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महंगी रेल यात्रा: रियायत मांगी तो रेल मंत्री ने जताया 'अहसान', बोले- रेलवे को अभी भी हर टिकट पर देना पड़ता है बड़ा डिस्काउंट

कोविड-19 की दुहाई दे स्पेशल ट्रेनों के नाम पर पैसेंजर ट्रेनों का भाड़ा बढ़ाना हो या स्लीपर की संख्या कम कर एसी कोच बढ़ाना, प्लेटफार्म टिकट का रेट बढ़ाना हो या बुजुर्गों आदि को मिलने वाली रियायत खत्म करना, रेलवे लगातार लोगों की यात्रा महंगा करता चला जा रहा है। आलम ये है कि त्योहारी सीजन में रेल यात्रा हवाई जहाज से भी महंगी हो जा रही है। पूछो तो तमाम बहाने हैं। ताजा मामला ऐसा ही है। सीनियर सिटीजन व पत्रकारों के लिए टिकट में रियायत मांगी तो रेल मंत्री, डिस्काउंट का अहसान जताते नजर आए। बोले आज भी रेलवे को हर टिकट पर बड़ा डिस्काउंट देना पड़ता है। यही नहीं, रेल मंत्री ने बकायदा बताया कि ₹100 की जर्नी पर रेलवे द्वारा कितना डिस्काउंट दिया जा रहा है। कुछ भी हो, गरीबों की जीवन रेखा मानी जाने वाली रेल यात्रा अब टेढ़ी खीर बनती जा रही है।
Ashwini Vaishnaw

जी हां, सीनियर सिटीजन और मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मियों को ट्रेन टिकट के किराये पर दी जाने वाली छूट को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि हर यात्री को पहले से ही किराये में 55 प्रतिशत की रियायत मिल रही है। खास है कि कोरोना काल से पहले सीनियर सिटीजन और मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मियों को ट्रेन टिकट के किराये में छूट देने की पेशकश की गई थी। हालांकि कोरोना काल के समय से यह छूट मिलनी बंद हो गई। कोरोना काल के बाद से ही लोग सरकार से इस छूट को दोबारा बहाल करने की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि हर यात्री को पहले से ही ट्रेन टिकट के किराये में 55 प्रतिशत की रियायत मिल रही है।

असल में बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा के लिए रेल मंत्री अहमदाबाद में थे। इस दौरान मीडिया कर्मियों ने टिकट के किराये में छूट को लेकर रेल मंत्री से सवाल किया था। इस पर रेल मंत्री ने बिना सीधा जवाब दिए कहा "भारतीय रेलवे पहले से ही हर यात्री को ट्रेन किराए पर 55 प्रतिशत की छूट दे रहा है।"

लॉकडाउन से पहले 50 प्रतिशत छूट देने का था वादा

रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2020 में लॉकडाउन से पहले रेलवे ने सीनियर सिटीजन और मान्यता प्राप्त पत्रकारों को ट्रेन किराए पर 50 प्रतिशत छूट देने की बात कही थी। हालांकि लॉकडाउन के समय ट्रेनें चलनी पूरी तरह से बंद हो गई थीं। जून 2022 से ट्रेनें दोबारा चलने लगीं मगर रेल मंत्रालय ने इन रियायतों को बहाल नहीं किया। तब से यह मुद्दा संसद के दोनों सदनों सहित कई प्लेटफार्म्स पर उठाया गया है। कई सांसदों ने इस मुद्दे को लोकसभा और राज्यसभा में भी उठाया मगर हार बार वैष्णव ने यही रुख बनाए रखा।

100 रुपये की जगह पर चार्ज कर रहे 45 रुपये

गुरुवार को जब मीडियाकर्मियों ने अहमदाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मुद्दे को उठाया तो वैष्णव ने कहा, "अगर कहीं जाने के लिए ट्रेन टिकट की कीमत 100 रुपये है तो रेलवे केवल 45 रुपये चार्ज कर रहा है। यानी यात्रियों को पहले से ही 55 रुपये की रियायत दिया जा रहा है।" कुल मिलाकर फिलहाल रेलवे टिकट के किराये में अभी सीनियर सिटीजन और मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मियों को कोई छूट नहीं मिलने वाली है।

महंगी यात्रा की देखिए एक बानगी

जयपुर से बेंगलुरु ट्रेन का टिकट 11,000 रुपये तक पहुंच गया, जो उड़ान की लागत से भी अधिक है। त्योहारी सीज़न के दौरान अत्यधिक किराए की आलोचना के बाद, भारतीय रेलवे सुविधा एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए बढ़े हुए मूल्य निर्धारण मानदंडों की समीक्षा पर विचार कर रहा है। टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर-यशवंतपुर (बेंगलुरु) और मुंबई-पटना रूट जैसी इन प्रीमियम एक्सप्रेस ट्रेनों का किराया क्रमशः एसी-2 बर्थ के लिए 11,230 रुपये और 9,395 रुपये तक पहुंच गया है। दरअसल वर्तमान में, रेलवे एसी और गैर-एसी दोनों बर्थों के लिए बेस किराया और अन्य शुल्कों में अधिकतम 300% की वृद्धि की अनुमति देता है।

