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एमपी भवन पर महिलाओं का प्रदर्शन, कहा सुरक्षा के नाम पर निग़रानी मंज़ूर नहीं

दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन पर महिलाओं और छात्रों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने भी पुख़्ता तैयारी की थी जिससे कोई भी प्रदर्शनकारी एमपी भवन तक न पहुंच सके। लेकिन जब इन सब के बाद भी प्रदर्शनकारी पहुंच गए तो पुलिस ने सभी को हिरासत में ले लिया और बसों मे भर कर मंदिर मार्ग थाने ले गए ।
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दिल्ली: दिल्ली स्थति मध्य प्रदेश(एमपी) भवन पर महिलाओं और छात्रों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने महिलाओं के सुरक्षा के लिए महिलाओं की ट्रैकिंग की बात से नाराज़ थे। उन्होंने शिवराज के बयान को शर्मनाक कहा और इसे सुरक्षा नहीं निगरानी बताया। इस बयान के लिए माफ़ी की मांग भी रखी। पुलिस ने धारा 144 लागू होने का हवाला देकर प्रदर्शन न करने की अपील की थी।

इसके बाद भी प्रदर्शनकारी एकत्रित हुए और दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन पर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने भी पुख़्ता तैयारी की थी जिससे कोई भी प्रदर्शनकारी एमपी भवन तक न पहुंच सके।

इसके लिए उन्होंने दोनों तरफ से भारी पुलिस बल और बैरिकेडिंग की थी। लेकिन जब इन सब के बाद भी प्रदर्शनकारी पहुंच गए तो पुलिस ने सभी को हिरासत में ले लिया और बसों मे भरकर मंदिर मार्ग थाने ले गए।

इसके कुछ देर बाद दिल्ली के अलग अलग कॉलेज के छात्रों को भी एक समूह आया और वो भी शिवराज सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करने लगे। जिसके बाद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने उन्हें वापस लौटना चाहा लेकिन वो इस बात पर अड़े रहे की उन्हें एमपी भवन जाकर अपना ज्ञापन सौंपना है लेकिन पुलिस ने उन्हें जाने नहीं दिया और उन्हें पुलिस गाड़ी मै ले गई। हालंकि कुछ समय बाद सभी प्रदर्शनकारियों को रिहा कर दिया गया।


इस प्रदर्शन का आवाह्न महिला संगठन अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति(एडवा), अनहद, प्रगतिशील महिला संगठन के साथ ही कई अन्य महिला और जन संगठनों ने किया था।

शिवराज ने क्या कहा था?

पखवाड़े भर चलने वाले महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध पर जागरूकता कार्यक्रम 'सम्मान' की शुरुआत करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि महिलाओं की शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर देनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक नयी व्यवस्था लायी जाएगी जिसके तहत काम के लिए अपने घर से बाहर जाने वाली किसी भी महिला को ख़ुद को स्थानीय पुलिस थाने में रजिस्टर कराना होगा और उसकी सुरक्षा के लिए उसे ट्रैक किया जाएगा। एक हेल्पलाइन नंबर दिया जाएगा और सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों में पैनिक बटन लगाया जाएगा।

शिवराज के इस बयान के बाद सोशल मिडिया पर भी उनकी खूब खिंचाई हुए थी और लोगों ने उनके इस बयान को महिला विरोधी बताया था।
 

एमपी पुलिस के एक अधिकारी ने प्रदर्शनकारियों से कहा अभी ऐसा कोई रिटन आदेश नहीं आया है और हम महिलाओं के सुरक्षा और मानव तस्करी रोकने के लिए है। इसके पीछे महिलाओं के सम्मान से छेड़छाड़ करने का कोई मकसद नहीं है ।


इस पर महिलाओं ने कहा आप अपराधियो को ट्रैक करे हम पर निगरानी क्यों ? पहले से है पुरे समाज की नज़र हम पर है आप हमे सुरक्षा देने के बजाय हम पर ही शिकंजा कस रहे है ।

एडवा की दिल्ली राज्य अध्यक्ष आशा शर्मा इन्हे भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया था । उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा एमपी की बीजेपी सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने में तो पूरी तरह से फेल है और अब यह सुरक्षा के नाम पर हमारे फ्री आने जाने के अधिकार पर हमला कर रही है । हम इसकी घोर निंदा करते है ।

आगे उन्होंने कहा हम इसी का विरोध करने के लिए एमपी भवन जा रहे थे लेकिन केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर पुलिस हमे हिरासत में ले रही है ।ये इनकी पितृ सत्ता की सोच दिखती है जो आजाद और कामकाजी महिलाओं से डरती है । लेकिन ये आज हमे जेल में डाला दे लेकिन हम अपने अधिकार के लिए लड़ते रहेंगे ।

प्रगतिशील महिला संगठन की पूनम कौशिक जो पेशे से सुप्रीकोर्ट की वकील है। उन्होंने भी न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस अपने संवैधानिक अधिकार को छोड़कर मनुवादी सरकार के कहने पर हमे हिरासत में ले रही है । उन्होंने शिवराज सिंह के बयान पर कहा कोई राज्य का मुखिया ऐसा बयान दे कैसे सकता है ? ये सीधे सीधे। उनके महिला विरोधी चरित्र को दिखता है ।

एडवा दिल्ली की राज्य सचिव मैमुना मौल्ला ने कहा बीजेपी की राजनीति ही यही है ,यह कोई पहला बयान नहीं है इसी तरह का बयान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी दिया था उन्होंने कहा था महिलाएं छूट बोलती है जब उनका अपने बॉयफ्रेंड से झगड़ा हो जाता है तो वो रेप का इल्ज़ाम लगा देती है । इसी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दे चुके है । अब एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज दे रहे है वो सुरक्षा के नाम पर निगरानी कर रहे है।

प्रदर्शनकारियों ने कहा हम इस तरह के महिला विरोधी प्रस्ताव और इस तरह के किसी भी पहल के पीछे की सोच को खारिज करते हैं। सुरक्षा सुनिश्चित करने की आड़ में निगरानी और ट्रैकिंग महिलाओं की स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।


प्रदर्शनकारियों ने कहा एमपी राज्य ने हाल के दिनों में महिलाओं के खिलाफ भयानक अपराधों को देखा है। मुख्यमंत्री को कानून और व्यवस्था में सुधार, स्थानीय बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक स्थलों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में प्रभावी जांच और न्याय सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह निगरानी प्रस्ताव राज्य में शासन की विफलताओं पर पर्दा डालने की एक नाकाम कोशिश है। हम उनकी सुरक्षा की आड़ में महिलाओं पर नियंत्रण रखने के लिए इस प्रस्ताव की निंदा करते हैं और सीएम को सार्वजनिक रूप से उनकी टिप्पणियों को वापस लेने की अपील करते हैं।

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