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निर्वाचन आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को 'शिवसेना' नाम, 'तीर-कमान' चिह्न आवंटित किया

तीन सदस्यीय आयोग ने शिंदे द्वारा दायर छह महीने पुरानी याचिका पर सर्वसम्मत आदेश में कहा कि वह विधायक दल में पार्टी की संख्या बल पर निर्भर था।
shiv sena

निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिह्न ‘तीर-कमान’ आवंटित किया। इसे उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

तीन सदस्यीय आयोग ने शिंदे द्वारा दायर छह महीने पुरानी याचिका पर सर्वसम्मत आदेश में कहा कि वह विधायक दल में पार्टी की संख्या बल पर निर्भर था, जहां मुख्यमंत्री को 55 में से 40 विधायकों और 18 में से 13 लोकसभा सदस्यों का समर्थन हासिल था।

आदेश में, तीन सदस्यीय आयोग ने ठाकरे गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और ‘मशाल’ चुनाव चिह्न को बनाए रखने की अनुमति दी, जो उसे राज्य में विधानसभा उपचुनावों के समाप्त होने तक एक अंतरिम आदेश में दिया गया था।

इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने निर्वाचन आयोग द्वारा उनके धड़े को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता दिए जाने के फैसले को सचाई एवं लोगों की जीत बताया। उन्होंने आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं निर्वाचन आयोग को धन्यवाद देता हूं। लोकतंत्र में बहुमत का महत्व होता है। यह सच्चाई और लोगों की जीत है और साथ ही यह बालासाहेब ठाकरे का आशीर्वाद भी है। हमारी शिवसेना वास्तविक है।’’

यह पहली बार है जब ठाकरे परिवार ने 1966 में बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी का नियंत्रण खो दिया है। पार्टी ने हिंदुत्व को अपनी प्रमुख विचारधारा के रूप में अपनाया था और 2019 तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन था, जब उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने के लिए गठबंधन तोड़ दिया था।

आयोग ने 78 पृष्ठ के अपने आदेश में कहा है, ‘‘पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और पार्टी का चिह्न ‘तीर-कमान’ याचिकाकर्ता गुट द्वारा बनाए रखा जाएगा। आयोग ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में शिंदे गुट को आवंटित ‘‘बालासाहेबंची शिवसेना’’ का नाम और ‘‘दो तलवारें और ढाल’’ के चिह्न पर तत्काल प्रभाव से रोक लग जायेगी और इसका उपयोग नहीं किया जाएगा।

आयोग ने कहा कि वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 55 विजयी उम्मीदवारों में से एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों के पक्ष में लगभग 76 फीसदी मत पड़े। अपने आदेश में, आयोग ने कहा कि शिंदे गुट का समर्थन करने वाले 40 विधायकों ने कुल 47,82,440 मतों में से 36,57,327 मत प्राप्त किए, जो 55 विजयी विधायकों के पक्ष में डाले गए मतों का लगभग 76 प्रतिशत है।

यह 15 विधायकों द्वारा प्राप्त 11,25,113 मतों के विपरीत था, जिनके समर्थन का दावा ठाकरे गुट द्वारा किया जाता है।

महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना के विजयी उम्मीदवारों के पक्ष में मिले मतों से 23.5 प्रतिशत मत उद्धव ठाकरे धड़े के विधायकों को मिले थे।

आयोग ने कहा कि प्रतिवादी (ठाकरे गुट) ने चुनाव चिह्न और संगठन पर दावा करने के लिए पार्टी के 2018 के संविधान पर बहुत भरोसा किया था, लेकिन पार्टी ने संविधान में संशोधन के बारे में आयोग को सूचित नहीं किया था।

निर्वाचन आयोग ने कहा कि शिवसेना का 2018 में संशोधित किया गया संविधान आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। आयोग ने कहा कि उसने पाया कि पार्टी का संविधान, जिस पर ठाकरे गुट पूरा भरोसा कर रहा था, ‘‘अलोकतांत्रिक’’ था।

उधर निर्वाचन आयोग (ईसी) द्वारा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के एक दिन बाद प्रतिद्वंद्वी खेमे के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भविष्य के कदम पर चर्चा करने के लिए अपनी पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों की शनिवार को बैठक बुलाई है।

ठाकरे के एक सहयोगी ने कहा कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेताओं, उप नेताओं, निर्वाचित प्रतिनिधियों और प्रवक्ताओं की बैठक दोपहर में उपनगरीय बांद्रा स्थित ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ में होगी।

वहीं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना मानने संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले को शुक्रवार को ‘‘लोकतंत्र के लिए खतरनाक’’ बताया और कहा कि वह इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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