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दिल्ली दंगा मामला: पुलिस ने अदालत में उमर खालिद की ज़मानत याचिका का किया विरोध

दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध किया है, जिन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे की साजिश के कथित एक मामले में ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस द्वारा पिछले एक साल में यूएपीए जैसे आतंकरोधी कानूनों का इस्तेमाल बढ़ा है। सरकार ने मंगलवार को बताया कि दिल्ली पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 में यूएपीए के तहत 9 मामले दर्ज किये गए और 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
दिल्ली दंगा मामला: पुलिस ने अदालत में उमर खालिद की जमानत याचिका का किया विरोध

नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध किया है, जिन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे की साजिश के कथित एक मामले में ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि दंगे एक साल से अधिक हो जाने  के बाद भी दिल्ली पुलिस कोई ठोस सबूत नहीं दे पाई है। खालिद सहित  छात्र नेता और सामजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने इसी तरह के मामलों में गिरफ़्तार किया था।  ऐसे ही एक अन्य मामले पिंजड़ा तोड़ की नताश नरवाल ,देवांगन कलिता और जामिया के छात्र आसिफ इक़बाल तन्हा को जमानत दे दी गई है।

दिल्ली पुलिस द्वारा पिछले एक साल में यूएपीए जैसे आतंकरोधी कानूनों का इस्तेमाल बढ़ा है। ये सरकार ने खुद माना है।  हालाँकि किसी भी सभ्य समाज में इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल सरकार का विरोध करने वालों पर लगाना बहुत ख़तरनाक है।  ये बात दिल्ली हाईकोर्ट ने भी अपने एक आदेश में दोहराई थी।

खौर सरकार ने मंगलवार को बताया कि दिल्ली पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 में  यूएपीए के तहत 9 मामले दर्ज किये गए और 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

लोकसभा में माला राय के प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2020 के दौरान विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत 9 मामले दर्ज किये गए और 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया।’’

गृह राज्य मंत्री ने कहा कि इन मामलों में और अधिक ब्योरे का खुलासा करना व्यापक जनहित में नहीं होगा क्योंकि इससे मामले प्रभावित हो सकते हैं।

खालिद के मामले में पुलिस ने कोर्ट में कहा कि वह आरोपी के विरुद्ध ‘प्रथम दृष्टया’ मामला दिखाएगी। खालिद की जमानत याचिका के जवाब में अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त आलोक कुमार ने कहा कि अभियोजन पक्ष, मामले में दायर आरोपपत्र के हवाले से अदालत में आरोपी के विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला दिखाएगा।

अगर यहाँ पुलिस की बात को ही माने तो अभी वो खालिद के खिलाफ मामला दिखाएगी यानि जेल में रहने के एक साल अधिक हो जाने के बाद भी पुलिस अभी तक  कोई सबूत कोर्ट के सामने पेश नहीं कर पाई है।  

कुमार ने 26 जुलाई को दाखिल किये गए जवाब में कहा, “इस आवेदन में कोई दम नहीं है क्योंकि आरोपपत्र के हवाले से अदालत में दिखाया जाएगा और इसलिए अभियोजन आवेदन के उत्तर में विस्तृत जवाब दायर नहीं करना चाहता।” पुलिस ने यह भी कहा कि मामला एक बड़ी साजिश का हिस्सा है और यह छह मार्च 2020 को दर्ज हुआ था।

पुलिस ने कहा कि मामले के संबंध में गिरफ्तार किये गए 21 लोगों में से पुलिस ने 18 के विरुद्ध आरोपपत्र दायर किया है। खालिद की जमानत याचिका पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत में सात अगस्त दोपहर 12 बजे सुनवाई होगी। उल्लेखनीय है कि खालिद को दंगे से संबंधित एक अन्य मामले में जमानत दे दी गई थी।

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