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सीएए-एनआरसी के खिलाफ बिहार में गांधीवादी लहर

गया शहर के शांति बाग, पटना के सब्ज़ी बाग और फुलवारी शरीफ़, नालंदा में बिहारशरीफ, नवादा, बेगूसराय से लेकर किशनगंज जिले तक में कई धरने-प्रदर्शनों का दौर चल रहा है।
CAA Protest

पटना: सीएए-एनआरसी के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में चल रही गांधीवादी लहर ने बिहार के शहरी, उपशहरी और ग्रामीण क्षेत्र में विरोध के स्वर को तेज कर दिया है।

महीने भर से चल रहे शाहीन बाग प्रतिरोध से प्रेरित होकर, जिसे सीएए-एनआरसी के खिलाफ शांति और अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत के तहत चलाया जा रहा है, वह अब बिहार के गया शहर के शांति बाग, पटना के सब्ज़ी बाग और फुलवारी शरीफ़, नालंदा में बिहार शरीफ, नवादा, बेगूसराय से लेकर किशनगंज जिले तक कई धरने-प्रदर्शनों का दौर चल रहा है। जल्द ही अन्य जिलों में भी इस तरह के विरोध प्रदर्शन शुरू होने वाले हैं।

इन धरनों के अलावा, पिछले कुछ दिनों से राज्य में कई प्रकार के विरोध प्रदर्शन देखे गए हैं। ऐसा ही एक विरोध नियमित रूप से शाम 6 बजे से 7 बजे तक गया के रेलवे अस्पताल के पास होता है जहां युवाओं का एक समूह चुपचाप तख्तियों और बैनर के साथ खड़ा होकर विरोध करता है।

जबकि शांति बाग का विरोध बुधवार को 18 वें दिन में प्रवेश कर गया तो सब्जी बाग के विरोध को चार दिन और फुलवारी शरीफ और बिहार शरीफ के विरोध को तीन दिन हो गए है। उधर किशनगंज में विरोध प्रदर्शन 14 जनवरी से शुरू हुआ था। राज्य में लोगों ने और खासकर महिलाओं ने सीएए-एनआरसी के खिलाफ विभिन्न जगहों पर खुले आसमान के नीचे घंटों बिताए हैं, जो भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ सीधी लड़ाई लड़ रहे हैं।

इस तरह की गांधीवादी लहर हाल के दशकों में अभूतपूर्व है। मंगलवार की रात को बिहार के विपक्षी नेता तेजस्वी यादव शांति बाग में प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल हुए तो वहीं जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भी सब्ज़ी बाग में प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग शामिल थे।

सब्ज़ी बाग, भीड़भाड़ वाले मुहल्लों और बाजारों से घिरा हुआ है और पटना के बीचोबीच है, यहां कन्हैया कुमार ने अपने आम लहजे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर हमला बोला और लोगों से सीएए-एनआरसी के खतरनाक डिजाइन के खिलाफ मजबूती से खड़े होने का आह्वान किया। उन्होंने उनके द्वारा प्रसिद्ध "आज़ादी" के नारे भी लगाए, जिसमें सभी प्रदर्शनकारी शामिल हो गए। इस मौके पर पटना विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र भी सबजी बाग में एकत्रित हुए थे।

कन्हैया ने कहा, "लोगों का यह विरोध मोदी-नीत सरकार को सीएए-एनआरसी को वापस लेने के लिए मजबूर करेगा।" हम देश भर में विरोध को और तेज करेंगे। तानाशाह सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए चारों ओर शाहीन बाग होगा।”

दूसरी ओर तेजस्वी ने न केवल मोदी पर निशाना साधा बल्कि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी हमला बोला। उनके संबोधन के समय शांति बाग में लोगों का भारी जमावड़ा था।

होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ॰ होमी जो नियमित रूप से शांति बाग में विरोध प्रदर्शन में भाग लेते रहे हैं उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि जब तेजस्वी 7 बजे वहां पहुंचे तो शांति बाग के खुले मैदान में कोई जगह खाली नहीं बची थी। उन्होंने कहा, "मैदान में काफी भीड़ हो गई थी, करीब 8,000 से 9,000 तक लोग मौजूद थे। अन्य दिनों की भीड़ की तुलना में यह लगभग दोगुनी भीड़ थी और लोगों को संकरी गलियों में जाना पड़ा ताकि वे तेजस्वी को सुन सके।"

