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रोज़गार का हाल: नौकरी को लेकर अपने ही पोस्टरों का सरकार के पास जवाब नहीं

जो भाजपा पोस्टरों में नौ लाख सरकारी नौकरियों का दावा कर रही है, वही भाजपा संसद में क्या कह रही हैं? केंद्र में कितने पद खाली पड़े हैं? आइये, पड़ताल करते हैं।
madhya pradesh

भाजपा दावा कर रही है कि पिछले नौ वर्षों में नौ लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई है। भाजपा मध्य प्रदेश ने अपने आधिकारिक ट्विटर हेंडल से एक पोस्टर को ट्वीट करके ये जानकारी दी है। मात्र इतना ही नहीं है एक और पोस्टर ट्वीट करके जानकारी दी है कि वर्ष 2017-21 के बीच टेक स्टार्ट-अप के जरिये 23 लाख युवाओं को अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष नौकरियां दी गई हैं। अब सवाल उठता है कि क्या भाजपा के द्वारा सचमुच इतनी नौकरियां दी गई है? अगर सिर्फ सरकारी नौकरियों की बात करें तो भाजपा का पिछले नौ साल में नौ लाख नौकरियों का दावा है।

हालांकि 14 जून 2022 को प्रधानमंत्री के ऑफिशियल ट्विटर हेंडल @PMO India से नौकरियों के बारे में एक और ट्वीट किया गया था। ट्वीट में लिखा था कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी विभागों और मंत्रालयों में मानव संसाधनों की स्थिति की समीक्षा की है और डेढ़ साल में मिशन मोड में दस लाख लोगों की भर्ती के निर्देश दिए हैं।” यानी वर्ष 2023 के अंत तक दस लाख नौकरियों का वायदा था। इस वायदे को एक साल हो गया है और मियाद के हिसाब से मात्र 6 महीने बचे हैं। ऐसे में अब भाजपा ट्वीट करके बता रही है कि पिछले नौ साल में नौ लाख नौकरियां दी गई हैं। तो डेढ़ साल में यानी 2023 तक के अंत तक दस लाख नौकरियों के वायदे का क्या हुआ? कुल मिलाकर देश में नौकरियों की स्थिति क्या है? जो भाजपा पोस्टरों में नौ लाख सरकारी नौकरियों का दावा कर रही है, वही भाजपा संसद में क्या कह रही हैं? केंद्र में कितने पद खाली पड़े हैं? कुल मिलाकर नौकरियों की स्थिति क्या है और भाजपा के दावों की क्या सच्चाई है? आइये, पड़ताल करते हैं।

पोस्टर में आंकड़ा तो संसद में गोलमोल जवाब क्यों?

भाजपा पोस्टरों को ट्वीट करके प्रचार कर रही है कि नौ साल में नौ लाख सरकारी नौकरियां दी गई हैं, लेकिन संसद में कोई ठोस जानकारी नहीं दे रही है। राज्यसभा में प्रधानमंत्री से सवाल (सवाल क्रमांक 2688) पूछा गया कि विभिन्न विभागों में कितने पद खाली पड़े हैं और पिछले पांच साल में कितने पदों पर भर्ती की गई है?

नौ लाख सरकारी नौकरियों का पोस्टर जारी करने वाली भाजपा के “कार्मिक सार्वजनिक शिकायत एवं पेंशन” राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 23 मार्च 2023 को इसका लिखित जवाब दिया है। अपने लिखित जवाब में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कोई आंकड़ा और विभागानुसार कोई ब्यौरा प्रस्तुत नहीं किया है। उन्होंने अपने लिखित जवाब में बताया कि भर्ती की प्रक्रिया अलग-अलग एजेंसी जैसे यूपीएससी/एसएससी आदि के द्वारा की गई है। उसके बाद क्वालिफाइड कंडिडेट की आगे कि प्रक्रिया के लिए संबंधित एजेंसी को भेज दिया है। सभी विभाग, मंत्रालय और एजेंसी मिशन मोड पर काम कर रही है।

सवाल यही है कि पोस्टर में 9 लाख सरकारी नौकरियों का दावा करने वाली भाजपा के मंत्री राज्यसभा में कोई आंकड़ा प्रस्तुत क्यों नहीं कर रहे?

सरकार के पास राज्यसभा में प्रस्तुत करने के लिए कोई आंकड़ा नहीं लेकिन पोस्टर पर डालकर चुनावी प्रचार करने के लिए है। भाजपा को बताना चाहिए कि पोस्टर और संसद की जानकारी में इतना अंतर क्यों?

