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जर्मनी की कोयला मुक्त होने की जद्दोजहद और एक आख़िरी किसान की लड़ाई

पश्चिमी जर्मनी में एक गांव लुत्ज़ेराथ भूरे रंग के कोयला खनन के चलते गायब होने वाला है। इसलिए यहां रहने वाले सभी 90 लोगों को दूसरी जगह पर भेज दिया गया है। उनमें से केवल एक व्यक्ति एकार्ड्ट ह्यूकैम्प ने अपने गांव न छोड़ने की कसम ली है।
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एकार्ड्ट ह्यूकैम्प ऊर्जा क्षेत्र की एक विशालकाय कम्पनी RWE के मुआवजा प्रस्ताव को स्वीकार करने और अपने गृह नगर लुत्ज़ेराथ को छोड़कर कहीं और जाने से इनकार कर रहे हैं।

ह्यूकैम्प के खेत पर गार्जवीलर की खुली खदान के उत्खननकर्ताओं की नजर गड़ी हुई है। लेकिन अपने वंश-परिवार की चौथी पीढ़ी का यह किसान अपने खेत को बेचना नहीं चाहता। 57 वर्षीय ह्यूकैम्प ने कहा,"मैं यहां रहना चाहता हूं-यह मेरा घर है।" 

सोलह साल पहले, आरडब्ल्यूई ने भूरे कोयले का उत्खनन करने के लिए लुत्ज़ेराथ में उनके खेतों और घरों को तोड़ना शुरू कर दिया था। पश्चिमी जर्मन के इस छोटे से गांव के निवासियों को इसके लिए  मुआवजा दिया गया और खनन से पीड़ित अधिकतर लोगों को यहां से कुछ किलोमीटर दूर पश्चिम में एक नया घर दिया गया है। वर्ष 2020 के अंत में यहां कुल 14 निवासी रह गए थे। ह्यूकैम्प आखिरी व्यक्ति हैं, जो अब इस वीरान, भुतहा हो चुके गांव में अकेले रह रहे हैं। वे अपने दम पर पुनर्वास का विरोध करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपनी बेदखली को अदालत में चुनौती दे रखी है, जहां मुंस्टर की एक उच्च प्रशासनिक न्यायालय उनकी याचिका पर कुछ ही हफ्तों में सुनवाई करेगा। 

अपने गांव के मुहाने पर खड़े एकहार्ट ह्युकैम्प

एकहार्ट ह्युकैम्प प्रतिरोध का एक प्रतीक बन गए हैं। 

RWE के खिलाफ ह्युकैम्प की लड़ाई एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है 

लुत्ज़ेराथ की कहानी 18वीं सदी के एक खेत के उत्खनन करने से कहीं अधिक लंबी है। ह्यूकैम्प का विरोध लंबे समय से एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जो एक बड़े सवाल के इर्द-गिर्द घूमता है: जर्मनी कोयले पर चलने वाले अपने ऊर्जा संयंत्रों को चरणबद्ध समाप्त करने के बारे में कितना गंभीर है? यदि नई सरकार पिछली सरकार की तय समय-सीमा 2038 की बजाय वास्तव में 2030 तक ही कोयला से चलने वाले ऊर्जा-संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करना चाहती है तो ह्यूकैम्प के खेत का उत्खनन कर उसे नष्ट करने का क्या मतलब है, भले ही यह निर्णय कानूनी रूप से कितना भी सही क्यों न हो

ह्युकैम्प, पड़ोस के गांव में स्थित अपने पूर्वजों की समाधि के पत्थर को बचाने में कामयाब रहे हैं, हालांकि इस कब्रिस्तान को पहले ही ध्वस्त किया जा चुका है। उन्होंने अपने मामले का समर्थन करने के लिए विशेषज्ञों की राय ली है। वे कहते हैं कि खनन करने वाले लुत्जेराथ के आसपास भी खुदाई कर सकते हैं। 

उन्होंने कहा, "तकनीकी रूप से RWE के लिए यह संभव है, लेकिन आर्थिक रूप से उनके लिए शायद उतना फायदेमंद नहीं है।"

सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के अधिकारों को मजबूत किया और खदानों पर प्रतिबंधों को और बढ़ा दिया 

