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यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

राज्य कर्मचारियों ने अपनी नौ सूत्रीय मांगों को लेकर राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के 70 जिलों में विरोध दिवस मनाया। कर्मचारी नेताओं ने देश में बढ़ती सांप्रदायिकता पर भी चिंता जताई और आह्वान किया कि सांप्रदायिकता को छोड़कर धर्मनिरपेक्षता को अपनाना होगा।
employees protest

उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचारियों ने अपनी समस्याओं का हल न होने से नाराज़ होकर शनिवार को “विरोध दिवस मनाया”। कर्मचारी नेताओं ने दावा किया है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने और रिक्त शासकीय पदों पर नियमित नियुक्तियां करने की मांग को लेकर राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के 70 जिलों में विरोध दिवस मनाया गया है।

अपनी नौ सूत्रीय मांगों को लेकर राज्य कर्मचारी जिला मुख्यालयों पर दोपहर में जमा हुए। कर्मचारियों ने योगी आदित्यनाथ सरकार में पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली न होने पर नराज़गी दिखाई और कहा की सरकार इस मांग को प्राथमिकता के आधार अमल में लाये। विरोध दिवस में शामिल कर्मचारियों ने कहा की प्रदेश सरकार संविदा एवं आउट सोर्सिंग पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करे।

इसके अलावा सरकारी विभागों में नियमित पद जो रिक्त है उन्हें तत्काल भरा जाए। वहीं प्रदेश में बंद पड़ी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्तियां को दोबारा बहाल करने का मुद्दा भी विरोध दिवस के दौरान उठाया गया। सरकारी कर्मचारियों ने यह भी मांग की है कि “दैनिक वेतन भोगी तथा वर्कचार्ज कर्मचारी” जिन्हें नियमित किया गया है उन्हें पुरानी सेवाओं को जोड़ते हुए पेंशनरी लाभ दिया जाये।

आज हुए विरोध दिवस में एक ज्ञापन मुख्यमंत्री योगी अदित्यानाथ को भेजा गया है। जिसमें मांग की गई है कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार सचिवालय से लेकर तहसील/ब्लॉक तक वेतनमान एक समान किया जाये। जिसके अन्तर्गत लिपिक वर्गीय कर्मचारियों को न्यूनतम ग्रेड पे-2800/- दिया जाये।

उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ की प्रदेश इकाई उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ ने 28 मई को अपने समस्याओं और मांगों को लेकर प्रोटेस्ट डे (विरोध दिवस) मनाने का फैसला लिया था। इस विरोध दिवस में राज्य कर्मचारी सरकार की कई नीतियों से नाराज़ नज़र आये।

प्रदेश के सरकारी कर्मचारीयों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान रोके गये महंगाई भत्ते एवं अन्य भत्ते जिनकी कटौती सरकार द्वारा की गयी है, उन्हें तत्काल दिया जाए। प्रदेश के विभिन विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों का कहना कि उनको भी केन्द्र के तर्ज़ पर मकान भत्ता, सन्तान शिक्षा एवं परिवहन भत्ता दिया जाए।

विरोध दिवस के दौरान कहा गया कि संविदा डेलीवेजेज़,आउट सोर्सिंग पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित किया जाये, और भविष्य में इस प्रकार की भर्तियां बंद की जाएं। प्रदेश सरकार से यह भी मांग की गई है कि सभी “विभागाध्यक्ष कार्यालयों” में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी का पर सृजित किया जाए।

कर्मचारी नेताओं ने बताया की यह मांगे पुरानी हैं जिनको सरकार लगातार नज़रंदाज़ कर रही है.। उ0प्र0 फेडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दिवाकर सिंह  कहते कि योगी प्राथिमिकता के आधार पर नई पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर पुरानी व्यवस्था लागू करें। याद रहे कि प्रदेश में करीब 13 लाख कर्मचारी हैं, जो पुरानी पेंशन की बहाली की मांग कर रहे हैं।

बता दें कि 2004 के पहले सेवा में आए अफसरों और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिल रहा है। लेकिन 2004-05 के बाद सेवा में आए कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम बनाई गई।

नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) को 2004 में केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया था। प्रदेश सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2005 को  इसे लागू किया गया था। यह एक योगदान-आधारित पेंशन प्रणाली है। जबकि पुरानी व्यवस्था के तहत, पेंशन एक कर्मचारी द्वारा लिए गए, अंतिम मूल वेतन के 50% पर अन्य लाभों और बढ़ोतरी के साथ तय की गई थी। पुरानी पेंशन के तहत कर्मचारियों को एक सुनिश्चित राशि भी प्राप्त होती है।

वहीं नई पेंशन स्कीम में सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी द्वारा बचाई गई राशि पर निर्भर करता है और निवेश मूल्य में वृद्धि या गिरावट के अधीन भी है। इस स्कीम में,पेंशन लाभ का निर्धारण, कर्मचारी द्वारा योगदानों की संख्या, सदस्य की आयु, निवेश के प्रकार और उस निवेश से प्राप्त आय जैसे कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है।

अफ़ीफ़ सिद्दीकी, राष्ट्रीय पार्षद, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने भी पुरानी पेंशन का मुद्दा उठाया और कहा कि हाल में ही योगी सरकार द्वारा पेश किये गए बजट में भी, नई पेंशन स्कीम ख़त्म कर पुरानी पेंशन स्कीम के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के लाखों-लाख कर्मचारियों, शिक्षकों और अधिकारी वर्ग को निराशा ही हाथ लगी है। सिद्दीकी के अनुसार दूसरी तरफ़ कोरोना काल में 18 माह के रोके गये भत्तों का भुगतान करने से सम्बंधित विषय को भी बजट में स्थान नहीं मिलना प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए निराशाजनक है। सरकार से अफ़ीफ़ सिद्दीकी ने मांग की है कि कोविड-19 महामारी के दौरान में रोके गये महंगाई भत्ते एवं अन्य भत्ते जिनकी कटौती की गयी है, उन्हे तत्काल दिया जाए।

उ0प्र0 राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश मिश्र दावा किया कि प्रदेश के लगभग 70 जिलों में “विरोध दिवस” कार्यक्रम हुआ। कमलेश मिश्र के अनुसार सरकारी कार्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के न होने कारण परेशानी हो रही है। इस लिए सरकार, प्रदेश में बंद पड़े चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदो को पुनर्जीवित किया जाए। उन्होंने बताया की दैनिक वेतन तथा वर्कचार्ज कर्मचारी जिन्हें नियमित किया गया है, उनको पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश मिश्र ने कहा कि उन्हें पुरानी सेवाओं को जोड़ते हुए पेंशन का लाभ दिया जाए।

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लाम्बा ने न्यूज़क्लिक से कहा कि प्रदेश में रिक्त सभी शासकीय पदों पर नियमित नियुक्यिां की जाये। संविदा डेलीवेजेज, आउट सोर्सिंग पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित किया जाये और भविष्य में इस प्रकार की भर्तियां बंद की जाए।

सुभाष लाम्बा कहते हैं कि केन्द्र के कर्मचारीयों की तरह राज्य कर्मचारियों पर मकान किराया भत्ता, सन्तान शिक्षा एवं परिवहन भत्ता स्वीकृत किया जाए। क्योंकि ज़िन्दगी की ज़रूरते सभी की एक सामान होती है।

आज हुए विरोध दिवस में कर्मचारी नेताओं ने देश में बढ़ती सांप्रदायिकता पर भी चिंता जताई है। उन्होंने आह्वान किया कि सांप्रदायिकता को छोड़कर धर्मनिरपेक्षता को अपनाना होगा। लखनऊ जनपद में यह कार्यक्रम राज्य कर्मचारी महांसघ लखनऊ शाखा-लखनऊ के अध्यक्ष नरेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में हजरतगंज सरोजनी नायडू पार्क स्थित दिवंगत बीएन सिंह की प्रतिमा पर आयोजित किया गया, जिसमें सभा को अखिल भारतीय पेंशनर्स एसोसिएसन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसपी सिंह, महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष एसपी तिवारी, उपाध्यक्ष आरएस यादव, वीएल तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के कोषाध्यक्ष राम भजन मौर्य, उप्र फेडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दिवाकर सिंह, कृषि विभाग के उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह, स्थानीय निकाय निदेशालय के अध्यक्ष संदीप पाण्डेय, लोक निर्माण विभाग के अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह, कोषाध्यक्ष मो. अफीफ, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार व कोषाध्यक्ष निधि, मंसूर अली महामंत्री आदि कर्मचारी नेता शामिल हुए।

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