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'आजीविका की असुरक्षा' के मद्देनज़र दोहरी नौकरी की परिस्थिति पैदा हुईः आईटी यूनियन

आईटी यूनियनों ने बेंगलुरू स्थिति विप्रो द्वारा 300 कर्मचारियों को हटाने के हालिया मामले को एक "ख़तरनाक" क़दम बताया है।
IT firms
'प्रतीकात्मक फ़ोटो' साभार:Wikimedia Commons

नई दिल्ली: आईटी यूनियनों ने आईटी इंडस्ट्री में प्रचलित दोहरी नौकरी (मेन नौकरी के समय के अलावा अतिरिक्त समय में काम करने) की प्रवृत्ति के मामले में कर्मचारियों को हटाने को लेकर देश की सर्विस इंडस्ट्री की प्रमुख कंपनियों का कड़ा विरोध किया है। इन संगठनों से कहा है कि दोहरे काम को "धोखा" के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि ऐसा "आजीविका की असुरक्षा" के चलते हुआ है।

कर्मचारियों को उनकी इच्छा के खिलाफ कार्यालयों में लौटने की मांग करते हुए यूनियन के नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि ड्यूटी के समय से अलग अतिरिक्त काम करने वालों के लिए कंपनियों को अपने "तथाकथित शून्य सहिष्णुता (zero tolerance)" का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। नेताओं ने यह कहा कि नौकरी के अलावा अलग से अतिरिक्त काम करने की प्रथा आईटी सर्विस इंडस्ट्री के भीतर नई नहीं है।

उन्होंने कहा कि, बड़े आईटी फर्म द्वारा अपने प्रतिस्पर्धियों के लिए काम करने के आरोप में कर्मचारियों को बर्खास्त करने की हालिया कार्रवाई एक "ख़तरनाक" निर्णय है।

नेताओं ने कहा कि यदि कंपनियों को ड्यूटी के समय से अलग कर्मचारियों के काम करने की चिंता है तो सबसे पहले उन्हें अपर्याप्त नौकरी से संतुष्टि के मद्देनज़र आय के अतिरिक्त स्रोतों की आवश्यकता पर कर्मचारियों की शिकायतों का समाधान करना चाहिए।

मेन नौकरी की ड्यूटी से अलग काम करने को दोहरे रोज़गार के रूप में भी समझा जा सकता है। यह मुख्य रोज़गार के अलावा अन्य नौकरियों को लेने वाले कर्मचारियों के काम को बताता है। जबकि अधिकांश आईटी कंपनियों के पास एक क्लॉज के साथ क़ानूनी अनुबंध होते हैं जो कर्मचारी को किसी और के लिए काम करने से रोकता है। हाल के वर्षों में महामारी से उपजी चुनौतियों को लेकर घर से काम करने की परिस्थिति ने मेन नौकरी के अलावा अतिरिक्त समय में दूसरे काम करने की संभावना को बढ़ा दिया है। वर्क-फ्रॉम-होम मोड ने कर्मचारियों की निगरानी को अपेक्षाकृत कठिन बना दिया है।

आईटी उद्योग में अपने तरह के पहले मामले में, मेन नौकरी के ड्यूटी के समय से अलग समय में काम करने को लेकर कंपनियों की नाराज़गी को उजागर करते हुए बेंगलुरू स्थित विप्रो ने इस सप्ताह के बुधवार को कहा कि उसने "सत्यनिष्ठा के उल्लंघन" के लिए 300 कर्मचारियों को निकाल दिया था, क्योंकि वे हमारे प्रतिस्पर्धियों के लिए काम करते हुए पाए गए थे। कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष ऋषद प्रेमजी ने दिल्ली में एआईएमए के राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन में बोलते हुए इसका खुलासा किया।

प्रेमजी द्वारा माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर इस तरह के काम को लेकर अपनी अस्वीकृति साझा करने के कुछ दिनों बाद यह दावा किया गया था। ट्विटर पर उन्होंने लिखा था कि तकनीकी उद्योग में कर्मचारियों द्वारा मेन नौकरी की ड्यूटी के अलावा दूसरों के लिए काम करना "धोखा" है। इसी तरह, इस महीने की शुरुआत में एक अन्य आईटी प्रमुख इंफोसिस ने अपने कर्मचारियों को इस तरह के दोहरे रोज़गार के ख़िलाफ़ चेतावनी देते हुए कहा कि कंपनी की आचार संहिता के अनुसार इसकी अनुमति नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनियों की चिंताओं के बीच जब उनके कर्मचारी दूसरी नौकरी करते हैं तो उनमें हितों का टकराव, डेटा का उल्लंघन और उनकी उत्पादकता में गिरावट होती है। नौकरी से इतर काम करने के ख़िलाफ़ कार्रवाई के तर्क के रूप में इसका इस्तेमाल करने को आईटी यूनियनों ने बेहतर नहीं कहा। इनका कहना है कि ऐसे वास्तविक कारण हैं जो किसी कर्मचारी को नौकरी के अलावा कोई अलग काम करने को मजबूर करता है।