गार्जवीलर की लिग्नाइट खदान सालों से अदालतों के लिए एक विचारणीय मामला रही है। कार्लज़ूए में जर्मनी के सुप्रीम कोर्ट ने अब जाकर फैसला दिया है कि: मामले के वादियों में से एक के संवैधानिक अधिकारों का वास्तव में उल्लंघन किया गया था। यह निर्देशित किया कि भविष्य में, नागरिकों को शुरुआत में ही अपनी बेदखली और पुनर्वास के खिलाफ शिकायत दर्ज करानी चाहिए। लेकिन इसी के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने उत्खनन के लिए अपनी हरी झंडी दे दी।

जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च के एक अध्ययन से यह भी पता चलता है कि अगर जर्मनी पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य को पूरा करना चाहता है और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फॉरेनहाइट) तक सीमित करना चाहता है तो उसे लुत्ज़ेराथ को कोयला उत्खनन से अछूता रखना चाहिए। 

ह्यूकैम्प ने कहा, "हम आज 30 साल पहले की जैसी स्थिति में नहीं हैं, जहां कोयले को ऊर्जा के अन्य विकल्पों से बदला नहीं जा सकता था क्योंकि तब वहां अक्षय ऊर्जा नहीं थी।" 

वे पूछते हैं, "लोगों को उनके खेतों से बेदखल करने, उनके गांवों को उजाड़ने और CO2 की उच्च उत्सर्जन दर से निपटने का तब क्या मतलब है, हालांकि हम सभी जानते हैं कि ऊर्जा के उपलब्ध विकल्पों को देखते हुए यह अब स्वीकार्य नहीं है?"

 पुलिस ने हंबाच वन में कार्यकर्ताओं द्वारा बनाए गए ट्रीहाउस को बार-बार उजाड़ने की कोशिश की

ह्यूकैम्प पूछते हैं, तो क्यों उन्हें लुत्जेरथ छोड़ देना चाहिए? क्या उन्हें पूर्वी राज्य ब्रैंडेनबर्ग में एक नया जीवन शुरू करना चाहिए, जहां आरडब्ल्यूई ने मुआवजे के रूप में उन्हें एक खेत की पेशकश की है?" 

वे आगे बताते हैं, "मैं वहां के लिए एक अजनबी हूं, और ब्रैंडेनबर्ग में सूखे की स्थिति के कारण, मैं वहां किसी भी फसल के लिए यहां जैसी पैदावार की उम्मीद भी नहीं कर सकता। निस्संदेह, मेरे पास जमीन अधिक हेक्टेयर में होगी, लेकिन वहां की मिट्टी उर्वरता के लिहाज से काफी खराब है।”

किसान ह्यूकैम्प ने कहा कि आरडब्ल्यूई का कोई भी प्रस्ताव उन्हें स्वीकार्य नहीं था, यही एक कारण है कि वे लुत्जेराथ में ही अनाज उगाना जारी रखना पसंद करते हैं, जैसा कि वे कई वर्षों से करते आ रहे हैं।" वे पूछते हैं कि "मैं उस चीज़ के लिए क्यों समझौता करूँ जो मेरे यहां के बनिस्बत अच्छी नहीं है?" 

जर्मन मीडिया के अंदर और बाहर ह्यूकैम्प की कहानी भरी पड़ी है। यह कहानी एक शक्तिशाली निगम के खिलाफ एक निराशाजनक लड़ाई में दलित व्यक्ति की एक उत्कृष्ट कहानी है।  अभी तक, वे इन प्रचारों से थोड़ा नाराज हैं और उनकी यह चिंता चरम पर पहुंचती जा रही है। इस चिंता में उनकी रातों की नींद हराम हो गई है कि उनके खेत का क्या होगा। ह्यूकैम्प कहते हैं कि "इस बात से इनकार करना पागलपन होगा कि यह मेरे लिए एक बोझ है। लेकिन मैं अपनी लड़ाई शुरू कर दी थी, और अब मैं इसे पूरा करने जा रहा हूं, जब तक कि वे मुझे यहां से उठा कर बाहर नहीं कर दे देते।" 

