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आंदोलन का असर: एनी बेसेंट फेलोशिप में आरक्षण के मुद्दे पर झुका बीएचयू, रोकी गई चयन प्रक्रिया

सेंट्रल ऑफिस पर धरनारत ओबीसी-एससी-एसटी स्टूडेंट्स से बातचीत के लिए बीएचयू प्रशासन ने प्रोफेसर आरएन खरवार और संयुक्त रजिस्ट्रार पुष्यमित्र द्विवेदी को जिम्मेदारी सौंपी। काफी जद्दोजहद और कई चरणों में बातचीत के बाद एनी बेसेंट फेलोशिप के बाबत आगे की प्रक्रिया को रोकने का निर्णय लिया गया।
BHU

वाराणसी के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में एनी बेसेंट फेलोशिप को लेकर उपजे विवाद के तूल पकड़ने पर कुलपति सुधीर कुमार जैन बैकफुट पर आ गए और उन्हें अपने आदेश को रोकना पड़ा। आनन-फानन में इस महत्वाकांक्षी फेलोशिप योजना में चयन के लिए चल रही प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से रोक दी गई। इसी के साथ शनिवार की शाम सेंट्रल ऑफिस में कुलपति दफ्तर के बाहर पिछले तीन दिनों से चल रहा स्टूडेंट्स का धरना समाप्त हो गया। इससे पहले आंदोलनकारी स्टूडेंट्स और बीएचयू के सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की और तीखी नोकझोंक भी हुई। कई चरणों में हुई बातचीत के बाद स्टूडेंट्स ने आंदोलन स्थगित करने का निर्णय लिया।  

सेंट्रल ऑफिस पर धरनारत ओबीसी-एससी-एसटी स्टूडेंट्स से बातचीत के लिए बीएचयू प्रशासन ने प्रोफेसर आरएन खरवार और संयुक्त रजिस्ट्रार पुष्यमित्र द्विवेदी को जिम्मेदारी सौंपी। काफी जद्दोजहद और कई चरणों में बातचीत के बाद एनी बेसेंट फेलोशिप के बाबत आगे की प्रक्रिया को रोकने का निर्णय लिया गया।

बीएचयू प्रशासन ने डीन फैकेल्टी और सभी विभागों के अध्यक्षों को मेल भेजते हुए एनी बेसेंट फेलोशिप के संबंध में सभी प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश जारी कर दिया है। बीएचयू प्रशासन ने आंदोलनकारी स्टूडेंट्स को भरोसा दिलाया है कि यूजीसी के नियमों के मुताबिक फेलोशिप संचालित की जाएगी। आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट्स के साथ किसी तरह का भेदभाव कतई नहीं किया जाएगा।

बीएचयू प्रशासन को अपना मांग-पत्र सौंपते स्टूडेंट्स

बीएचयू प्रशासन ने आरक्षण का पालन कराने के लिए एक प्रोफेसर और पांच स्टूडेंट्स की एक कमेटी बनाई है। स्टूडेंट्स ने सात सूत्री मांग-पत्र और छह सदस्यीय समिति (पांच छात्र और एक प्रोफेसर) के नाम की सूची बीएचयू को सौंप दी है। यह समिति अपनी रिपोर्ट बीएचयू समिति के समक्ष रखेगी। यही समिति यह भी बताएगी कि विश्वविद्यालय में कहां आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है? छात्रों और शिक्षकों की संयुक्त समिति विश्वविद्यालय प्रशासन से संवाद के बाद फेलोशिप पर निर्णय लेगी।

एनी बेसेंट फेलोशिप में एससी/एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण की मांग को लेकर छात्र पिछले तीन दिनों से धरना दे रहे थे। उन्होंने पूरी दो रातें सेंट्रल ऑफिस के अंदर ही बिताईं। छात्रों ने घोषणा की थी कि वो 15 अगस्त को कुलपति के साथ केंद्रीय कार्यालय में झंडा फहराएंगे और इसी दिन से आमरण अनशन भी शुरू करेंगे। स्टूडेंट्स के अल्टीमेंटम से बीएचयू प्रशासन दबाव में आ गया और फेलोशिप रोकने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

शनिवार को आंदोलनकारी स्टूडेंट्स और सुरक्षाकर्मियों के बीच उस समय झड़प और धक्का मुक्की हुई, जब उन्होंने सेंट्रल ऑफिस में होने वाली आयुर्वेद संकाय की बैठक को नहीं होने दिया। सुरक्षाकर्मियों ने स्टूडेंट्स पर दबाव बनाने के लिए इलाकाई थाना पुलिस को भी बुला लिया, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए।

बाद में आंदोलनकरी स्टूडेंट्स  अजय कुमार भारती, शैलेश कुमार, शिवशक्ति कुमार,  रितेश कुमार, अनिल प्रताप, विशाल यादव, चंचल कुमार, अंकित, केतन पटेल, प्रमोद कुमार, अवधेश कुमार, सत्यम शशांक आदि ने बीएचयू प्रशासन के साथ वार्ता में अपना पक्ष रखा। इनका कहना था कि शीर्ष 5 पर्सेंटाइल नियमों में संवैधानिक आरक्षण एससी-एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस लागू होना चाहिए। टॉप 5 पर्सेंटाइल में भी आरक्षित वर्ग जैसे प्रवेश और सेवा में आयु आदि के अवसर पर दी जाने वाली योग्यता में पांच फीसदी छूट दी जाए। साथ ही एनी बेसेंट फेलोशिप के लिए जारी आदेश को तत्काल वापस लिया जाए और समूची प्रक्रिया को रद्द की जाए। आरईटी न्यूनतम अंकों की जरूरत को खत्म किया जाना चाहिए, ताकि आरक्षित वर्ग के सीटों को आसानी से भरा जा सके।

क्या था पूरा मसला और आंदोलन यह जानने के लिए इस ख़बर को पढ़ें:-- बीएचयू में एनी बेसेंट फेलोशिप पर विवाद जारी: सवर्ण छात्रों को लाभ पहुंचाने का आरोप, दलित व ओबीसी छात्र गुस्से में

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