"हालांकि, तेजस्वी की सीएए-एनआरसी प्रदर्शनकारियों को संबोधित करने की योजना को मंगलवार की सुबह ही अंतिम रूप दिया गया था और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने कोई अतिरिक्त तैयारी नहीं की थी। संविधान बचाओ मोर्चा के संयोजक ओमवीर खान उर्फ टिक्का खान जो 23 दिसंबर से चल रहे शांति बाग में विरोध के पीछे का एक चेहरा है उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन में भीड़ लगातार बढ़ रही है। इसमें सभी क्षेत्रों के लोग शामिल हो रहे हैं। हम विरोध करने के लिए गांधीवादी रास्ते पर चल रहे हैं। यह लोगों के समर्थन से जारी रहेगा।”

गया में एक पुलिस अधिकारी के अनुसार तेजस्वी यादव की रैली में भीड़ यूपी के सीएम द्वारा संबोधित रैली से कम नहीं थी अगर कोई इसके पीछे की तैयारियों को देखता है। भले ही भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि उनकी रैली में 50000 की भीड़ थी लेकिन यह जमीनी हकीकत से दूर है और उसे पांच गुना अधिक बताया जा रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि गया में अपने संबोधन में आदित्यनाथ ने दावा किया कि, "केवल मुट्ठी भर लोग विरोध कर रहे हैं।" लेकिन गया में, जो मुश्किल से उनकी सभा से एक किलोमीटर की दूरी पर था, नौजवानों ने सेंकड़ों काले गुबारे सीएए-एनआरसी के विरोध के तौर पर आसमान में छोड़े थे।

रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि सीमांचल और कोसी क्षेत्र के सुदूर इलाकों में, जिसमें बाढ़ वाली हिस्से भी शामिल हैं, वहां के लोगों ने विरोध मार्च के तहत अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए कैंडल मार्च निकाला और छोटी-छोटी सभाओं का आयोजन किया है। जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष और सब्ज़ी बाग में सक्रिय और कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि आने वाले दिनों में सब्जी बाग जैसा विरोध एक ठोस रूप लेगा क्योंकि लोग इस मुद्दे पर सरकार के रवैये पर संयम खो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के लगभग दर्जन भर जिलों में रोज़ विरोध की रिपोर्ट के बिना शायद ही कोई दिन गुजरता हो।

गया में एक सामाजिक कार्यकर्ता सफी अहमद ने कहा कि चल रहे विरोध प्रदर्शन इतने अभूतपूर्व रहे हैं कि मुस्लिम समुदाय के लोग जो सड़कों पर उतरने की हिम्मत नहीं करते थे वे भी अपने संकोच को पीछे छोड़ चुके हैं और बड़ी संख्या में विरोध में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह सब शांति बाग से सब्जी बाग तक दिखाई दे रहा है।"

लोकतांत्रिक जन पहल सहित कई नागरिक समाजों के जागरूकता अभियान शुरू करने के साथ-साथ साइकिल यात्रा, पैदल यात्रा और घर-घर अभियान के माध्यम से लोगों तक पहुंचने का काम किया है।

राज्य में सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ वाम दलों ने 25 जनवरी को राज्यव्यापी मानव श्रृंखला बनाने की घोषणा की है और 30 जनवरी को सभी जिला मुख्यालयों पर सत्याग्रह करने का आह्वान किया है। इसके अलावा, तेजस्वी यादव 16 जनवरी से सीमांचल जिलों में एक यात्रा शुरू करने वाले हैं।

नीतीश कुमार ने सोमवार यानि 13 जनवरी को राज्य विधानसभा में औपचारिक रूप से घोषणा की कि बिहार में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लागू करने का "कोई सवाल नहीं" है। इसके बाद, कई लोगों ने उनके बयान पर सवाल उठाए। सब्जी बाग में प्रदर्शनकारियों में से एक मुमताज अहमद ने कहा, "उनकी पार्टी जेडीयू ने दोनों सदनों में सीएबी का समर्थन किया और वह बीजेपी की सहयोगी पार्टी भी है, इससे तो यही लगता है कि नीतीश कुमार हमें अगले विधानसभा चुनाव से पहले बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।"

राज्य में अब तक दो बार हड़ताल हुए हैं - पहला वामपंथी दलों द्वारा 19 दिसंबर को और दूसरा विपक्षी दलों द्वारा समर्थित 21 दिसंबर को जिसका मुख्य रूप से आह्वान राष्ट्रीय जनता दल ने किया था और सभी विपक्षी दलों और वाम दलों ने इसका समर्थन किया था।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

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