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कांवड़ियों पर फूल और रोज़गार की मांग पर लाठी... वाह रे पुलिस
हर तरह की परीक्षा पास कर चुके युवा पद की बहाली के लिए नागपुर से दिल्ली पैदल मार्च कर रहे हैं, जिसके जवाब में पुलिस उन्हें लाठियां दे रही है... 
रवि शंकर दुबे
26 Jul 2022
cartoon

कहने को तो देश में संविधान है, जो सवाल पूछने की भी इजाज़त देता है, और अपने हक़ के लिए लड़ने की भी। लेकिन दुर्भाग्य है कि मौजूदा केंद्र की सरकार इसकी इजाज़त नहीं देती। सवाल पूछने पर, नौकरी मांगने पर और इस सरकार में मौजूद तानाशाहों की वाहवाही न करने पर आपको एंटी नेशनल घोषित कर दिया जाता है, ‘एंटी नेशनल’ जैसा शब्द जिसका संविधान में कोई ज़िक्र नहीं है। कहने का मतलब ये कि आप भारतीय जनता पार्टी के फ़रमानों की और कुछ न किए गए कामों की लिस्ट तैयार करेंगे तो शायद ही कुछ संविधान के पैमाने पर ख़रा उतरे।

कुछ ऐसे ही युवा हैं जो इस सरकार की वाहवाही न कर अपनी नौकरी मांगने के लिए नागपुर से दिल्ली तक पैदल मार्च कर रहे हैं, जिनके हाथों में शोभा यात्राओं की तरह तलवारें या चाकू नहीं बल्कि तिरंगा है। इसके बावजूद इस तानाशाह सरकार की ग़ुलाम हो चुकी पुलिस उन्हें पीट रही है और रातोंरात सीमा पार कर जाने की धमकी दे रही है। 

इसके ठीक उलट यही पुलिस उन युवाओं के पैर धो रही है और उनपर फूल बरसा रही है, जो ट्रैफिक नियमों की सारी हदें तोड़कर कांवड़ यात्रा में शामिल हो रहे हैं, और ख़ुद को भोलेनाथ का तथाकथित भक्त बताते हैं।

पत्रकार अनुराग द्वारे ने इन युवाओं की पैदल यात्रा का एक वीडिया ट्वीट किया है, जिसे देखकर आपको समझ आएगा, कि कैसे इन युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा है

इस देश में #कांवड़ियों पर प्रशासन फूल बरसाता है लेकिन अहिंसक रूप से आंदोलन कर रहे छात्रों को गिरफ्तार किया जाता है, 2018 में अर्धसैनिक बलों में चयन हुआ 2022 तक नौकरी नहीं मिली, नागपुर से दिल्ली तक चुपचाप मार्च कर रहे हैं कभी सागर में धकेले गये, कभी आगरा में पीटे गये अब मथुरा! pic.twitter.com/ujfwQRGoDb

— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) July 24, 2022

ये वीडियो मथुरा का है जिसमें सभी युवा लड़कियों के हाथ में सिर्फ तिरंगा है, इनका ये भी कहना है कि इनकी मंशा किसी भी तरह से सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना नहीं है, इसके बावजूद पुलिस इन्हें आगे बढ़ने की इज़ाजत नहीं दे रही है। आपको बता दें कि इस पैदल मार्च में कऱीब 200 युवा लोग शामिल हैं, जिनमें ज्यादातर लड़कियां है। ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि जिस सरकार के नेता अपने 2 घंटे के भाषण में 1 घंटा 45 मिनट सिर्फ महिला सुरक्षा पर लैक्चर देते हैं, क्या ये सिर्फ झूठ परोसते हैं? हम ऐस क्यों कह रहे हैं, इसका पता आपको ये वीडियो देखकर लगेगा, जिसे पत्रकार स्वाती सुबेदार ने ट्वीट कर शेयर किया है।

Flowers for kawars.

Threats to job seekers.

Our priorities are clear.#NewIndia pic.twitter.com/XFxRAw9e5n

— Swati Subhedar (@swatiSubhedar) July 25, 2022

इस वीडियो को देख आप समझ ही गए होंगे, कि लड़कियों की सुरक्षा के नाम पर जो झूठ केंद्र और राज्य सरकार बोलती है, उसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है। सच्चाई सिर्फ ये है, कि सत्ता के सिंघासन पर बैठने के लिए ये किसी की भी बली देने को तैयार रहते हैं। 

अब आपको पूरे मामले से रुबरू करवाते हैं।

साल 2018 में एसएससी ने अर्धसैनिक बल के लिए लगभग 60 हज़ार 210 भर्तियां निकाली थी, जिनमें से 54 हज़ार अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी गई है। वहीं, बिना किसी कारण बताए पांच हज़ार ऐसे अभ्यार्थियों को नौकरी नहीं दी गई जिन्होंने अपना फिजिकल और मेडिकल पास कर लिया है। इसके अलावा इन पांच हज़ार अभ्यार्थियों को वाजिब वजह भी नहीं बताई गई है कि आखिरकार उन्हें ये नौकरी क्यों न दी जाए? जबकि वो सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर चुके हैं। अब ऐसे लगभग 200 युवा जिनमें लड़के लड़कियां शामिल हैं, दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं और उनका यह सफर नागपुर से शुरू हुआ है।

सिर्फ दिल्ली कूच ही नहीं इससे पहले नागपुर में भी इन य़ुवाओं ने 72 दिनों तक प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन जब शुरु हुआ तब ये महज़ कुछ ही गए, लेकिन जैसे-जैसे आंदोलन तेज़ हुआ लोगों की संख्या भी बढ़ गई, जिसके बाद इन लोगों ने फैसला किया अब दिल्ली की ओर कूच करना बेहद ज़रूरी हो जाता है। इनमें से कई युवाओं का ये तक कहना है कि वो पिछले 6 महीने से नौकरी की मांग के लिए कभी प्रदर्शन में तो कभी रैलियों में शामिल हो रहे हैं, घर का मुहाना तक नहीं देख पाए।

अगर ये युवा नागपुर से चलकर दिल्ली आ रहे हैं तो छाले इनके पैर भी पड़े होंगे। फिर क्या योगी सरकार की पुलिस, शिवराज सरकार की पुलिस को इनके पैरों के छाले नहीं दिखे होंगे। पुलिस उनके पैर नहीं धो सकती है। इन पर फूल नहीं बरसाए जा सकते हैं? शायद नहीं!  क्योंकि ये उतनी ही देर में सरकार तक 100 सवाल पहुंचाने तक बोल देंगे। और किसे नहीं पता ये सरकार सबसे ज्यादा तो सवालों से ही डरती है।

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