जून 2022 में प्रधानमंत्री ने वायदा किया था कि 2023 के अंत तक दस लाख युवाओं को नौकरियां दी जाएंगी। इस बारे में भी राज्यसभा में प्रधानमंत्री से सवाल (सवाल क्रमांक 1892) पूछा गया कि इस साल रोज़गार मेले के द्वारा कितने युवाओं को नियुक्ति-पत्र दिया गया? विभागानुसार ब्यौरा प्रस्तुत करें और बताएं कि इन नियुक्तियों के लिए कब विज्ञापन निकाला गया, क्या प्रक्रिया रही, फेज़ के हिसाब से बताएं।

16 मार्च 2023 को “कार्मिक सार्वजनिक शिकायत एवं पेंशन” राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसका लिखित जवाब दिया है। उन्होंने बताया कि भर्ती की प्रक्रिया विभिन्न एजेंसियों और विभागों के द्वारा की जाती है और उनका ब्यौरा भी उन्हीं के द्वारा रखा जाता है। अपने जवाब में डॉ. जितेंद्र सिंह ने विभागवार कोई ब्यौरा प्रस्तुत नहीं किया, बस 59 विभागों के नाम लिख दिए।

सरकार पोस्टर में 23 लाख अप्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष और 9 लाख सरकारी नौकरियों का दावा करती है लेकिन संसद में कोई ब्यौरा और आंकड़ा नहीं दे रही है।

केवल सेंट्रल विभागों में ही लगभग दस लाख पद खाली

अब देखते हैं कि आखिर सरकारी नौकरियों की स्थिति क्या है, कितने पद खाली पड़े हैं? राज्यसभा में सेंट्रल विभागों में खाली पड़े पदों के बारे में प्रधानमंत्री से सवाल (सवाल क्रमांक 127) पूछा गया। 2 फरवरी 2023 को “कार्मिक सार्वजनिक शिकायत एवं पेंशन” राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जिसका लिखित जवाब दिया। उन्होंने बताया कि 78 केंद्रीय विभागों एवं मंत्रालयों में 9,79,327 पद खाली पड़े हैं। यानी मात्र सेंटर में ही लगभग दस लाख पद खाली पड़े हैं। रेलवे में 2,93,243 पद, डिफेंस (सिविल) में 2,64,706, गृह मंत्रालय में 1,43,536, डाक विभाग 90,050, रेवेन्यू विभाग में 80, 243 और ऑडिट एवं अकाउंट विभाग में 25,934 पद खाली पड़े हैं।

नौकरी का झूठा प्रचार नहीं बल्कि सच्चा रोज़गार चाहिए

बेरोज़गारी के मुद्दे पर काम करने वाले संगठन “युवा हल्ला बोल” के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा ने बताया कि 2019 में एनएसएसओ के आंकड़े थे कि देश में लगभग 24 लाख पद खाली हैं। हमारा अनुमान है कि वर्तमान में देश में केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर लगभग एक करोड़ पद खाली हैं। क्योंकि भर्ती की दर कम है और पोस्ट लगातार खाली पड़ी हैं और खाली हो रही हैं। यूपी में ही ही शिक्षकों और पुलिस आदि को मिलाकर कुल लगभग 6 लाख पद खाली पड़े हैं।

गोविंद मिश्रा ने कहा कि भाजपा नौ साल में नौ लाख नौकरियों का दावा कर रही है। हो सकता है कि आंकड़ों में वो इसे साबित भी कर दे। हो सकता है आगामी समय में डेढ़ साल में दस लाख रोज़गार के आंकड़े को भी वो साबित कर दे। क्योंकि आंकड़ों के मामले में भाजपा से कौन जीत सकता है। जून 2022 में जब प्रधानमंत्री ने डेढ़ साल में दस लाख नौकरियों का वायदा किया और चयनित युवाओं को नियुक्ति-पत्र दिया तो उस समय उन लोगों को दोबारा नियुक्ति-पत्र दिए गए जिनकी भर्ती की प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी थी, ताकि आंकड़े को बढ़ाया जा सके। लेकिन हमें झूठा प्रचार नहीं सच्चा रोज़गार चाहिए।

गोविंद मिश्रा ने आरोप लगाया कि सरकार स्थायी काम को “ऐडहाक ” और “आउट सोर्स” कर रही है जिससे ना सिर्फ रोज़गार की तासीर बदल रही है बल्कि सिस्टम भी बर्बाद हो रहा है। प्राइवेटाइज़ेशन के जरिये सराकरी रोज़गार को ख़त्म किया जा रहा है। रोज़गार के स्वरूप को अलग-अलग तरीके से बदला जा रहा है। उदाहरण के तौर पर डिफेंस में आप देख सकते हैं कि सरकार “अग्नीवीर योजना” लागू कर चुकी है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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