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लाओस में जीवाश्म की खोजों से पता चला है कि  दक्षिण पूर्व एशिया में आधुनिक मानव पहले आए थे

दक्षिण-पूर्व एशिया में आधुनिक मानवों के आने का समय, काफ़ी सक्रिय शौध का विषय रहा है और यह काफी हद तक रहस्यमयी बना रहा है; हालाँकि, नई खोज से निकले निष्कर्षों ने इस पर कुछ नई रौशनी ज़रूर डाली है।
Fossil Discoveries
फ़ोटो साभार: ट्विटर

हम जानते हैं कि, आज दुनिया भर के सभी लोग जो हजारों साल पहले अफ्रीका से बाहर आए थे वे अपनी जड़ें वहां खोज सकते हैं। बड़ा सवाल यह है कि, आधुनिक मानवों का शुरुवाती और सबसे पहला जत्था दक्षिण-पूर्व एशिया में कब आया था? जैसा कि माना जाता था और जो पहले लगता भी था, वह अब इस नए शोध के निष्कर्षों के अनुसार है।

दक्षिण-पूर्व एशिया में आधुनिक मानवों के आने का समय, काफी सक्रिय शौध का विषय रहा है और यह काफी हद तक मायावी बना रहा है; हालाँकि, नई खोज से निकले निष्कर्षों ने इस पर कुछ नई रोशनी जरूर डाली है।

13 जून को नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित एक शोध में, वैज्ञानिकों ने लाओस में एक गुफा में खुदाई के माध्यम से पाई गई हड्डियों की एक जोड़ी का विश्लेषण किया और उन्हे 68,000 से 86,000 साल पहले के बीच के वक़्त में दिनांकित किया है। निष्कर्ष न केवल एशियाई दृष्टिकोण से बल्कि आधुनिक मानव के अफ्रीका के बाहर प्रवास के बारे में पुनर्विचार के मामले में भी आकर्षक हैं। अनुसंधान उत्तरी लाओस में मौजूद ताम पा लिंग नामक एक गुफा पर केंद्रित था, जिसे कभी प्रारंभिक आधुनिक मानवों द्वारा बसाया गया था।

खोज के पीछे की कहानी

टैम पा लिंग (टीपीएल) उत्तरी लाओस में एनामाइट पर्वत श्रृंखला में ऊंचाई में स्थित एक विशाल, ढलान वाली गुफा है। टीपीएल गुफा को पहली बार वर्ष 2009 में शुरुआती आधुनिक मानवों की उपस्थिति के बारे में खोज के लिए खोजा गया था और उस समय, लॉरा एल शेकेलफ़ोर्ड, वर्तमान में इलिनोइस विश्वविद्यालय, उरबाना-शैंपेन में मानवविज्ञानी, इसमें शामिल वैज्ञानिकों में से एक थीं। 2009 की खुदाई में, शेकेलफ़ोर्ड और उनकी टीम ने टीपीएल गुफा में आधुनिक मानव कपाल (सिर बनाने वाली हड्डियाँ) खोजने की सूचना दी थी, जिसे टीपीएल1 नाम दिया गया था। शेकेलफ़ोर्ड, नेचर कम्युनिकेशन इस नए पेपर के संबंधित लेखक भी हैं। तब से, उन्होने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर प्रारंभिक मानव अवशेषों की खुदाई की और प्रारंभिक मानव प्रवास की स्पष्ट तस्वीर हासिल करने का मार्ग प्रशस्त किया था।

नए अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक दो हड्डियाँ मिली हैं - एक टिबियल टुकड़ा है और दूसरी खोपड़ी की सामने की हड्डी है। टिबिया पैर की हड्डी है जो हमारे शरीर के वजन को उठाती है। ललाट की हड्डी और टिबियल के टुकड़े को क्रमशः टीपीएल 6 और टीपीएल 7 का नाम दिया गया है। विशेष रूप से, हड्डी के नाम से संकेत मिलता है कि 2009 में पहली बार खोजे जाने के बाद से टीपीएल से सात हड्डियों की खुदाई की गई है।

टीपीएल गुफा में एक दशक से अधिक के मेहनती खोज/अन्वेषण के बाद, शैकफोर्ड और उनकी टीम ने अब तक निकाले गए डेटा की मदद से गुफा का कालक्रम तैयार किया है। गुफा में मिट्टी की परतों के बीच जमा तलछट और हड्डियों से पता चला है कि आधुनिक मानव ने कम से कम 68,000 वर्षों तक इस गुफा में निवास किया था। यह अफ्रीका से दक्षिण पूर्व एशिया में मानव प्रवासन के बारे में एक उल्लेखनीय सुराग देता है।

