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किसान प्रदर्शनकारियों के साथ दुश्‍मन जैसा व्‍यवहार न करें: संयुक्‍त किसान मोर्चा

किसानों के मंच संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को ग्रामीण बंद से पहले किसान नेताओं की गिरफ्तारी के लिए मध्य प्रदेश सरकार की आलोचना की है।
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नई दिल्ली: 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद से पहले, देश भर के किसान संगठनों के मंच संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को राज्य पुलिस द्वारा किसान नेताओं और अन्य कार्यकर्ताओं को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के तहत गिरफ्तार किए जाने के विरोध में मध्य प्रदेश सरकार पर कड़ा हमला बोल दिया है।

पुलिस अधिकारियों ने अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) नेता राम नारायण कुरारिया, उनकी पत्नी और एआईडीडब्ल्यूए नेता एडवोकेट अंजना कुरारिया, किसान संघर्ष समिति की नेता एडवोकेट आराधना भार्गव, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) नेता अनिल यादव, नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट के नेता राजकुमार सिन्हा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष बादल सरोज ने न्यूज़क्लिक को फोन पर बताया कि पुलिस अधिकारी इस तथ्य के बावजूद किसान नेताओं को अंधाधुंध गिरफ्तार कर रहे हैं कि एसकेएम ने अब तक अन्य किसान संगठनों के 'दिल्ली चलो' आह्वान का समर्थन नहीं किया है।

बादल सरोज ने बताया कि, “हमारे नेता राम नारायण कुरारिया शिवानी जिले में एक सभा को संबोधित कर रहे थे जब उन्होंने सुना कि उनकी पत्नी को जबलपुर में उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया है। बाद में, हमने देखा कि दिल्ली जाने वाली कर्नाटक एक्सप्रेस को भोपाल रेलवे स्टेशन पर 45 मिनट के लिए रोका गया और जिन लोगों पर भी हरे गमछा पहनने के साथ किसान होने का संदेह था, उन्हें स्टेशन पर उतरने के लिए मजबूर किया गया और निवारक हिरासत में ले लिया गया।”

सरोज ने कहा कि मप्र सरकार की कार्रवाई ''मनमानी है और हमें याद दिलाती है कि उसने पिछले संघर्षों से कुछ नहीं सीखा है। हमने कल भी विरोध प्रदर्शन किया। अगर हमारे साथियों को जल्द ही रिहा नहीं किया गया तो हम कानूनी और आंदोलनात्मक विकल्प तलाशेंगे।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ संयुक्त कार्रवाई में किसान संगठनों ने 16 फरवरी को ग्रामीण गतिविधियों और क्षेत्रीय हड़तालों को पूर्ण रूप से बंद करने का आह्वान किया है। किसान नेताओं ने कहा है कि सब्जियों और अन्य फसलों की आपूर्ति और खरीद निलंबित रहेगी। इसी तरह गांव की सभी दुकानें, अनाज मंडियां, सब्जी मंडियां, सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय, ग्रामीण औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के संस्थान और निजी क्षेत्र के उद्यमों को भी बंद रखने का अनुरोध किया गया है। सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक हड़ताल के दौरान कस्बों की दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।

स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने के अपने वादे के बारे में केंद्र सरकार को याद दिलाने के लिए किसान संगठनों ने बंद का आह्वान किया है। इसी तरह, किसान सभी प्रकार के बैंकिंग और गैर-बैंकिंग संस्थानों से एकमुश्त ऋण माफी की मांग भी कर रहे हैं।

ट्रेड यूनियनों ने चार श्रम संहिताओं को ख़त्म करने की मांग की है, उनका आरोप है कि मज़दूरों को क़ानूनी सहारा लेने के कड़ी मेहनत से हासिल किए गए कई श्रम अधिकारों को ख़त्म किया जा रहा है। इसी तरह, श्रमिक संगठनों ने मज़दूरों पर महंगाई/मुद्रास्फीति के असर को कम करने के लिए न्यूनतम वेतन के रूप में 26,000 रुपये की मांग की है। एसकेएम और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच दोनों ने बिजली (संशोधन) अधिनियम 2021 पर भी अपनी चिंता व्यक्त की है, जिस पर उनका आरोप है कि इससे सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों का बड़े पैमाने पर निजीकरण हो जाएगा।

एक अन्य किसान मंच द्वारा 13 फरवरी को 'ट्रैक्टर मार्च' के आह्वान पर, एसकेएम ने एक बयान जारी कर कहा कि ''मोदी सरकार लोहे की कीलें लगाकर किसानों के जनवादी विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए पंजाब और दिल्ली सीमाओं में राजमार्गों पर कंटीले तार और कंक्रीट बैरिकेडिंग के तानाशाही तरीके के खिलाफ अपना मजबूत असंतोष और गुस्सा व्यक्त करती है।''

इसमें कहा गया है कि प्रशासन ने दिल्ली और हरियाणा के आसपास धारा 144 लागू कर दी है और जनता को बिना किसी पूर्व सूचना के यातायात को डायवर्ट किया जा रहा है और लोगों को डराने के लिए आतंक का माहौल बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार प्रदर्शनकारियों के साथ वैसा ही व्यवहार कर रही है जैसा कि वे देश के दुश्मन हैं।”

बयान में पूछा गया है कि, ''हम पीएम मोदी से इस बात को साफ करने का आग्रह करते हैं कि उनकी सरकार आम लोगों की आजीविका की मांगों पर 16 फरवरी 2024 को होने जा रहे देशव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक/क्षेत्री की हड़ताल के आह्वान के संदर्भ में किसानों और श्रमिकों के मंच से चर्चा के लिए तैयार क्यों नहीं है?''

बयान में आगे कहा गया है कि भाजपा के तहत केंद्र और राज्य सरकारों के दमन का लोगों द्वारा विरोध किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि सभी वर्गों के समर्थन से किसान और श्रमिक 16 फरवरी की औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद को विशाल, जीवंत और सफल बनाएंगे।'

इस बीच, 13 फरवरी के ट्रैक्टर मार्च का नेतृत्व कर रहे एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि उन्हें पंजाब और हरियाणा सरकार के अधिकारियों से दिल्ली चलो मार्च में भाग लेने से परहेज करने के लिए लगातार फोन आ रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए कंटीले तारों और लोहे की कीलों से कंक्रीट के अवरोधक लगाए हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से पूरी दिल्ली में 30 दिनों के लिए धारा 144 लगा दी गई है।

मूल अंग्रेजी लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Don’t Treat Protesters as Enemies, Says Samyukta Kisan Morcha

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