कार्यकर्ताओं से मदद

ह्यूकैम्प अब अकेले नहीं लड़ रहे हैं। चूंकि अधिकारियों ने 2018 में पास के हंबाच वन से पर्यावरण कार्यकर्ताओं को हटा दिया था, इसलिए जर्मनी के जलवायु संरक्षण आंदोलन के लिए लुत्ज़ेराथ तीर्थयात्रा का नया स्थान बन गया है। 

दर्जनों युवा कार्यकर्ता ह्यूकैम्प के परिसर में टहलते रहते हैं। उनके खेत को पीले रंग के एक बड़े पोस्टर से सजाया गया है, जिसमें लिखा है: "1.5 डिग्री का अर्थ है: लुत्ज़ेराथ का बरकरार रहना।" कोयले के खिलाफ वाले रंगीन पोस्टर वाले ट्री हाउस के टॉप्स में लगे विशाल घोंसलों की तरह हैं। यहां तक कि स्वीडिश कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग भी सितम्बर 2021 में यहां आई थीं। 

35 वर्षीय कार्यकर्ता डिर्क ने बताया, "समय हमारे पक्ष में है। हम जितने अधिक समय तक यहां रहेंगे, हम उतने ही अधिक निश्चित हैं कि हम अधिक समय तक यहां रह सकते हैं। उम्मीद है कि लुत्ज़ेरथ को संरक्षित किया जाएगा, हर एक दिन के साथ बढ़ता है।” 

डिर्क पिकेट के सामने ठंड में गर्म कपड़ों में लिपटे हुए थे। इस गठबंधन के नाम का अनुवाद यही हो सकता है कि सभी गांव आबाद रहें, और समूह ह्यूकैम्प की कानूनी लड़ाई में आर्थिक सहायता देने के लिए लोगों से दान भी लेता है। जो चीज इन असंभावित साझेदारों को एकजुट रखने में मदद करती है, वह है-आरडब्ल्यूई, जो उनका सबका समान प्रतिद्वंद्वी है। 

"पहले पहल तो एकी ने सोचा: 'वे किस तरह के लोग हैं?" डिर्क ने हंसते हुए कहा,"लेकिन हमने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि हम उनके लिए यहां हैं और इसलिए वे अकेले नहीं हैं।" 

एक्टिविस्ट डिर्क ह्यूकैम्प के परिसर में एक तंबू में रहते हैं

ओपनकास्ट खदान से लत्जेराथ चंद कदमों के फासले पर 

अन्य कार्यकर्ताओं ने ह्यूकैम्प के सम्मान में एक कविता लिखी है: "एकहार्ड, डेर लेट्ज़े" (एकहार्ड, आखिरी वह व्यक्ति जो डटा हुआ है)। यह उनकी कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है।

डिर्क उनमें से एक हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर लड़ने के लिए खाद्य उद्योग में अपनी अच्छी-भली नौकरी छोड़ दी। वे कई वर्षों तक लुत्ज़ेराथ के संरक्षण के लिए एक पूर्णकालिक प्रचारक रहे हैं और ह्यूकैम्प के यार्ड में बने अपने अस्थायी घर में रहते हैं, जहां समय-समय पर आने वाले कार्यकर्ता रहते हैं। 

यह एक वास्तविक परिदृश्य है: पिकेट का सफेद तम्बू अपने विशाल उत्खनन के साथ खदान के किनारे से केवल एक पत्थर की दूरी पर है, जो लुत्ज़ेरथ के अवशेषों के करीब और करीब है।

डिर्क कहते हैं, "किनारा धीरे-धीरे पास आ रहा है-खुदाई करने वाले लंबे समय से दिन-रात एक कर रहे हैं। लेकिन मैं यहां आखिरी दिन तक रहूंगा क्योंकि मुझे लगता है कि भविष्य के लिए मुझे ऐसा करना होगा।"

ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी आरडब्ल्यूई का जोर अपने अधिकारों पर 

क्या लुत्ज़ेराथ आरडब्ल्यूई के लिए दूसरा हम्बाच वन बन जाएगा, जैसा कि कार्यकर्ताओं को उम्मीद है? जर्मन सरकार ने दो साल पहले कोयले से चलने वाले ऊर्जा संयंत्रों को समाप्त करने का निर्णय किया। इसके साथ ही, वुडलैंड को संरक्षित करने का भी निर्णय लिया था।