चेन्नई स्थित यूनियन ऑफ आईटी और आईटीईएस एम्प्लाई यूनियन (यूएनआईटीई) के महासचिव अलगुनंबी वेल्किन ने शुक्रवार को न्यूज़क्लिक को बताया कि नौकरी के अलावा काम करने का निर्णय अक्सर ज़्यादा ज़रूरतों को लेकर आय के एक अतिरिक्त स्रोत के लिए मजबूर करता है।

वेल्किन ने कहा, "यदि मुद्रास्फीति में एक कारक है तो हम पाते हैं कि दशकों से आईटी उद्योग में प्रवेश स्तर और मध्य स्तर की नौकरियों का वेतन देश में स्थिर रहा है।" उन्होंने आगे कहा, "सर्विस इंड्स्ट्री में आने वालों की आजीविका की असुरक्षा बढ़ रही है। इसलिए, उनमें से अधिकांश आय के अतिरिक्त स्रोतों की तलाश करने के लिए मजबूर हैं।"

द हिंदू बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में आईटी / आईटीईएस क्षेत्र में 400 लोगों के कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी सर्वेक्षण से पता चला है कि 65% उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया था कि वे स्वयं / किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो घर से अपनी कंपनी के लए काम करते हुए दूसरों के काम में भी लगे हुए हैं।

वेल्किन ने कहा कि मेन नौकरी के ड्यूटी के समय से अलग दूसरे काम करने की अवधारणा नई नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि इसका चयन करने वालों की बढ़ती प्रवृत्ति को देश में बिगड़ती आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए। देश की आर्थिक स्थिति ने एक आईटी कर्मचारी को अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए "मुश्किल" में डाल दिया है।"

उन्होंने कहा, "कर्मचारियों में नौकरी से संतुष्टि का अभाव है। वे देखते हैं कि उनकी कंपनियां सिर्फ़ मुनाफ़े के लिए ही काम करती है।" वेतन पर ख़र्च के नाम पर तकनीकी कंपनियों द्वारा हाल ही में किए गए ख़र्च-कटौती के उपायों की ओर उन्होंने इशारा किया। इसने "कर्मचारियों को इस निष्कर्ष पर पहुंचाया कि कंपनियां उनके कल्याण के बारे में नहीं सोचती हैं।"

शुक्रवार को पुणे स्थित नेसेंट इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट (एनआईटीईएस) के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने कंपनियों पर आरोप लगाया कि वे मेन नौकरी से अलग अन्य काम करने के मुद्दे का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि अब कर्मचारियों को कार्यालयों में लौटने पर ज़ोर दिया जा सके।

उन्होंने कहा, "मेन नौकरी से अलग काम करने की प्रवृत्ति के ख़िलाफ़ तथाकथित जीरो टॉलरेंस का इस्तेमाल एक बहाना के रूप में किया जा रहा है क्योंकि बहुत कम ही ऐसे कर्मचारी कार्यालयों में वापस जाने के लिए तैयार हैं, यहां तक कि उन्हें कई प्रकार के भत्तों की पेशकश की गई है।"

सलूजा ने कर्मचारियों की नौकरी को समाप्त करने के विप्रो के फ़ैसले को एक “चेतावनी भरा” क़दम बताते हुए कहा कि इससे कर्मचारियों की बेचैनी बढ़ेगी। अपने डेटा की सुरक्षा और हितों के टकराव के बारे में कंपनियों की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, ऐसे मामलों में किसी कर्मचारी के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई करने से पहले उक्त आरोपों को साबित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि "यदि कोई कर्मचारी नियमित कर्मचारी के रूप में अपनी भूमिका को पूरा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए टास्क-बेस्ड फ्रीलांस नौकरियों या कंटेंट निर्माण में लगा हुआ है तो कंपनियों को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि पूर्णकालिक दोहरी नौकरी आईटी कर्मचारी के लिए "संभव" नहीं है, जिन्हें अक्सर एक दिन में क़रीब 12-15 घंटे काम करने के लिए कहा जाता है।

इस बीच, जब दोनों संघ के नेताओं ने शुक्रवार को बोलते हुए आईटी कंपनियों को मेन नौकरी से अलग दूसरे काम में लगे कर्मचारियों के ख़िलाफ़ उनकी चेतावनी के लिए फटकार लगाई। साथ ही उन्होंने हालिया घटना पर अलग-अलग सुझाव दिए कि कैसे उन पर प्रतिक्रिया देनी है।

हालांकि यूएनआईटीआ के वेल्किन ने आईटी कंपनियों को वित्तीय कठिनाइयों और अपर्याप्त नौकरी की संतुष्टि पर उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए कर्मचारियों के साथ संवाद में ज़्यादा से ज़्यादा शामिल करने के लिए दबाव डाला। एनआईटीईएस के सलूजा ने मांग की कि राज्य सरकारें इसमें हस्तक्षेप करें।

सलूजा ने कहा, "संविधान के तहत जीवन के अधिकार में आजीविका के पर्याप्त साधन का अधिकार भी शामिल है। इसलिए, राज्य सरकार को यह देखना चाहिए कि मेन नौकरी के समय से अलग समय में काम करने वाले कर्मचारियों को हटाना क़ानूनी आधार है या नहीं।"

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

Moonlighting by Employees a Response to Growing ‘Livelihood Insecurity’, say IT Unions

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