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किसान आंदोलन: देशभर से मिट्टी लेकर बॉर्डरों पर पहुंची "मिट्टी सत्याग्रह यात्रा"; लगातर बढ़ रहा बीजेपी नेताओ का बहिष्कार
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 12 मार्च को देश के विभिन्न राज्यों से शुरू हुई। यह यात्रा 5 और 6 अप्रैल को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन स्थलों पर पहुंची, जहां आंदोलनकारी किसान, शहीद किसानों की याद में शहीद स्मारक बना रहे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
07 Apr 2021
kisan

दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन का आज 132 वां दिन है। किसान विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ भीषण ठंड और बे-मौसम बरसात के बाद अब तेज़ गर्मी में भी डटे हुए हैं। कल यानी मंगलवार, 6 अप्रैल को ‘मिट्टी सत्याग्रह’ के तहत देश के 23 राज्यों से इकट्ठा की गयी मिट्टी दिल्ली के बार्डर पर पहुँची जहाँ शहीद किसानों की याद में स्मारक बनाए जा रहे हैं।

दूसरी तरफ किसानों ने आम जनता के साथ मिलकर बीजेपी और उसके सहयोगियों का घेराव और तीखा कर दिया है जिससे कई जगह पर बीजेपी के सांसद और विधायक बैठकों में नहीं जा पा रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने बीजेपी के MP-MLA और नेताओं को चेतावनी दी है कि या तो वे आंदोलन का समर्थन करें या फिर सामाजिक बहिष्कार के लिए तैयार रहें।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार, 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया गया। सूचनाओं के मुताबिक़ हुसैनगंज, पटना, नालंदा, दरभंगा, हाजीपुर भोजपुर जालौन-उरई, पटना, नालंदा, मुजफ्फरपुर, उदयपुर, सीकर, झुंझुनूं, सतना, हैदराबाद, दरभंगा, आगरा, रेवाड़ी,   पलवल में भी किसानों के प्रदर्शन की खबरें आईं।

शहरों और गांवों की मिट्टी लेकर बॉर्डर पर पहुंची "मिट्टी सत्याग्रह यात्रा"

दिल्ली में चल रहे अनिश्चितकालीन किसान आंदोलन के समर्थन में देश भर में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा निकाली गई, यात्रा के माध्यम से किसान विरोधी तीनों कानूनों को रद्द करने, सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल और और केंद्र सरकार की किसान–मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जागरूकता पैदा की गई।

मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 12 मार्च को भारत के विभिन्न राज्यों से शुरू हुई। किसानों के समर्थन में और तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर यह यात्रा 5 और 6 अप्रैल को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन स्थलों पर पहुंची। यहां आंदोलनकारी किसान शहीद किसानों की याद में शहीद स्मारक बना रहे हैं।

भारत के हजारों गांवों और ऐतिहासिक स्थानों से मिट्टी लेकर यह यात्रा बॉर्डरों पर आई हैं। उसी मिट्टी से ये शहीद स्मारक बन रहे हैं। किसानो का कहना है ' ये किसानों और नौजवानों के बलिदान और देश के किसानों की एकता का प्रतीक है।'

एसकेएम के अनुसार यात्रा के दौरान देश भर से 23 राज्यों की 1500 गांव की मिट्टी लेकर किसान संगठनों के साथी दिल्ली पहुंच चुके हैं। शहीद भगत सिंह के गांव खटखट कलां, शहीद सुखदेव के गांव नौघरा जिला लुधियाना, उधमसिंह के गांव सुनाम जिला संगरूर, शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाभरा, झाबुआ, मामा बालेश्वर दयाल की समाधि बामनिया, साबरमती आश्रम, सरदार पटेल के निवास, बारदोली किसान आंदोलन स्थल, असम में शिवसागर, पश्चिम बंगाल में सिंगूर और नंदीग्राम, उत्तर दीनाजपुर, कर्नाटक के वसव कल्याण एवम बेलारी, गुजरात के 33 जिलों की मंडियों, 800 गांव, महाराष्ट्र के 150 गांव, राजस्थान के 200 गांव, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के 150 गांव, उत्तर प्रदेश के 75 गांव, बिहार के 30 गांव, हरियाणा के 60 गांव, पंजाब के 78 गांव, उड़ीसा के नवरंगपुर जिले के ग्राम पापडाहांडी की मिट्टी जहां 1942 में अंग्रेजों ने 19 सत्याग्रहियों की हत्या की थी। संबलपुर के शहीद वीर सुरेंद्र साय, लोअर सुकटेल बांध विरोधी आंदोलन के गांव एवं ओडिशा के अन्य 20 जिलों के 20 गांव की मिट्टी, छत्तीसगढ़ के बस्तर के भूमकाल आंदोलन के नेता शहीद गुंडाधुर ग्राम नेतानार, दल्ली राजहरा के शहीद शंकर गुहा नियोगी सहित 12 शहीदों के स्मारक स्थल और धमतरी जिला के नहर सत्याग्रह की धरती कंडेल से मिट्टी, मुलताई जहां 24 किसानों की गोली चलने में शहादत हुई, मंदसौर में 6 किसानों की शहादत स्थल की मिट्टी, ग्वालियर में वीरांगना लक्ष्मीबाई के शहादत स्थल, छतरपुर के चरणपादुका जहां गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय 21 आंदोलनकारी शहीद हुए उन शहीदों की भूमि की मिट्टी सहित मध्यप्रदेश के 25 जिलों के 50 ग्रामों की मिट्टी लेकर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची।

