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किसानों के भारत बंद के आह्वान पर बिहार में प्रदर्शन व रैली

देशव्यापी हड़ताल के मद्देनजर बिहार में भी इसका असर देखा गया हालांकि राज्य में हो रहे परीक्षा के देखते हुए आंदोलन में शामिल संगठन के कार्यकर्ताओं ने इसे ज्यादा उग्र नहीं किया।
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संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने केंद्र के समक्ष अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए आज यानी 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद के देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था।

देशव्यापी हड़ताल के मद्देनजर बिहार में भी इसका असर देखा गया हालांकि राज्य में हो रहे परीक्षा के देखते हुए आंदोलन में शामिल संगठन के कार्यकर्ताओं ने इसे ज्यादा उग्र नहीं किया।

पटना

देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद को सफल बनाने के लिए ऐक्टू, ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन (ऐक्टू), कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) से जुड़े 500 से अधिक आशा, रसोइया आदि स्कीम कर्मियों, संविदा व सरकारी कर्मीयों ने राजधानी पटना में बड़ी संख्या में आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया।

ऐक्टू सह आशा नेत्री शशि यादव, सरोज चौबे, रणविजय कुमार व अन्य कार्यकर्ता बुद्ध स्मृति पार्क से मोदी विरोधी नारे के साथ प्रदर्शन निकला जो जीपीओ, बुद्ध मार्ग, मौर्यालोक कम्प्लेक्स होते डाकबंगला चौक पहुंचा जहां पुलिस के साथ हल्का नोंक झोंक हुआ जिसके बाद प्रदर्शन स्टेशन रोड होते हुए पुनः बुद्ध स्मृति पार्क पहुंचा जहां सभा हुई। प्रदर्शन में खासतौर से महिला संगठन ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीणा तिवारी, राज्य सचिव अनिता सिन्हा, अनुराधा देवी पूरे प्रदर्शन में शामिल रही।

दो दूसरी तरफ ऐक्टू राज्य महासचिव आरएन ठाकुर, ऐक्टू राज्य उपाध्यक्ष एस के शर्मा, निर्माण मजदूर यूनियन नेता पप्पू शर्मा, अखिल भारतीय किसान महासभा नेता राजेन्द्र पटेल, शिवसागर शर्मा तथा अन्य ट्रेड यूनियनों व किसान संगठनों के नेताओं के नेतृत्व में जीपीओ गोलंबर से मोदी सरकार विरोधी आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन निकला जो पूरे पटना में मार्च किया और प्रदर्शन डाकबंगला पहुंचा।

अंत में राजधानी पटना के कई रूट से ऐक्टू, सीटू, इंटक, एटक आदि ट्रेड यूनियन व किसान संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता व नेता सैंकड़ों की संख्या ने डाकबंगला पहुंचे जहां संयुक्त सभा हुई।

नेताओं ने मोदी सरकार की विनाशकारी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद को बिहार सहित पूरे देश मे व्यापक रूप से सफल बताया।

इस बीच ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार ने बताया कि आज पटना सहित राज्य के भोजपुर, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, नालंदा, मुंगेर, भागलपुर, बेगूसराय, कटिहार, सहरसा, सुपौल, दरभंगा, मधुबनी, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण आदि सभी जिलों में ऐक्टू, महानसंघ गोप गुट, अखिल भारतीय किसान महासभा से जुड़े 20 हजार से ज्यादा समर्थकों ने जिला-प्रखंड, अनुमंडल स्तर तक मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर 2024 में मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेकने का आह्वान किया।

सीतामढ़ी

देशव्यापी हड़ताल के मद्देनजर बिहार में भी कई जगह आंदोलन व प्रदर्शन किए गए। राज्य के सीतामढ़ी में इसका असर देखने को मिला। संयुक्त किसान मोर्चा सीतामढ़ी द्वारा शहर के गांधी मैदान से कारगिल चौक तक विरोध मार्च निकाला गया। प्रदर्शनकारियों ने मेहसौल चौक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन कर विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शन में जय प्रकाश राय, प्रदेश कांग्रेस प्रतिनिधि शम्स शाहनवाज, सीपीआई माले नेता नेयाज सिद्दीकी, दिलीप पांडे, आफताब अंजुम बिहारी आदि मुख्य रूप से मौजूद थे।

इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस प्रतिनिधि शम्स शाहनवाज ने कहा कि मोदी सरकार देश के अन्नदाताओं पर अत्याचार कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के अन्नदाताओं के आन्दोलन के समर्थन में फसलों की एमएसपी की गारंटी, कमरतोड़ महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, श्रमिक विरोधी कानूनों के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जाने वाले किसानों के रास्ते में कील लगा दिया गया है और उन पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं। यह बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। हम भारत सरकार से किसानों को फसलों की एमएसपी की गारंटी देने, कर्ज माफी करने के साथ श्रमिक विरोधी कानूनों को वापस करने की मांग करते हैं।

अररिया

केंद्रीय श्रमिक संगठन और केंद्रीय किसान संगठन के द्वारा श्रमिकों और किसानों की विभिन्न मांगों के सर्मथन में भारत बंद का संयुक्त आहवान के मद्देनजर बिहार के अररिया जिले के विभिन्न क्षेत्रों में परीक्षा चलने के कारण शहर एवं अन्य क्षेत्रों को बंद नहीं किया गया क्योंकि इन क्षेत्रों की परीक्षा बाधित होती। परीक्षा के कारण केंद्रीय श्रमिक संगठन एवं केंद्रीय किसान संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने अररिया के सुभाष स्टेडियम में एकत्रित होकर नवरतन चौक से एडीबी चौक होते हुए थाना चौक से चांदनी चौक तक रैली निकाली और चांदनी चौक पर सभा हुई जिसमें सभा को संबोधित किया गया।

वक्ताओं ने किसानों के द्वारा दिल्ली घेराव का समर्थन किया और केंद्र के जनविरोधी फासीवादी मोदी सरकार को 2024 में उखाड़ फेंकने का आहवान किया। यातायात से जुड़े जनविरोधी कानून वापस करने को लेकर दिनांक 17 फरवरी 2024 को परिवहन संगठनों के द्वारा आयोजित यातायात बंद को सफल बनाने का भी आहवान किया गया। सीटू के मिड डे मील वर्कर रसोईया यूनियन कर्मियों ने सैकड़ों की संख्या में महिला व पुरुष कर्मियों ने भी भाग लिया।

दिल्ली चलो मार्च

पंजाब के किसान पंजाब और हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं और केंद्र पर अपनी मांगें मानने के लिए दबाव बनाने के लिए दिल्ली की ओर मार्च करना चाहते हैं।

वे घरेलू उपयोग और दुकानों के लिए खेती के लिए मुफ्त 300 यूनिट बिजली, व्यापक फसल बीमा और पेंशन में 10,000 रुपये प्रति माह की बढ़ोतरी की भी मांग कर रहे हैं।

किसान अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की मांग के साथ पंजाब और हरियाणा की सड़कों पर उतर गए हैं।

किसान मनरेगा को मजबूत करने, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने और औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में सभी श्रमिकों के लिए पेंशन और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं।

एसकेएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सी2 50 (पूंजी की इनपुट लागत 50 प्रतिशत) के स्वामीनाथन फॉर्मूले के आधार पर फसलों के लिए एमएसपी, खरीद की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, बिजली दरों में बढ़ोतरी पर रोक और स्मार्ट मीटर पर रोक की मांग कर रहे हैं।

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