बची-खुची हड्डियों की नई खोज इस लिए भी हुई होगी क्योंकि बाढ़ के कारण गुफा से काफ़े कुछ बह गया होगा। वास्तव में, हो सकता है कि गुफा में किसी को भी स्थायी आश्रय न मिला हो, क्योंकि हर साल बाढ़ गुफा से बहती थी जो सतह से गहराई तक तलछट और हड्डियों को बहा ले जाती थी। अत: अनुसंधानकर्ताओं ने गुफा से जो कुछ भी हासिल किया,  वह उसकी परतों से हासिल किया है। सौभाग्य से, कुछ परतों में हड्डियों के टुकड़े रह गए होंगे। जीवाश्म हासिल करने के लिए शोधकर्ताओं को 7 मीटर की गहराई तक खुदाई करनी पड़ी।

शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रॉन स्पिन अनुनाद या यूरेनियम श्रृंखला डेटिंग जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करके प्रारंभिक आधुनिक मानव जीवाश्मों के साथ वहां पाए गए कुछ शाकाहारी दांतों को भी दिनांकित किया है। उन्होंने तलछट की उम्र की गणना ल्यूमिनेसेंस डेटिंग के रूप में जानी जाने वाली तकनीक की मदद से की है, जब यह पता चला कि हल्के कण या फोटॉन आखिरी बार मिट्टी से टकराते हैं।

उनके विश्लेषण से, हाल ही में खोजी गई खोपड़ी और पैर की हड्डियाँ लगभग 70,000 से 77,000 वर्ष पुरानी हैं। हालाँकि, पैर की हड्डी 86000 साल पुरानी हो सकती है।

जैसा कि नवीनतम अध्ययन के लेखकों ने लिखा है, अफ्रीकी मूल के होमो सेपियन्स के करीब 3,00,000 साल पहले के हैं, जियांका पता जीवाश्म और आनुवंशिक प्रमाण से मिलता है। उसके बाद मानव फैलाव और विशेष रूप से यूरेशिया में इसके फैलाव पर अत्यधिक बहस हुई है। इस क्षेत्र में अफ्रीका से बाहर प्रवासन दो समयावधियों में आता है; एक एमआईएस (मरीन आइसोटोप स्टेज)-5 के दौरान है जो 1,30,000 से 80,000 साल पहले की अवधि है और दूसरा एमआईएस5 के बाद की अवधि के दौरान है। 2009-2010 में शेकेलफ़ोर्ड और उनकी टीम की खुदाई से होमो सेपियन्स खोपड़ी और जबड़े की हड्डी की खोज हुई थी, जो लगभग 46,000 साल पुरानी थी।

डीएनए विश्लेषण के आधार पर, कुछ परिकल्पनाएं बताती हैं कि एमआईएस 5 चरण के बाद की अवधि के दौरान शुरुआती आधुनिक मानव अफ्रीका से एक ही लहर में फैल गए थे। टीपीएल गुफा से लाओस जीवाश्म, हालांकि, अन्यथा सुझाव देते हैं - कि इस क्षेत्र में फैलाव एमआईएस5 चरण समाप्त होने से बहुत पहले हुआ था।

यहां उल्लेख करने योग्य बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया में मानव उपस्थिति का सबसे पहला प्रमाण 65,000 साल पहले का है, जो उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में एक उथली गुफा, मदजेदबेदे में पाए गए पत्थर के औजारों और लकड़ी के कोयले पर आधारित है। लाओस ऑस्ट्रेलिया के प्रवास मार्ग में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है।

सुमात्रा में, वर्ष 2017 में, लिजा एवर गुफा में एच सेपियन्स के दांत पाए गए थे, जिनका 70,000-46,000 साल पुराने होने का अनुमान लगाया गया था और पत्थर के औजार मध्य भारत में पाए गए थे (जो मानव निर्मित थे), वे 74,000 साल पुराने थे, जैसा कि उल्लेख किया गया था विज्ञान में प्रकाशित लाओटियन जीवाश्मों के बारे में एक लेख में माइकल प्राइस ने इस बारे में लिखा है। हालांकि, इन सभी निष्कर्षों पर इलाके के अन्य विशेषज्ञों द्वारा सवाल उठाए गए हैं।

शेकेलफ़ोर्ड और अन्य लोगों द्वारा एक दशक लंबे उत्खनन के प्रयास से दक्षिण-पूर्व एशिया में शुरुआती प्रवासन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी की खोज हुई है। शेकलफ़ोर्ड का कहना है कि वे और जीवाश्मों और नई जानकारी की तलाश में गुफा में और खुदाई करना जारी रखेगी। उनके शब्दों में, "यह सिर्फ एक विशाल पहाड़ है, यहां हजारों गुफाओं को तलाशा जा सकता है।"

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें।

Fossil Discoveries in Laos Suggest Earlier Arrival of Modern Humans to Southeast Asia

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