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फ्रांस चुनाव: वामपंथी और प्रगतिशील ताक़तों ने दक्षिणपंथियों का मुक़ाबला करने के लिए बनाया नया मोर्चा

फ्रांस में वामपंथी और मध्य-वाम दलों ने आगामी चुनाव में मरीन ले पेन की नेशनल रैली को चुनौती देने के लिए एक संयुक्त मंच की घोषणा की है।
France elections
कार्यक्रम की घोषणा के बाद एनएफपी के सदस्य, 14 जून, 2024। स्रोत: ला फ्रांस इनसोमीस/एक्स

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 9 जून को यूरोपीय संसद के चुनाव के भयावह परिणाम के बाद नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है। मैक्रों की पुनर्जागरण पार्टी जो उदारवादी गठबंधन से संबंधित है उसने केवल 13 सीटें जीती, जबकि मरीन ले पेन की दक्षिण पंथी पार्टी नेशनल रैली को 30 सीटें मिली हैं। इस घोषणा पर शुरू में लोगों ने खुशी जताई, लेकिन इसे लेकर काफी आश्चर्य भी हुआ।

मैक्रों की सरकार कई विवादास्पद नीतियों के कारण लोकप्रियता खो रही है:  सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाना, इमिग्रेशन के दिशा-निर्देशों को सख्त करना और यूक्रेन में फ्रांसीसी सैनिकों को भेजने की तत्परता भी इसका एक संकेत है। इसके अलावा, प्रशासन को विदेशी इलाकों में अपने व्यवहार के चलते भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें हाल ही में न्यू कैलेडोनिया में लोकप्रिय विद्रोहों पर कार्रवाई भी शामिल है।

मौजूदा सर्वेक्षणों में अनुमान लगाया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 33 फीसदी वोट नेशनल रैली को मिलेंगे, जो कि रेनेसां पार्टी से काफी ज़्यादा है, जिससे 20 फीसदी से थोड़ा कम मिलने की उम्मीद है। इस परिदृश्य में, नेशनल रैली को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा, लेकिन फिर भी उसके पास अपने इमिग्रेशन विरोधी और सुरक्षा एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त ताक़त होगी।

ले पेन और नेशनल रैली के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार जॉर्डन बार्डेला अपनी स्थिति को सुधारने के लिए अन्य दक्षिणपंथी और मध्य-दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। एरिक ज़ेमोर के रिकोनक्वेस्ट और गॉलिस्ट रूढ़िवादी पार्टी द रिपब्लिकन के साथ बातचीत की गई है।

हालांकि, सभी वार्ताओं में बाधाओं का सामना करना पड़ा है। ज़ेमोर ने घोषणा की है कि नेशनल रैली के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा, जिससे उनके यूरोपीय संसद उम्मीदवार मैरियन मारेचल के साथ मतभेद हो गया, जो ले पेन (उनकी चाची) के खेमे में लौट गए हैं। रूढ़िवादियों में, रिपब्लिकन के अध्यक्ष एरिक सिओटी ने दक्षिणपंथी ताक़तों के साथ गठबंधन की घोषणा की, लेकिन पार्टी के बाकी नेतृत्व ने इसका विरोध किया, जिसके कारण सिओटी को निष्कासित कर दिया गया। सिओटी और रिपब्लिकन अब अभियान शुरू होने से कुछ दिन पहले अदालत में विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

वाम से मध्यमार्गियों का एकजुट मोर्चा

जबकि दक्षिणपंथी ताक़तों में मतभेद बहुत हैं, मध्य-वाम और वामपंथी दलों ने यूरोपीय चुनाव के बाद से ले पेन को सत्ता हथियाने से रोकने और मैक्रोन की कुछ नीतियों को उलटने के लिए एक संयुक्त मंच बनाने की कोशिश में काफी समय लगाया है। शुक्रवार, 14 जून को, सोशलिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, ग्रीन्स और फ्रांस अनबोड (ला फ्रांस इनसोमिस, एलएफआई) ने न्यू पॉपुलर फ्रंट, एनएफपी के कार्यक्रम की घोषणा की है। संयुक्त मंच में सेवानिवृत्ति की आयु कम करना और बढ़ती खाद्य और ऊर्जा की कीमतों पर अंकुश लगाना शामिल है। एलएफआई के मैनन ऑब्री के अनुसार, गठबंधन का मुख्य उद्देश्य "लाखों लोगों के लिए जीवन स्तर में सुधार करना" है।

नेशनल रैली की लोकप्रियता को देखते हुए वामपंथियों में एकता का निर्माण एक सकारात्मक घटना है, हालांकि कार्यक्रम को लेकर स्पष्ट रूप से कठिन सौदेबाजी हुई है। यूक्रेन और फ़िलिस्तीन में चल रहे युद्धों पर असहमति के कारण पिछले वामपंथी मंच भंग हो गए हैं। जबकि एलएफआई ने शांति और निरस्त्रीकरण की वकालत की है, अन्य ने अधिक मुख्यधारा के यूरोपीय रुख को अपनाया है, जो इस क्षेत्र में मजबूत हो रहे नाटो समर्थक रुझान की पर्याप्त आलोचना से दूर है।

एनएफपी लॉन्च के अवसर पर पार्टी प्रतिनिधियों ने कहा कि उनकी प्राथमिकता “अंतर्राष्ट्रीय मंच पर फ्रांस के लिए शांति के मार्ग” पर लौटना होगी, जिसमें व्लादिमीर पुतिन के आक्रामक युद्ध के सामने यूक्रेन का समर्थन करना और गज़ा में चल रहे नरसंहार के सामने तत्काल युद्ध विराम हासिल करने के साधन प्रदान करना शामिल है। इस प्राथमिकता की व्याख्या पर टकराव किस हद तक एनएफपी की सफलता को प्रभावित करेगा, यह देखना अभी बाकी है।

वर्तमान में, एकीकृत वाम मोर्चे के पास लगभग 28-30 फीसदी मत हैं: जो कि नेशनल रैली से आगे निकलने के लिए काफी नहीं है, लेकिन अपेक्षित परिदृश्य होने पर प्रतिरोध उत्पन्न करने के लिए काफी है।

ाभार: पीपल्स डिस्पैच

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