जलवायु संरक्षण आंदोलन द्वारा बड़े पैमाने पर वर्षों तक चलाए गए विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार ने यह फैसला किया। उस समय के सौदे में, हालांकि, यह निर्धारित किया गया था कि हम्बाच वन रह सकता है, लेकिन आरडब्ल्यूई को राइनलैंड लिग्नाइट खनन क्षेत्र में भूरे रंग के कोयले की खान की अनुमति दी गई। RWE के लिए, यहां "लगभग 900 मिलियन टन ब्राउन कोयला है और इसमें बहुत सारा पैसा है।"

आरडब्ल्यूई के प्रेस प्रवक्ता गुइडो स्टीफन ने डीडब्ल्यू के सवालों के जवाब में लिखा "नॉर्थ-राइन वेस्टफेलिया राज्य सरकार द्वारा मार्च में किया गया यह निर्णय स्पष्ट रूप से क्षेत्र के इस दक्षिणी हिस्से में खुदाई की अनुमति देता है।” 

ह्यूकैंप के संबंध में, स्टीफन ने कहा कि आरडब्ल्यूई "अभी भी एक सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने की कोशिश कर रहा था।"

रोडा वेरह्यन हैम्बर्ग की एक अधिवक्ता हैं, जो खनन से पीड़ित निवासियों का प्रतिनिधित्व करती हैं

संवैधानिक न्यायालय के फैसले के कारण नई कानूनी स्थिति

ह्यूकैम्प और अन्य कार्यकर्ता अपने मामले में रोडा वेरहेन से कानूनी सहायता ले रहे हैं। हैम्बर्ग में रहने वाली रोडा पेरू के छोटे धारक शाऊल लुसियानो लियुया का भी प्रतिनिधित्व करती हैं, जिन्होंने अपने देश में जलवायु परिवर्तन के कारण मुआवजे के भुगतान के लिए RWE पर मुकदमा कर रखा है। 

रोडा को सबसे बड़ी सफलता 29 अप्रैल, 2021 को मिली थी, जब संवैधानिक न्यायालय ने जर्मन सरकार के खिलाफ का फैसला दिया था। अदालत ने फैसला सुनाया कि सरकार को जलवायु संरक्षण के लिए सावधानी बरतनी चाहिए और उसे युवा पीढ़ी के भविष्य की रक्षा करनी चाहिए। और यही कारण है कि वकील रोडा इसको लेकर मुत्तमईन हैं कि चीजें लुत्जेराथ के पक्ष में बोलेंगी। 

रोडा वेरहेन कहते हैं, "मौजूदा स्थिति को देखते हुए, 2030, 2035 या 2038 तक कोयले से संचालित ऊर्जा-संयंत्र का बंद होना भ्रामक है। जर्मन संवैधानिक न्यायालय की मांग के अनुरूप उत्सर्जन-लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें जल्द से जल्द से कोयले के ईंधन के उपयोग से बाहर निकलना होगा।” 

रोडा ने आगे कहा, "अदालत इस बात से सहमत है कि कोयला खनन के साथ हम दशकों से जो कर रहे हैं, वह सामान्य जन-जीवन के हित में नहीं है।" उन्होंने आगे कहा कि "खनन किया जाने वाला हर अतिरिक्त टन कोयला आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बोझ है।" 

यदि मुंस्टर में उच्च प्रशासनिक न्यायालय ह्युकैम्प की बेदखली की शिकायत के विरुद्ध फैसले देता है तो वेरहेन और उनके मुवक्किल को संवैधानिक न्यायालय की शरण लेना होगा। 

जर्मनी की एक महीने पुरानी सरकार इस मामले को टाल रही है। हालांकि सोशल डेमोक्रेट्स, ग्रीन्स और नवउदारवादी फ्री डेमोक्रेट्स के बीच हुए गठबंधन के समझौते के पृष्ठ 59 पर साफ लिखा है: "अदालतें लुत्ज़ेरथ पर फैसला करेंगी।" 

जर्मन में मूल रूप से लिखे गए और अंग्रेजी में अनूदित इस लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें। 

साभार: दाइचे वेले (डीडब्ल्यू)

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

https://www.newsclick.in/Germany-Coal-Phaseout-The-Last-Farmer-Standing

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