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दिल्ली सरकार देगी राशन कार्ड धारकों को मुफ़्त राशन, ऑटो-टैक्सी चालकों को मिलेगी आर्थिक मदद

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सोमवार को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को असंगठित क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों के श्रमिकों समेत समाज के ‘बेज़ुबान एवं हाशिये पर रहने वाले’ लोगों को उपयुक्त एवं पर्याप्त राहत प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद सरकार ने इन राहतों का ऐलान किया है।
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नयी दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली सरकार अगले दो महीने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में 72 लाख राशन कार्डधारकों को मुफ़्त राशन तथा ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों को 5,000 रुपये की आर्थिक सहायता देगी।

आपको बता दें दिल्ली उच्च न्यायालय ने  सोमवार को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को असंगठित क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों के श्रमिकों समेत समाज के ‘बेजुबान एवं हाशिये पर रहने वाले’ लोगों को उपयुक्त एवं पर्याप्त राहत प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 मई को होगी। दिल्ली सरकार ने इसके बाद ही आज यानी मंगलवार को दिल्ली की ग़रीब जनता के लिए कुछ राहत का एलान किया है।

मुख्यमंत्री ने ऑनलाइन प्रेस वार्ता में कहा कि इसका यह मतलब नहीं है कि संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन दो महीने तक लागू रहेगा।

राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए 10 मई तक लॉकडाउन लागू है।

केजरीवाल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली में हालात सुधरेंगे और लॉकडाउन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ दिल्ली में 72 लाख राशन कार्डधारकों को अगले दो महीने तक निशुल्क राशन दिया जाएगा। दो महीने तक मुफ्त राशन देने के हमारे फैसले का का यह अर्थ नहीं है कि संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन दो महीने तक लगा रहेगा। हमने कोविड-19 को काबू में लाने के लिए लॉकडाउन लगाया और मैं आशान्वित हूं कि हम यथाशीघ्र इसे समाप्त करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार ने पिछले साल लॉकडाउन के दौरान 1.56 लाख ऑटो और टैक्सी चालकों को पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी थी और हम उनकी मदद इस बार भी ऐसा ही करेंगे।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कोविड-19 पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन लगाया लेकिन इससे लोगों खासकर गरीबों एवं दिहाड़ी मजदूरों के लिए आर्थिक संकट पैदा हो गया।

पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार ने निर्माण श्रमिकों के लिए 5000-5000 रूपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की थी।

दिल्ली की वर्तमान स्थिति को ‘बहुत खराब दौर’ करार देते हुए केजरीवाल ने लोगों से अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन, दवाइयां ढूढने एवं आवश्यकता पड़ने पर भोजन उपलब्ध कराने में एक दूसरे की सहायता करने की अपील की।

उन्होंने राजनीतिक दलों से भी लोगों की सहायता करने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘ यह राजनीति करने का समय नहीं है। हर व्यक्ति, चाहे वह भाजपा से जुड़ा हो या कांग्रेस से या आप से, को उन सभी की सहायता करनी चाहिए, जिन पर महामारी की भयंकर मार पड़ी है।’’

न्यायालय ने क्या कहा था?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को असंगठित क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों के श्रमिकों समेत समाज के ‘बेजुबान एवं हाशिये पर रहने वाले’ लोगों को उपयुक्त एवं पर्याप्त राहत प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।

न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ की राय थी कि "महामारी की भयावहता के मद्देनज़र प्रशासन की ओर से ठोस क़दम उठाने की ज़रूरत है ताकि समाज के उस तबक़े को उपयुक्त और पर्याप्त राहत दी जा सके जो अपनी आवाज़ नहीं उठा सकते और जो हाशिये पर हैं।"

पीठ ने वकील अभिजीत पांडे की अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने दिल्ली में सभी प्रवासी श्रमिकों का असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम के तहत पंजीकरण करने एवं उन्हें मुफ़्त दवाईयां एवं चिकित्सा सुविधाएं देने का अनुरोध किया है।

याचिका में केंद्र एवं दिल्ली सरकार को यह भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे राष्ट्रीय राजधानी में सभी प्रवासी श्रमिकों को अंतर-राज्यीय प्रवासी अधिनियम की आय अंतरण योजना के तहत पैसे का भुगतान करें।

अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से इस याचिका पर जवाब मांगा है।

पीठ ने यह भी आदेश दिया कि इस अर्ज़ी को मुख्य सचिव के लिए प्रतिवेदन के रूप में लिया जाए ‘‘जिन्हें ‘घर से काम करने वाले श्रमिकों’, ‘स्वरोज़गार श्रमिकों’ और असंगठित श्रमिकों की ख़ातिर दो सप्ताह के अंदर संगठित कदम वाली योजना बनाने का निर्देश दिया जाता है।"

हालांकि अभी भी दिल्ली सरकार की इन राहतों से प्रवासी मज़दूरों को समर्थन नहीं मिल पायेगा जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, और वे टैक्सी-ऑटो ड्राइवर जो किराये की गाड़ी चलाते हैं, उन्हें कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। देखना होगा कि अगली तारीख़ में दिल्ली सरकार अदालत में इनको लेकर क्या योजना पेश करती है।

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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