताबिक जिस फैक्ट्री में आग लगी वह लगभग 500 गज में है और वहां एक ही बिल्डिंग में कपड़े और प्लास्टिक दोनों की फैक्ट्री थी। जहाँ किसी आपात स्थिति के लिए कोई भी इमरजेंसी गेट नहीं था और न ही वहां आग से निपटने के लिए कोई पुख्ता सुरक्षा के उपकरण थे। इस हादसे में समय रहते मज़दूर निकल गए वरना फिर वही घटना दोहराई जाती, जैसी पटाखा फैक्ट्री में आग लगी थी जिसमें 50 से ज्यादा मज़दूर मारे गए थे। दिल्ली में आग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि ये आग लग क्यों रही है?

मजदूर यूनियन ने उठाए गंभीर सवाल

बवाना औद्योगिक क्षेत्र मज़दूर यूनियन ने इस हादसे और लगातार दिल्ली हो रही घटनाओं को लेकर गंभीर सवाल किए हैं। उन्होंने पूछा है कि "आखिर क्यों बवाना से लेकर पूरी दिल्ली के कारखानों में आग लगती रहती है? क्यों इसपर कोई कारवाई नही होती? जवाब साफ है! आज बवाना से लेकर पूरे दिल्ली के कारखानों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नही है। मालिकों द्वारा हर रोज अपने मुनाफे की हवस को पूरा करने के लिए मज़दूरों की जान को जोखिम में डाला जाता है।"

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उन्होंने आगे कहा "अगर बवाना की बात करें तो, यहाँ दाना लाइन के ही सबसे अधिक कारखाने है और यहाँ काम करते वक़्त जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है। आये-दिन यहां आग लगने से लेकर, दाने की मशीन में हाथ कटने की खबरें आती रहती हैं। मालिकों द्वारा श्रम कानून लागू करना तो दूर की बात है, अभी कोरोना के समय में भी मॉस्क व सेनेटाइजर तक भी उपलब्ध नहीं कराए जाते। जब महामारी के समय में बुनियादी सुरक्षा के ये हाल है तो अन्य समय बात ही क्या।"

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यूनियन नेताओं ने दिल्ली सरकार पर भी गंभीर सवाल किये और कहा "केजरीवाल सरकार जो खुद को मज़दूरों का मसीहा मानती है परन्तु इन सब घटनाओं पर चुप्पी मार लेती है।"

दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों की कड़वी सच्चाई है कि सरकार के लाख घोषणाओं के बाद भी मज़दूर को न सुरक्षा और न ही न्यूनतम वेतन मिलता है। इस पर सवाल करते हुए मज़दूर नेता भारत कहते हैं कि "जब श्रम कानून लागू करवाने की बात आती है तो, उनके श्रम मंत्री बड़े बेशर्मी से बोल देते है कि पूरे दिल्ली में सिर्फ चौसठ औद्योगिक यूनिट में श्रम कानून लागू नहीं हो रहा। मालिकों के खिलाफ कभी इनका मुंह नही खुलता, क्योंकि इन्हीं मालिकों के हितों की रक्षा करने के लिए तो ये "आम आदमी" मुख्यमंत्री बना है। दूसरी तरफ ये फ़ासीवादी मोदी सरकार जो भी कागज़ों पर श्रम कानून बचे हैं, उन्हें भी खत्म करने की योजना को अमलीजामा पहना चुकी है। "

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