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ट्रम्प की धमकी के सामने भारत के सम्मान की रक्षा करने में सत्तारूढ़ नेतृत्व विफल

‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम में शामिल होने के एक महीने से थोड़े ही अधिक समय बाद, प्रतिशोध की यह धमकी, मोदी और ट्रम्प के बीच की गर्मजोशी, समझ और बेहतर व्यक्तिगत समीकरण के खोखलेपन को उजागर कर देती है।
Modi trump

अमेरिका (USA) में ‘हाउडी मोदी’ और भारत में ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम के आयोजन बहुत ही धूमधाम से किये गये थे। प्रधानमंत्री मोदी का ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में अनूठी तरह से ज़बरदस्त स्वागत किया गया था, वहीं ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम में करीब सवा लाख भारतीयों की भारी आबादी के बीच राष्ट्रपति ट्रम्प का स्वागत और सम्मान किया गया। जिस तरह से प्रधानमंत्री ने ट्रम्प को बधाई के लिए सैकड़ों-हज़ारों लोगों को जुटा लिया था, वह असल में भारत के लोगों का अपने प्रधानमंत्री को लेकर सम्मोहक सम्मान में बंधे होने का प्रतीक था।

‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के सीधे प्रसारण ने भारत के लोगों को इस बात का भरोसा दिला दिया कि हमारे प्रधानमंत्री की वजह से भारत को उस विशाल आयोजन से ज़बरदस्त सम्मान मिला है। 24 फ़रवरी 2020 को अमेरिकी राष्ट्रपति को बधाई देने के लिए गुजरात में आयोजित ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम पर लाखों रुपये उस समय ख़र्च किये गये थे, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में कोरोना के ख़तरनाक प्रसार की घोषणा कर दी थी। उन दो घटनाओं को वैश्विक स्तर पर भारत की विशाल विश्वसनीयता की पुष्टि के रूप में पेश किया गया था, क्योंकि उनके उत्साही पार्टी नेताओं द्वारा प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व को भारत की प्रतिष्ठा और छवि को बढ़ाने वाले एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया गया था, जैसा पिछले सात दशकों के दौरान हमारे देश का कोई अन्य प्रधानमंत्री नहीं कर पाया था।

एक महीने बाद भारतीयों को ताली बजाने, अपने-अपने घरों की थालियां पीटने और घंटियां बजाने के लिए कहा गया, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में लगे पेशेवरों के साथ हमारे समर्थन और एकजुटता का पता चल पाये, भले ही 13 मार्च को भारत सरकार ने इस बात की घोषणा कर दी थी कि भारत में कोरोना वायरस के चलते कोई स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है। 5 अप्रैल,2020 को लोगों से आग्रह किया गया कि वे COVID-19 बीमारी के कारण हमारी एकता की पुष्टि के लिए कोरोना के ख़तरे के सिलसिले में रात 9 बजे 9 मिनट के लिए दीपक जलायें। देश भर के लोगों ने प्रधानमंत्री की इस अपील पर यह मानकर ईमानदारी से अमल किया कि देश और लोगों का नेतृत्व करने वाला उनका यह म़जबूत नेतृत्व इस अभूतपूर्व संकट में बड़े पैमाने पर और मज़बूत हो रहा है।

लेकिन, ठहरिये और इस बात पर ग़ौर कीजिए, जिन भारतीयों को यह जानकारी दी गयी थी कि भारत के किसी अन्य नेता ने वैश्विक स्तर पर हमारे देश की प्रतिष्ठा को उस तरह नहीं बढ़ाया है, जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ाया है, तो वे ही भारतीय अब अमेरिका के राष्ट्रपति मिस्टर ट्रम्प के सामने सत्तारूढ़ भारतीय नेतृत्व के आत्मसमर्पण से अपमानित महसूस कर रहे हैं। ट्रम्प ने भारत सरकार को संयुक्त राज्य अमेरिका को मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वाइन की आपूर्ति करने के लिए कहा है और एक संवाददाता सम्मेलन में धमकी दी कि भारत सरकार द्वारा उस दवा की आपूर्ति को रोकने के किसी भी प्रयास का अमेरिकी सरकार द्वारा बदले के साथ जवाब दिया जायेगा। ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम में शामिल होने के एक महीने से थोड़े ही अधिक समय बाद, प्रतिशोध की यह धमकी, मोदी और ट्रम्प के बीच की गर्मजोशी, समझ और बेहतर व्यक्तिगत समीकरण के खोखलेपन को उजागर कर देती है।

ट्रम्प की इस धमकी ने काम किया और भारत सरकार ने 4 अप्रैल,2020 को उस दवा के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को 7 अप्रैल को हटा लिया और संयुक्त राज्य अमेरिका को इसकी आपूर्ति करने पर सहमति जता दी।

भारतीयों और भारत को भारतीय नेतृत्व का इस तरह की धमकी में आ जाना और हुक़्म देने, डराने और बदले की धमकी के सामने दंडवत हो जाना नामंज़ूर है। इसका मतलब यह है कि भारतीय अपमानित महसूस कर रहे हैं और शीर्ष भारतीय नेतृत्व ने इसकी काट और  विरोध करने करने के लिए कुछ नहीं किया है। भारत की छवि को हुए इस नुकसान से भारत को उबारना होगा।

भारत के राष्ट्रपति स्वर्गीय श्री के.आर. नारायणन ने अमेरिका के राष्ट्रपति,  श्री बिल क्लिंटन के भारत आने पर क्या किया था, उसे भी ज़रा याद कर लेते हैं। जिस समय अटल बिहारी सरकार राष्ट्रपति क्लिंटन की अत्यधिक आपत्तिजनक बयान कि ‘कश्मीर क्षेत्र दुनिया में सबसे ख़तरनाक जगह है’, के बावजूद उनका स्वागत कर रही थी, उस दरम्यान राष्ट्रपति नारायणन ने क्लिंटन के सम्मान में आयोजित अपने भोज भाषण में साहसपूर्वक कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान चिंताजनक है और इस तरह की बातों से सीमा पार उन आतंकवादियों को बढ़ावा मिलता है, जो कश्मीर और शेष भारत में आतंकवाद और हिंसा को बढ़ाना चाहते हैं। राष्ट्रपति के. आर. नारायणन की राष्ट्रपति क्लिंटन की मौजूदगी में भारत के सम्मान का बचाव करने के इस साहस की सराहना की गयी थी और वह प्रोफ़ेसर हिरेन मुखर्जी ही थे, जिन्होंने कहा था कि  राष्ट्रपति नारायणन ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने उस स्थिति में भारत की लाज रख ली थी, जिस समय भारत के सत्तारूढ़ नेतृत्व ने क्लिंटन को ख़ुश करने के लिए अपनी पीठ झुका ली थी।

अब जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने बदले की अपनी धमकी से भारत को अपमानित किया है, तो भारत के सम्मान का बचाव करना होगा।  भारत के लोग, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की अपील को मानते हुए उत्साहपूर्वक ताली बजायी है, घंटी बजायी है और मोमबत्ती जलाई हैं, उन लोगों को भारत के सम्मान और गरिमा की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए और ऐसा करने के सत्तारूढ़ भारतीय नेतृत्व को यह बात बतानी चाहिए कि वह हमारी समृद्ध विरासत से सबक ले।

(लेखक ने भारत के राष्ट्रपति के.आर. नारायणन के साथ उनके प्रेस सचिव के रूप में कार्य किया है)

अंग्रेजी में लिखे गए मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

Ruling Leadership Failed to Defend India's Honour in Face of Trump's Threat of Retaliation

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