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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ का दुबई में निधन, कराची में दफ़नाया जाएगा

मुशर्रफ़ की बीमारी 2018 में सामने आई थी जब उनकी पार्टी ‘ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ (एपीएमएल) ने घोषणा की कि पूर्व सैन्य शासक एक दुर्लभ बीमारी ‘एमिलॉयडोसिस’ से जूझ रहे हैं।
Pervez Musharraf

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और 1999 में करगिल युद्ध के मुख्य सूत्रधार रहे जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ का रविवार को एक लाइलाज बीमारी से वर्षों तक जूझने के बाद दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे।

मुशर्रफ पाकिस्तान में अपने खिलाफ आपराधिक आरोपों से बचने के लिए संयुक्त अरब अमीरात में स्व: निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे। उनका दुबई में अमेरिकन हॉस्पिटल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।

उनके परिवार के मुताबिक, मुशर्रफ दुर्लभ बीमारी ‘एमिलॉयडोसिस’ से पीड़ित थे, जिसमें पूरे शरीर के अंगों और ऊतकों में एमिलॉयड नामक एक असामान्य प्रोटीन बनता है।

मुशर्रफ के निधन के तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना की मीडिया इकाई ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आईएसपीआर) ने एक बयान जारी कर कहा कि ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद और सभी सेवाओं के प्रमुखों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।

बयान में कहा गया, ‘‘अल्लाह उनकी रूह को सुकून अता फरमाए और शोक संतप्त परिवार को ताकत दें।’’

समाचार चैनल ‘जियो न्यूज’ की खबर के अनुसार, मुशर्रफ के परिवार ने दुबई में पाकिस्तानी वाणिज्य दूतावास में एक आवेदन दायर कर उनके पार्थिव शरीर को दफनाने के लिए पाकिस्तान ले जाने की अनुमति मांगी थी।

मुशर्रफ का पार्थिव शरीर पाकिस्तान लाने के लिए एक विशेष सैन्य विमान रावलपिंडी में नूर खान एयरबेस से दुबई के लिए उड़ान भरेगा।

मुशर्रफ को कराची के कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा। उनके पारिवारिक सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की।

उनकी बीमारी 2018 में सामने आई थी जब उनकी पार्टी ‘ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ (एपीएमएल) ने घोषणा की कि पूर्व सैन्य शासक एक दुर्लभ बीमारी ‘एमिलॉयडोसिस’ से जूझ रहे हैं।

पिछले साल जून में उन्हें तीन सप्ताह के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय सोशल मीडिया पर उनके निधन की खबरें प्रसारित होने के बाद उनके परिवार ने एक बयान में कहा था, ‘‘वह एक मुश्किल दौर से जूझ रहे हैं जहां ठीक होना संभव नहीं है और शरीर के अंग ठीक तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। रोजमर्रा की जिंदगी को आसानी से जीने के लिए प्रार्थना करिए।’’

मुशर्रफ ने ही करगिल युद्ध की साजिश रची थी, जो महीनों तक चला था। इस युद्ध से कुछ महीने पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के अपने समकक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लाहौर में ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।

करगिल में मिली नाकामी के बाद मुशर्रफ ने 1999 में तख्तापलट कर तत्कालीन प्रधानमंत्री शरीफ को अपदस्थ कर दिया था और 1999 से 2008 तक विभिन्न पदों पर रहते हुए पाकिस्तान पर शासन किया था।

दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे मुशर्रफ का परिवार 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान चला गया था। उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में स्व-निर्वासन के दौरान बीमारी से जूझते हुए अपने अंतिम वर्ष बिताए।

जनरल मुशर्रफ उस वक्त पाकिस्तान के ‘‘मुख्य कार्यकारी’’ थे जब अमेरिका पर 9/11 हमला हुआ था और उन्होंने पड़ोसी अफगानिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप के दौरान वाशिंगटन का साथ दिया था।

नवाज शरीफ के छोटे भाई एवं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुशर्रफ के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में उन्होंने कहा, ‘‘खुदा उनके गुनाहों को माफ फरमाए और परिवार को संयम दें।’’

सीनेट के अध्यक्ष सादिक संजरानी ने भी पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर दुख जताया और शोकसंतप्त परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं।

सात साल से अधिक वक्त तक सत्तासीन रहने वाले मुशर्रफ ने हत्या के तीन प्रयासों से बचते हुए देश की आर्थिक वृद्धि की कमान संभाली। उन्होंने 2002 के जनमत संग्रह में राष्ट्रपति के तौर पर पांच साल का कार्यकाल हासिल किया लेकिन 2007 तक सेना प्रमुख का पद छोड़ने का वादा पूरा नहीं किया।

मुशर्रफ की 2013 में सत्ता में लौटने की योजना पर उस समय पानी फिर गया था, जब उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दे दिया गया था। यह चुनाव शरीफ ने जीता था जिन्हें मुशर्रफ ने 1999 में अपदस्थ कर दिया था।

मार्च 2014 में मुशर्रफ को तीन नवंबर 2007 को संविधान निलंबित करने का दोषी ठहराया गया था। दिसंबर 2019 में एक विशेष अदालत ने मुशर्रफ को राजद्रोह के मामले में मृत्यदंड सुनाया था।

पूर्व सैन्य शासक इलाज कराने के लिए मार्च 2016 में दुबई गए थे।

वह 1964 में पाकिस्तानी सेना में भर्ती हुए थे। उन्होंने 1968 में सहबा मुशर्रफ से निकाह किया तथा उनका एक बेटा और बेटी हैं। उन्होंने क्वेटा के आर्मी स्टाफ एंड कमांड कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की थी।

मुशर्रफ मार्च 2016 से दुबई में रह रहे थे जब पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने दुबई में इलाज कराने के लिए उन पर यात्रा प्रतिबंध हटा लिया था।

मुशर्रफ ने 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा की थी और वह 2005 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए क्रिकेट मैच को देखने के लिए भी पहुंचे थे। उन्होंने अपने शुरुआती साल - 1949 से 1956 तक - तुर्किये में बिताए, क्योंकि उनके पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन अंकारा में तैनात थे।

तुर्किये से लौटने के बाद उन्होंने सेंट पैट्रिक हाई स्कूल, कराची और फिर एफ.सी. कॉलेज, लाहौर से पढ़ाई की। वह 1961 में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे।

मुशर्रफ ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में एक युवा अधिकारी के रूप में लड़ाई लड़ी और कमांडर के रूप में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी भाग लिया था।

मुशर्रफ जनरल के पद तक पहुंचे और सात अक्टूबर, 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा उन्हें सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें नौ अप्रैल, 1999 को ‘ज्वाइंट चीफ स्टॉफ कमेटी’ के अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। इसके छह महीने बाद, उन्होंने सैन्य तख्तापलट कर शरीफ सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था।

मुशर्रफ का जन्म 1943 में दिल्ली में हुआ था और 1947 में उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था। वह पाकिस्तान पर शासन करने वाले अंतिम सैन्य तानाशाह थे।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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