वर्तमान में, केवल दो सुविधा एक्सप्रेस ट्रेनें मुंबई- पटना और जय यशवंतपुर रूट पर चलती है। मुंबई-पटना सेवा सप्ताह में दो बार चलती है, जबकि जयपुर-यशवंतपुर सेवा साप्ताहिक है। 2014 में शुरू की गई, प्रीमियम एक्सप्रेस ट्रेन सेवा व्यस्त मार्गों को पूरा करने के लिए थी और केवल पुष्टि की गई और आरएसी (रद्दीकरण के खिलाफ आरक्षण) टिकट प्रदान करती है। भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के अनुसार, मुंबई-पटना सुविधा एक्सप्रेस के लिए 2AC टिकट का किराया 8 दिसंबर तक 9,395 रुपये है। इसी तरह, जयपुर-यशवंतपुर सुविधा एक्सप्रेस के लिए, एकतरफा 2AC का किराया 11,230 रुपये है। 3 फरवरी तक। हैरानी की बात यह है कि ये ट्रेन किराया हवाई किराए से भी ज्यादा है। उदाहरण के लिए, 25 नवंबर को जयपुर से मुंबई के लिए एकतरफ़ा उड़ान टिकट की कीमत 7,549 रुपये है और 22 नवंबर को मुंबई से पटना के लिए सबसे सस्ता एकतरफ़ा हवाई किराया 7,022 रुपये है। अधिकारियों ने कहा है कि अधिक भुगतान करने के इच्छुक यात्रियों को कन्फर्म टिकट उपलब्ध कराने के लिए उच्च मांग वाले मार्गों पर कई प्रीमियम एक्सप्रेस ट्रेनें शुरू की गईं, लेकिन उच्च किराए के बारे में नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण सेवाओं में काफी कमी आई है। त्योहारी सीजन के दौरान भीड़ को कम करने के लिए रेलवे ने अतिरिक्त ट्रेनें शुरू की हैं। 1 अक्टूबर से अब तक कुल 2,423 विशेष ट्रेनें संचालित की गई हैं, जिनमें 36 लाख यात्री आए हैं। तुलनात्मक रूप से, पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 2,614 यात्राएं हुईं। जैसा कि एक अधिकारी ने पुष्टि की है, इस साल बढ़ी हुई मांग को समायोजित करने के लिए यात्राओं की संख्या तीन गुना बढ़ाकर 6,754 कर दी गई है।"

ट्रेन का बढ़ता किराया, सिकुड़ते स्लीपर कोच 

ट्रेन का बढ़ता किराया, सिकुड़ते स्लीपर कोच यात्रियों की परेशानी बढ़ा रहे हैं। त्योहारी सीजन के दौरान टिकट की कीमतें आसमान छू जाती हैं। मुंबई-पटना ट्रेन में स्लीपर क्लास का किराया 800 से बढ़कर ₹2,625 हो गया है, जबकि सेकेंड एसी टिकट की कीमत ₹9,000 से अधिक हो गई है।

सूचना के अधिकार (RTI) के जवाब में नवंबर 2023 में भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने खुलासा किया कि पिछले छह महीनों में 1.4 करोड़ यात्रियों को ट्रेन यात्रा से वंचित कर दिया गया क्योंकि उन्हें कन्फर्म सीटें नहीं मिल सकीं। दीवाली से लेकर छठ पूजा तक त्योहारी सीजन में यात्रियों की भारी भीड़ रहती है। डेटा से पता चलता है कि गतिशील टिकट मूल्य निर्धारण के साथ, ट्रेन किराया उड़ान शुल्क की तरह बढ़ रहा है। इसके अलावा, अधिक महंगे वातानुकूलित कोचों की हिस्सेदारी बढ़ रही है, जबकि किफायती स्लीपर क्लास कोचों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है, जैसा कि भारतीय रेलवे में दायर कई आरटीआई प्रश्नों के उत्तर से पता चलता है।

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, 01 अप्रैल से 30 सितंबर, 2023 के बीच, आईआरसीटीसी ने ट्रेनों में 1.45 करोड़ से अधिक यात्रियों की बुकिंग की और टिकट बिक्री से ₹1,034.4 करोड़ का राजस्व अर्जित किया। इसके अतिरिक्त, 1.44 करोड़ प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों, जिन्हें बर्थ नहीं मिलती, के टिकट स्वत: रद्द हो गए और रेलवे को रद्दीकरण शुल्क के रूप में 83.85 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हुई।

मध्य प्रदेश स्थित RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने कहा कि “जिन यात्रियों के टिकट स्वतः रद्द हो जाते हैं, वे, वे होते हैं जो यात्रा चार्ट तैयार होने से चार घंटे पहले तक प्रतीक्षा करते हैं। रेलवे उन्हें बर्थ आवंटित करने में असमर्थ है, लेकिन रद्दीकरण शुल्क भी काटता है, यह कैसे उचित है?'' 

