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यौन शोषण के आरोपी बीजेपी मंत्री संदीप सिंह की बर्ख़ास्तगी और गिरफ़्तारी की मांग, ज़ोरदार प्रदर्शन

संदीप सिंह पर एफआईआर दर्ज हुए 20 दिन से अधिक का समय बीत गया है। वो अभी भी कैबिनेट मंत्री के पद पर बने हुए हैंं, वहीं एसआईटी के हाथ खाली हैं। महिला और नागरिक संगठन लगातार इसका विरोध कर रहे हैं।
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खेलों में लगातार शोषण और उत्पीड़न की खबरों के बीच हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह को कैबिनेट से हटाने और उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत 15 से अधिक संगठनों ने रविवार, 22 जनवरी को पंचकूला-चंडीगढ़ बार्डर पर जोरदार प्रदर्शन किया। इन संगठनों का 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चंडीगढ़ राजभवन भी पहुंचा, जहां राज्यपाल के सचिव को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया। फिलहाल ये सभी संगठन अपनी मांगों को लेकर आगे की रणनीति बना रहे हैं और इनका कहना है कि अगर सरकार इनकी मांगों की अनदेखी करती है तो भविष्य में एक बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है।

बता दें कि 'फ्लिकर किंग' के नाम से मशहूर भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और हरियाणा में बीजेपी के नेता संदीप सिंह के ख़िलाफ़ यौन प्रताड़ना के आरोप में बीते साल 31 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही घंटों बाद संदीप सिंह ने खेल मंत्रालय का जिम्मा सीएम मनोहर लाल खट्टर को सौंप दिया था। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में लगभग 25 दिन बीत जाने के बाद भी चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। संदीप सिंह अभी भी कैबिनेट मंत्री के पद पर बने हुए हैं। जिसका विरोध महिला और नागरिक संगठन लगातार कर रहे हैं।

महिला और जन संगठनों ने मोर्चा खोला

एडवा की हरियाणा राज्य अध्यक्ष सविता ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया कि संदीप सिंह मामले में हरियाणा राज्य सरकार पीड़िता को न्याय के लिए आश्वस्त करने की बजाए आरोपी मंत्री के पक्ष में खड़ी नज़र आ रही है। आरोपी मंत्री अभी भी मंत्रिमंडल में बने हुए हैं, जो तमाम जांच को प्रभावित करते हुए आरोप लगाने वाली महिला कोच के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।

सविता ने आगे बताया, “रविवार 22 जनवरी को एडवा और विभिन्न संगठन संदीप सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सेक्टर-5 के एक पार्क में इकट्ठा हुए। इसके बाद जब प्रदर्शनकारी यहां से चंडीगढ़ राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के लिए निकल रहे थे, तभी पुलिस ने चंडीगढ़-पंचकूला बॉर्डर पर उन्हें रोक लिया। जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों में थोड़ी धक्का-मुक्की भी हुई। बहुत कहने-सुनने के बाद 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चंडीगढ़ राजभवन पहुंचा और राज्यपाल की अनुपस्थिति में उनके सचिव को ज्ञापन सौंपा गया।"

सीएम जांच प्रक्रिया को कर सकते हैं प्रभावित?

इस ज्ञापन के मुताबिक “जूनियर कोच पद पर कार्यरत एक होनहार अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ने हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं।...लेकिन खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जांच प्रक्रिया के बीच उसे प्रभावित करने के इरादे से शिकायतकर्ता खिलाड़ी के आरोपों को अनर्गल बताते हुए मीडिया में कई बयान जारी किए। मुख्यमंत्री का यह बयान पद और गोपनीयता की शपथ का सीधा सीधा उल्लंघन है। यह मामला चिंताजनक इसलिए भी है क्योंकि शिकायतकर्ता खिलाड़ी कोच को लगातार बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। पुलिस सुरक्षा देने के नाम पर मानसिक शोषण किया जा रहा है। इसके अलावा धमकियां देने का दौर भी चला हुआ है। ये सब बहुत गंभीर मामला है।"

प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन में अपनी प्रमुख मांगों के बारे में लिखा है कि यौन शोषण पीड़िता को सुरक्षा, संबल और करुणामय व्यवहार मिले। मंत्री संदीप सिंह को तुरंत मंत्रिमंडल व हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से हटाते हुए गिरफ्तार किया जाए ताकि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो पाए। इसके अलावा मुख्यमंत्री पीड़िता को दोषी ठहराने वाले अपने आपत्तिजनक बयानों को वापस लेते हुए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे और पूरे मामले की जांच माननीय पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट की निगरानी में करवाई जाए।

