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क्या पृथ्वी के चारों तरफ़ है चुम्बकीय सुरंग? नए शोध में किया गया दावा

नया "टनल मॉडल" अंतरिक्ष विज्ञान में सौर मंडल के बारे में नया नज़रिया लेकर आया है।
Is Earth Surrounded by a Giant Magnetic Tunnel

क्या पृथ्वी और पूरा सौर मंडल एक बड़ी चुंबकीय सुरंग में फंसे हुए हैं? हाल में हुआ एक शोध संकेत देता है कि यह सच हो सकता है। पृथ्वी, बाकी सौर मंडल और लस के कुछ तारे  एक बेहद बड़ी चुम्बकीय सुरंग में फंसे हो सकते हैं। हालांकि खगोलविदों को इसके पीछे की वजह नहीं मालूम है। इस चुंबकीय तरंग का रेडियो तरंगों से पता चलता है। 

यह शोध हाल में एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ था । इसका नेतृत्व कनाडा में टोरंटो यूनिवर्सिटी में डनलप इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के जेनिफर वेस्ट कर रहे थे।

वेस्ट की रिसर्च में जो बातें सामने आईं हैं, वे आसमान के दूसरी तरफ दो बड़े प्रकाश से युक्त ढांचों की मौजूदगी पर आधारित है। इन्हें "नॉर्थ पोलार स्पर" और "फैन रीजन" के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों को इन ढांचों के बारे में दशकों से मालूम था। उजले धब्बों को आसमान में अलग आकृति माना जाता था। वेस्ट और उनकी टीम ने बताया कि यह अलग आकृतियां नहीं हैं, बल्कि ये आपस में जुड़े हुए हैं और रस्सियों की तरह के तत्वों से बने हुए हैं। इन तत्वों का यह संबंध सौर मंडल के आसपास एक सुरंग का निर्माण करता है।
यह ढांचे आवेशित तत्वों, चुंबकीय क्षेत्र से बने हैं और इनका आकार लंबी रस्सियों की तरह है। ये पृथ्वी से 350 प्रकाश वर्ष दूर स्थित हैं। इनकी लंबाई 1000 प्रकाश वर्ष है।

इस व्याख्या को समझाने के लिए वेस्ट कहते हैं, "अगर हमें आकाश में देखना हो तो हमें सुरंग की तरह का यह ढांचा हर दिशा में दिखाई देगा।"

इन ढांचों में मौजूद बेहद दूर दूर स्थित अलग आकृतियां, किसी एक इकाई की तरह जुड़ी हुई हैं। वेस्ट और उनके साथियों का मानना है कि ऐसा पहली बार हुआ है। इससे सौर मंडल के बारे में नई खोजों का रास्ता भी बना है।

वेस्ट इन ढांचों पर पिछले 15 साल से काम कर रही हैं, तब पहली बार उन्होंने "रेडियो स्काई" का पहली बार परीक्षण किया था। रेडियो स्काई का नक्शा वेस्ट के लिए वह संकेत था, जिसने उन्हें इस ढांचे पर ज्यादा बारीकी से देखने को प्रेरित किया  वेस्ट ने हाल में एक कंप्यूटर मॉडल विकसित किया था, जो यह बता सकता था कि पृथ्वी से किसी को "रेडियो स्काई" कैसा दिखाई देता। उनका कंप्यूटर लंबी रस्सियों की स्थिति और आकार में बदलाव के वक्त भी गणना कर सकता था।

वेस्ट द्वारा बनाए गए मॉडल की मदद से शोध टीम हमारे आसपास का ढांचा बनाने में कामयाब रही और यह बता सकी कि टेलीस्कोप से आसमान कैसा दिखेगा। यह पूरी तरह एक नया आयाम था। इसने वेस्ट और उनकी टीम को मॉडल की आंकड़ों से तुलना में मदद की।

वेस्ट ने कहा कि 1965 में प्रकाशित एक पुराने शोध पेपर ने उन्हें नए विचार के निर्माण में मदद की। इस संबंध में वेस्ट ने कहा, "कुछ साल पहले, एक सह लेखक टॉम लेंडेकर में मुझे बताया कि रेडियो एस्ट्रोनॉमी के शुरुआती दिनों, 1965 का एक पेपर है। उस समय उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर लेखकों (मैथ्यूसन और मिलने) ने अनुमान लगाया कि यह ध्रुवीकृत रेडियो तरंगें ब्रह्मांड के भीतर से  उपजी हो सकती हैं।"

उस पेपर ने मुझे इस विचार को बनाने के लिए प्रेरित किया और मैंने अपने मॉडल को हमारे समय में मौजूद टेलीस्कोप से मिले व्यापक आंकड़ों से जोड़ दिया।"

पृथ्वी के आम नक्शे में उत्तरी ध्रुव शीर्ष पर होता है और भूमध्यत रेखा बीच में। वेस्ट ने इस नक्शे को नए नज़रिए से दोबारा बनाया। हमारे ब्रह्मांड के नक्शे के बारे में भी यह बात सही है। वेस्ट कहती हैं, "ज्यादातर खगोलविद नक्शे में उत्तरी ध्रुव को ऊपर और मंदाकिनीय केंद्र (गलैक्टिक सेंटर) को बीच में देखते हैं। इस विचार को प्रेरित करने में एक अहम हिस्सा इस नक्शे को दोबारा बनाना था, जिसमें केंद्र में कोई दूसरा बिंदु होना था।"

नए "टनल मॉडल" से अंतरिक्ष विज्ञान में सौर मंडल के बारे में  नया नजरिया विकसित होगा। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के मुताबिक यह नई शुरुआत लाने वाली अवधारणा है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Is Earth Surrounded by a Giant Magnetic Tunnel? New Findings Suggest Possibility

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