सेकेंड एसी टिकट के लिए ₹9,395

जब मुंबई में रहने वाले 29 वर्षीय विपणन व्यवसायी बलराम विश्वकर्मा 17 नवंबर को अपने गृहनगर बिहार के लिए चलने वाली ट्रेनों की आखिरी मिनट में जाँच कर रहे थे, तो उन्हें झटका लगा। पटना सुविधा एक्सप्रेस में सेकेंड एसी टिकट की कीमत फ्लाइट टिकट के बराबर ₹9,395 थी। ट्रेन में, यात्रा में 26 घंटे से अधिक का समय लगेगा, जबकि मुंबई से पटना की उड़ान में केवल ढाई घंटे लगते हैं। विश्वकर्मा ने द हिंदू को बताया, "जबकि आधार किराया ₹2,950 था, गतिशील मूल्य निर्धारण में अतिरिक्त ₹5,900 की वृद्धि हुई, जिससे कीमतें आसमान छू गईं।" 17 नवंबर के लिए उसी ट्रेन में थर्ड एसी टिकट की गतिशील कीमत ₹6,655 और स्लीपर क्लास टिकट की कीमत ₹2,625 है। यही नहीं, विश्वकर्मा के अनुसार, छठ पूजा के दौरान देश भर से हजारों यात्री उत्तर प्रदेश और बिहार में अपने गृहनगर जाते हैं। “स्लीपर क्लास ट्रेन टिकट का आधार मूल्य ₹800 है। यह मुंबई में प्रवासी मजदूरों के लिए यात्रा का एक लोकप्रिय मार्ग है जो छठ के दौरान अपने गृहनगर जाते हैं। स्लीपर क्लास के टिकट के लिए इन गरीब लोगों से अतिरिक्त ₹1,825 वसूलना बिल्कुल अनुचित है, ” विश्वकर्मा ने आगे कहा।

कम स्लीपर कोच

पटना सुविधा एक्सप्रेस में 21 डिब्बे हैं जिनमें से 18 डिब्बे यात्रियों के यात्रा के लिए हैं। इन 18 कोचों में से 10 वातानुकूलित (56%) हैं जबकि आठ स्लीपर क्लास हैं। श्री विश्वकर्मा ने कहा, "स्लीपर क्लास की मांग बहुत अधिक है, जिसमें प्रतीक्षा सूची 300 से अधिक व्यक्तियों की है, जबकि थर्ड एसी के लिए प्रतीक्षा सूची 100 व्यक्तियों की है, फिर भी स्लीपर कोचों की संख्या कम और एसी कोचों की संख्या अधिक है।"

दक्षिण पूर्व रेलवे द्वारा दिए गए सूचना के अधिकार के जवाब के अनुसार, यह स्पष्ट है कि भारतीय रेलवे ट्रेनों में एसी कोचों की संख्या व्यवस्थित रूप से बढ़ा रहा है और स्लीपर कोचों को कम कर रहा है। उदाहरण के लिए, हावड़ा-चेन्नई रूट पर, 2009 में 73% स्लीपर कोच और 27% एसी कोच थे। 2022 में, स्लीपर कोच की हिस्सेदारी गिरकर 56% हो गई, जबकि एसी कोच बढ़कर 44% हो गए। “चूंकि स्लीपर कोचों में कमी आई है, इसलिए ये कोच भीड़भाड़ वाले अनारक्षित कोचों जैसे दिखने लगे हैं।हैदराबाद विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के एक शोध विद्वान साई किरण नेतिंती ने कहा कि सूरत रेलवे स्टेशन पर हाल ही में हुई भगदड़ में एक की मौत हो गई और तीन घायल हो गए, जब एक बड़ी भीड़ ने भागलपुर जाने वाली ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की, यह इस बात का उदाहरण है कि स्थिति कितनी निराशाजनक है।”

रद्द की गई ट्रेनें

टिकट की बढ़ती कीमतों और ट्रेनों में किफायती सीटों की अनुपलब्धता के कारण ट्रेनें अक्सर रद्द हो जाती हैं, जिससे असहाय यात्रियों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। बिहार स्थित कार्यकर्ता कन्हैया कुमार द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में, रेलवे बोर्ड के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षों में, भारतीय रेलवे ने 1,16,060 तक रद्द कर दिया है। मेल या एक्सप्रेस ट्रेनें, जो हर घंटे औसतन तीन ट्रेनें हैं। उत्तर में कहा गया है कि इनमें से 74,899 ट्रेनें अकेले पिछले ढाई साल में रद्द हो गईं। 2023-24 में प्रतिदिन औसतन 62 ट्रेनें रद्द की गईं।

साभार : सबरंग 

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