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खेल संस्थाओं की लोकतांत्रिक एवं जवाबदेह कार्य प्रणाली सुनिश्चित हो

ज्ञापन में आगे लिखा है कि विधानसभा की उचित समिति, मंत्री एवं मुख्यमंत्री के आचरण पर समुचित कार्रवाई करे। साथ ही पीड़िता की सुरक्षा का समुचित प्रबंध हो और उसके रहने के लिए सरकारी क्वार्टर में व्यवस्था हो। इसके अलावा धमकी देने लांछित करने वाली खेल विभाग की अधिकारी को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।

इन संगठनों ने खेलों से संबंधित संस्थाओं की लोकतांत्रिक एवं जवाबदेह कार्य प्रणाली सुनिश्चित करने की मांग के साथ विभिन्न संघों के अध्यक्ष, महासचिव जैसे पदों पर भूतपूर्व खिलाड़ियों की ही तैनाती सहित खिलाड़ी लड़कियों के लिए खेल का स्वस्थ, सुरक्षित और प्रोत्साहन का वातावरण बनाने और खेल संघों व सभी कार्यस्थलों पर कानून अनुसार यौन हिंसा विरोधी समितियां गठित करने की बात भी रखी है।

इस ज्ञापन को एडवा, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू), अखिल भारतीय किसान सभा, संयुक्त किसान मोर्चा, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन, एक्स सर्विसमैन फेडरेशन, स्टूडेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया, कामकाजी महिला समन्वय समिति, कामकाजी महिला सब कमेटी, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन, विकलांग अधिकार मंच, रिटायर्ड कर्मचारी संघ, हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति, नागरिक मंच रोहतक की ओर से जारी किया गया है।

ध्यान रहे कि हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय पहलवानों का भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन देखने को मिला था। ये शायद देश के इतिहास में पहली बार था जब ओलंपिक्स, एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को कई पदक दिलाने वाली महिला कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया समेत देश के 30 से अधिक दिग्गज पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे। धरने पर बैठे खिलाड़ियों ने संघ पर यौन शोषण, अत्याचार और साजिश का आरोप लगाया लगाया था। तीन दिन का ये प्रदर्शन 20 जनवरी को देर रात खत्म हुआ। इस दौरान जंतर-मंतर पर खिलाड़ियों का हुजूम, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और पहलवानों के बीच की दौर की लंबी बातचीत और फिर साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस देखने को मिली थी।

भारतीय ओलंपिक संघ को भी लिखी चिट्ठी

उस वक्त खिलाड़ियों की एकजुटता में जंतर-मंतर पर मौजूद भीम अवार्डी, अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी और एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान ने न्यूज़क्लिक से बातचीत के दौरान बताया था कि वे बीते 15 दिन से हरियाणा राज्य में बीजेपी के नेता संदीप सिंह को गिरफ़्तार करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकारी मशीनरी उन्हें बचाने में लगी है। उस दौरान उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि ये समय हरियाणा व देश की महिला खिलाड़ियों के साथ खड़े होने का समय है।

22 जनवरी के प्रदर्शन और आगे की रणनीति पर जगमति बताती हैं कि ये प्रदर्शन महिला खिलाड़ियों की एकजुटता में था। आगे की रणनीति और आंदोलन की रूपरेखा अभी अन्य संगठनों के साथ मिलकर तय होंगीं। फिलहाल मीटिंग बुलाई गई हैं और गणतंत्र दिवस और 28 जनवरी को भी इस पर चर्चा होगी। जगमति सांगवान ने इस मामले में भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को चिट्ठी भी लिखकर पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह की सभी सरकारी पदों से बर्खास्तगी की मांग की है।

गौरतलब है कि लंबे समय से आलोचक खेल संगठनों का नेतृत्व राजनेताओं के हाथ में होने को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। नेताओं, मंत्रियों और नौकरशाहों या उनके परिवार के लोगों को स्पोर्ट्स बॉडी का नेतृत्व सौंपने के आधार पर कई बार देश में सवाल भी उठे हैं। इसका सबसे बढ़िया उदाहरण आपको देश के सबसे लोकप्रिय और कमाऊ खेल क्रिकेट की गवर्निंग बॉडी में दिखेगा, जहां वर्तमान सचिव जय शाह, गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं। बहरहाल, इस पूरे मामले में खिलाड़ियों के यौन शोषण के अलावा एक मुख्य पहलू खेल संगठनों का नेतृत्व भी है। ऐसे में अब देखना होगा कि राजनीति और खेल के इस मसले का कोई समाधान निकलता भी है या नहीं।

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