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बलूचिस्तान के मारवाड़ में चार कोयला खनिकों की अपहरण के बाद हत्या

ये लक्षित हमला कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने किया था जिन्होंने दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान में मारवाड़ कोयला क्षेत्र के अंदर कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या कर दी।
बलूचिस्तान के मारवाड़ में चार कोयला खनिकों की अपहरण के बाद हत्या

24 अगस्त को बलूचिस्तान प्रांत में कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने करीब चार कोयला खनिकों की हत्या कर दी। हत्यारे मारवाड़ कोलफील्ड क्षेत्र के अंदर घुस गए और कर्मचारियों का अपहरण कर लिया और बाद में उनकी हत्या कर दी।

मृतक खनिकों की पहचान हिदायत-उर-रहमान, अब्दुल वकील और गुल हकीम के रूप में की गई जो निजी कोयला कंपनियों नेशनल कोल कंपनी और दीनार कोल माइंस के लिए काम करते थे। चौथे पीड़ित की शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है।

हन्ना पुलिस स्टेशन और सिविल अस्पताल के अधिकारियों ने पुष्टि की कि कई गोली लगने से कोयला खनिकों की मौके पर ही मौत हो गई। उनमें से दो खैबर पख्तूनखा के स्वात से थे जबकि दूसरा क्वेटा का है, जो मारवाड़ कोयला क्षेत्र से लगभग 75 किलोमीटर दूर है।

हालांकि ये हमलावर खनिकों पर गोली चलाने के बाद मौके से भागने में सफल रहे। कोयला खनिकों पर लक्षित हमला कई वर्षों से हो रहा है, जिससे यूनियनों को देश में कोयला खनिकों की सुरक्षा के लिए कई विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस बार किसी भी चरमपंथी संगठन ने खनिकों पर हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है।

इससे पहले जनवरी में बलूचिस्तान के माच इलाके में कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने लगभग इसी तरह 11 कोयला खनिकों की हत्या कर दी थी जिन्होंने बंदूक की नोक पर कर्मचारियों का अपहरण कर लिया था और बाद में उन्हें पास के क्षेत्र में मार डाला था।

कोयला खनिकों के नरसंहार के बाद हजारा समुदाय और स्थानीय लोगों ने कई विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया जिन्होंने इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करने की मांग करते हुए कई दिनों तक शवों को दफनाने से इनकार कर दिया था।

साल 2020 में बलूचिस्तान में 72 अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 102 कोयला खनिक मारे गए। जनवरी से मार्च के बीच इस प्रांत में कम से कम 43 खनिकों ने अपनी जान गंवाई है।

वर्तमान में बलूचिस्तान के सात अलग-अलग जिलों में 2,800 से अधिक कोयला खदानें हैं, जहां 70,000 से अधिक लोग काम करते हैं। कई कार्यकर्ता समूहों ने बार-बार शिकायत की है कि कैसे हजारों खनिकों के लिए पाकिस्तानी खदानों की स्थिति असुरक्षित है। पाकिस्तान माइंस लेबर फेडरेशन के अनुसार खनन में मुख्य संकट का कारण "संस्थागत उदासीनता और अनुबंध प्रणाली" माना जाता है।

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