Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

गोवा: आये राम, फिर से चले गए

चुनावों से पहले भगवान के सामने शपथ लेने वाले सभी कांग्रेसी नेता अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं, जिसके बाद वही पुराना आए राम गए राम वाली कहावत फिर से सच साबित हो गई।
Goa politics
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ भाजपा में शामिल हुए आठ कांग्रेसी विधायक। फोटो-ट्विटर प्रमोद सावंत

गोवा की राजनीति ने आया राम-गया राम की कहावत को फिर से चरितार्थ कर दिया है। कल कांग्रेस के आठ विधायक भाजपा में शामिल हो गये। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, नेता विपक्ष माइकल लोबो, देलिला लोबो, राजेश फलदेसाई, केदार नाइक, संकल्प अमोनकर, अलेक्सियो सिक्वेरा और रुडोल्फ फर्नांडिस शामिल हैं।

ये वही हैं जो दल-बदल ना करने की शपथ लेकर जीते थे

गोवा की राजनीति में विधायकों के दल-बदल का ये कोई पहला मौका नहीं है। बल्कि इसका एक पूरा इतिहास रहा है। गौरतलब है कि गोवा में इस विधानसभा चुनाव में दल-बदल एक मुख्य चुनावी मुद्दा था।

गोवा की जनता ग़ैर-भाजपा दलों से ये पक्का आश्वासन चाह रही थी कि वो जीतने के बाद भाजपा में शामिल नहीं होंगे। क्योंकि ऐसी धारणा बन चुकी है कि वोट चाहे किसी को दो सरकार भाजपा बनाती है।

तब तमाम ग़ैर-भाजपा पार्टियों ने चर्च, मंदिर और दरगाहों में जाकर शपथ ली थी कि वो जीतने के बाद भाजपा में शामिल नहीं होंगे। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने एफिडेविट दिये थे। इस बात से आप समझ सकते हैं कि गोवा की जनता के लिए दल-बदल कितना बड़ा मसला था। लेकिन ढाक के तीन पात।

तमाम कसमों-वादों के बावजूद इन नेताओं ने भाजपा में शामिल होकर गोवा की जनता को ना सिर्फ धोखा दिया है बल्कि लोकतंत्र का भी प्रहसन बना दिया है। इन नेताओं के पिछले विधानसभा से पहले के शपथ के वीडियो गोवा के वाट्सअप ग्रुप्स में वायरल हो रहे हैं। इस वीडियो को ध्यान से देखना चाहिये जिसमें ये आठों विधायक लोकतंत्र और पार्टी के प्रति वफादारी की शपथ ले रहे हैं। इस वीडियो को भी ध्यान से देखिये जिसमें कांग्रेस के ये विधायक दरगाह में चद्दर चढ़ाने जा रहे हैं और दल-बदल ना करने की शपथ ले रहे हैं। इनकी शपथों से इंटरनेट भरा पड़ा है।

नेताओं के बदले सुर

चुनाव से पहले भगवान के सामने दल-बदल ना करने की शपथ लेने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ने भाजपा का दामन थामते हुए कहा है कि हां मैनें भगवान के सामने शपथ ली थी कि मैं कांग्रेस को नहीं छोड़ूंगा। मैं भगवान पर यक़ीन करने वाला आदमी हूं। मैं फिर से भगवान से मिला और बताया कि हालात “ऐसे” हैं मुझे क्या करना चाहिये। भगवान ने कहा कि तुम खुद निर्णय लो, मैं तुम्हारे साथ हूं।

चुनाव से पहले दल-बदल करके भाजपा से कांग्रेस में आए माइकल लोबो का कहना है कि हमने कांग्रेस

छोड़ो, भाजपा छोड़ो अभियान की शुरुआत की है। वो कह रहे हैं कि जनता ने उनको कहा है कि भाजपा में शामिल हो जाओ। वो जनता के बात को कैसे ठुकरा सकते हैं। तो क्या माइकल लोबो भाजपा से कांग्रेस में पार्टी को तोड़ने के लिए आये थे? गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में माइकल लोबो अपनी पत्नी देलिला लोबो के लिए शिवोलीं विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट की मांग कर रहे थे। लेकिन भाजपा ने परिवारवाद और कपल को टिकट ना देने की बात कहकर मना कर दिया था। इस बात से नाराज़ माइकल लोबो कांग्रेस में शामिल हो गये थे, क्योंकि कांग्रेस ने देलिला लोबो को शिवोलीं से टिकट दे दी थी। उस वक्त माइकल लोबो ने भाजपा पर आलोचनाओं की बौछार कर दी थी वही माइकल लोबो आज भाजपा का गुणगान कर रहे हैं। स्मरण रहे कि उत्तर गोवा की सबसे कमर्शियल बीच माइकल लोबो और देलिला लोबो के क्षेत्र में आती है। कालंगुट से माइकल लोबो जीते थे और शिवोलीं से उनकी पत्नी देलिला लोबो।

विपक्ष का नेता ले बैठा पूरा विपक्ष

बताया जा रहा है कि इस घटनाक्रम में मुख्य भूमिका माइकल लोबो की है। माइकल लोबो विपक्ष के नेता भी हैं। उन्होंने विपक्ष के नेता के होने के सारे विशेषाधिकारों का प्रयोग करते हुए अपने चैंबर में ही इस दल-बदल की रणनीति रची है। अब सवाल ये भी खड़ा हो गया है कि आखिर विपक्ष का नेता कौन होगा? असल में ये भाजपा के विपक्षमुक्त अभियान के तहत ही हुआ है। भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे को आपको विपक्ष मु्क्त राजनीति में अनुवाद कर लेना चाहिये। इसमें कोई शक नहीं हैं कि ये कोई विचाराधारात्मक बहस के चलते नहीं हुआ है बल्कि दूसरे कारक इसमें काम कर रहे हैं। तो भाजपा को बताना चाहिये कि विधायकों को तोड़ने की असल रणनीति और टूल क्या हैं? सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल, फाइलें खोलना और बंद करने का पैटर्न तो हम देख ह चुके हैं। गोवा में लोग सरेआ आरोप लगा रहे हैं कि विधायक बिक गये हैं।

गोवा कांग्रेस का पक्ष

गोवा कांग्रेस के इंचार्ज दिनेश राव का कहना है कि ये लोकतांत्रिक मूल्यों के पूरे विध्वंस का नज़ारा आप गोवा में देख सकते हैं। विधायकों को भारी रकम, मंत्रीमंडल में पद और अन्य लालच दिये गये हैं। ये तानाशाह भाजपा सरकार का पैसे और ताकत के बल पर विपक्ष को खत्म करने की शर्मनाक हरकत है। दल-बदल करने वाले नेताओं ने ना सिर्फ कांग्रेस को धोखा दिया है बल्कि गोवा की जनता के साथ भी बड़ा विश्वासघात किया है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

इन्हे भी पढें : 

गोवा चुनाव: विधायकों पर दल-बदल न करने का दबाव बना रही जनता, पार्टियां भी दिला रहीं शपथ

गोवा चुनावः डेढ़ महीने में एक चौथाई विधायकों का इस्तीफ़ा

गोवा चुनावः  34 साल में 22 मुख्यमंत्री

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest