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आजादी @75:  निजीकरण की सड़क पर चलने से आम आदमी का भला नहीं हो सकता

आजादी के बाद भारत के नेताओं ने समाजवादी चिंतन से देश को चलाया। लेकिन अब यह हालत हो गयी कि देश की पूरी आर्थिक नीतियां पूंजीवादी किस्म की हो गयी हैं। प्राइवेटाइजेशन के नारे लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि बिना प्राइवेटाइजेशन के देश का विकास मुमकिन नहीं है। सरकार का काम कारोबार करना करना नहीं है। प्राइवेटाइजेशन का अब तक का सफर कैसा रहा है? प्राइवेटाइजेशन से क्या असर पड़ा है? इन्हीं सब मुद्दों को लेकर फ्रंटलाइन के संपादक वी.श्रीधर के इस वीडियो में बात की गयी है। 

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