दिल्ली के नागरिक भी 20 स्थानों की मिट्टी के साथ बॉर्डर पर पहुंचेंगे। कई राज्यों से मिट्टी सत्याग्रह यात्राएं भी बॉर्डरों पर पहुंची और हर बॉर्डर पर शहीद किसान स्मारक बनाये गए है।

किसानों का बीजेपी नेताओ का घेराव ,सत्तधारी दल के नेता नहीं कर पा रहे सार्वजनिक कार्यक्रम

मंगलवार को राजस्थान के हनुमानगढ़ में जिला परिषद की बैठक में सासंद निहालचंद को आना था, जहां बड़ी संख्या में किसान जमा हो गए। किसानों के सवालों से डरे भाजपा सासंद बैठक स्थल आये ही नहीं। यह उन सभी तर्कों का जवाब है जो कहते हैं कि किसान आंदोलन बस एक राज्य में है। आज भाजपा नेता विजय सांपला का भी पंजाब के फगवाड़ा में घेराव व विरोध किया गया।

हरियाणा में प्रदर्शनकारी किसानों ने मंगलवार को सत्तारूढ़ भाजपा के एक सांसद का घेराव किया और उनकी कार के शीशे को चकनाचूर कर दिया। पुलिस ने यह जानकारी दी।

कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी ने कहा कि पुलिस को कुरुक्षेत्र से करीब 20 किलोमीटर दूर शाहबाद मरकंडा में उन्हें प्रदर्शनकारियों से दूर ले जाने में काफी मश्क्कत करनी पड़ी।

किसानों ने दो अलग-अलग घटनाओं में महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा के खिलाफ कैथल जिले में और पानीपत में कार्यक्रमों में हिस्सा लेने आ रहे प्रदेश भाजपा प्रमुख ओ पी धनखढ़ के खिलाफ नारेबाजी की।

केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसान जननायक जनता पार्टी के विधायक राम करण काला के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे तभी उन्हें पता चला कि सैनी पास ही माजरी मोहल्ला में भाजपा के एक कार्यकर्ता के घर आए हैं।

इसके बाद प्रदर्शनकारी भाजपा कार्यकर्ता के घर के बाहर एकत्र हो गए।

सैनी के मुताबिक जब उन्होंने वहां से निकलने की कोशिश की, तो 50 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों ने उनका घेराव किया। आरोप है कि प्रदर्शनकारियों में से कुछ उनके वाहन पर चढ़ गए और लाठियों से गाड़ी के शीशे को तोड़ दिए।

सैनी ने कहा कि पुलिस को उनके वाहन को इलाके से निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।

हरियाणा में किसान सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन के नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। कुरुक्षेत्र की घटना भी उसी कड़ी में हुई।

सांसद ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ हिंसा में शामिल होने वाले किसान नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग किसानों को बदनाम कर रहे हैं।

किसानों के एक अन्य दल ने भाजपा के प्रदेश प्रमुख धनखड़ के खिलाफ उस वक्त नारेबारी की, जब वह पानीपत में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आने वाले थे।

किसानों ने शनिवार को रोहतक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ प्रदर्शन किया था। जिसके बाद प्रशासन को मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर को दूसरी जगह उतारना पड़ा था।

किसानों ने पिछले सप्ताह हिसार हवाई अड्डे के बाहर उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

किसान नेताओं ने कहा है कि वे भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं का ‘‘शांतिपूर्ण तरीके से सामाजिक बहिष्कार’’ करना जारी रखेंगे।

जब से केंद्र सरकार द्वारा किसान विरोधी तीन कानून पेश किए गए है, किसान इनके खिलाफ संघर्ष कर रहे है। किसानों ने इन कानूनों की हिमायत या समर्थन करने वाले नेताओं व दलों के विरोध में प्रदर्शन भी किया। सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने भाजपा व इसके सहयोगी दलों व नेताओ का बहिष्कार किया हुआ है।

एसकेएम ने अपने बयान में कहा 'राजनैतिक नैतिकता के विचार को ध्यान में रखते हुए किसानों ने भाजपा व सहयोगी दलों के कई नेताओं को मजबूर किया है कि वे अपनी स्थिति बदलें व पार्टी छोड़कर किसानों का समर्थन करें। देश के कई हिस्सों में भाजपा व अन्य दलों के नेताओं ने किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहे संघर्ष को समर्थन देते हुए अपना पद छोड़ा है।'

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर भाजपा व सहयोगी दलों के सांसदो, विधायकों व अन्य नेताओं से अपील की है कि किसानों के संघर्ष का समर्थन करते हुए अपने पद व स्थिति को छोड़े। मोर्चा के मुताबिक भाजपा में रहते हुए भी कई नेताओं ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है, वहीं कई नेता सरकारी एजेंसियों के डर से किसानों के समर्थन में आगे नहीं आ रहे हैं। समय-समय पर यह देखने को मिला है कि किसान आन्दोलन के समर्थकों को सरकार द्वारा नोटिस भेजे गए हैं।

मोर्चा के मुताबिक किसानों का यह आंदोलन सहमति या असहमति से कहीं अधिक मानव अधिकारों और किसानों के प्रति संवेदनशीलता का मुद्दा है। इसे किसी घमंड की लड़ाई के बजाय सामाजिक मुद्दा समझा जाए। भाजपा के नेताओं से हम अपील करते हैं कि किसानों के प्रति सवेंदनशील रवैया रखते हुए अपने पदों से इस्तीफा दें व किसानों के संघर्ष को मजबूत करें।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

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