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जनता की छोटी छोटी बचत पर भी सरकार का हमला, क़र्ज़ दरों में वृद्धि, बचत दरों में लगातार कटौती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में छोटी-छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में लगातार कटौती हुई है। जबकि यह छोटी बचत योजनाएं ही जनता की आर्थिक मजबूती का सहारा है।
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फ़ोटो साभार: HDFC

आम लोगों की छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज दरों में काफ़ी लम्बे समय से कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है। लोग अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा भविष्य की जरूरतों के लिए बचाकर छोटी-छोटी बचत योजनाओं के जरिए सरकार के पास जमा करते हैं, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल कर सकें।  

प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद से इन बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कई बार कटौती की गयी है। वरिष्ठ नागरिक बचत खाता योजना ( सीनियर सिटिज़न सेविंग स्किम) पर 2015 में 9.3 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था, 2015 के बाद से इस योजना की ब्याज दरों में 6 बार कटौती की गयी है। मौजूदा समय में इस योजना पर 7.4 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है। जबकि डाकघर बचत खाता योजना में दिसम्बर 2011 के बाद से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।  

साथ ही किसान विकास पत्र खाता योजना पर 2014 में 8.7 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था, जिसको 2020 में घटाकर 6.9 फीसदी कर किया गया है।  लोक भविष्य निधि खाता योजना पर 2013 में 8.7 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था, जिसको 2020 में घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया गया है। जैसा की नीचे  चित्र में दिखाया गया है।

राष्ट्रीय बचत आवर्ती जमा खाता योजना में पिछले 8 सालों में सात बार ब्याज दरों में कटौती की गयी है। साल 2014 में इस बचत योजना पर 8.4 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था, जिसको 2020 में घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया गया है। राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र योजना पर 2013 में 8.5 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था, जिसको 2020 में घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया गया है।

राष्ट्रीय बचत समय जमा खाता योजना में 2014 में एक साल, दो साल और तीन साल की जमा राशि पर 8.4 फीसदी और पांच साल की जमा राशि पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज मिला था, जिसको 2020 में घटाकर एक साल, दो साल और तीन साल की जमा राशि पर 5.5 फीसदी और पांच साल की जमा राशि पर 6.7 फीसदी कर दिया है।

साथ ही राष्ट्रीय बचत मासिक आय खाता योजना पर 2016 में 7.8 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाता था, जिसको पिछले 5 सालों में 6 बार कम किया गया है, मौजूदा समय में अब इस योजना पर 6.6 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है।  जैसा की नीचे चित्र में दिखाया गया है :

इन सभी बचत योजनाओं पर 6 या 7 फीसदी की दर से ब्याज मिलने का कोई अर्थ नहीं होता है। क्योंकि अगर हम पिछले कुछ सालों में महंगाई की दरों को देखें तो पिछले 8 सालो में मुद्रास्फीति औसतन 5 फीसदी के करीब यानी 4.81 फीसदी रही है। इसका मतलब यह हुआ कि लोगों ने जो पैसा बचत योजनाओं में जमा किया है, उसकी ब्याज दर महंगाई की दर के आसपास है या कम है। मतलब बचत खाते योजना पर जो ब्याज मिला है वह रत्ती बराबर भी नहीं है। इस पैसे से लोग उतना ही सामान और सेवा खरीद पाएंगे जितना वह तब खरीद पाते जब उन्होंने पैसा बचत खाते योजना में जमा किया। मतलब लोगों को सरकरी बचत खाते योजना में निवेश करने से कोई फायदा नहीं।

जुलाई 2014 से जून 2015 के बीच मुद्रास्फीति 5.27 फीसदी रही है, जबकि जुलाई 2021 से जून 2022 के बीच मुद्रास्फीति बढ़कर 5.93 फीसदी हो गयी है।  जैसा की निचे चित्र में दिखाया गया है।

देश में अब भी महंगाई उच्च स्तर पर बनी हुई है, हालांकि जून के महीने में महंगाई में थोड़ी नरमी देखी गयी  है। जून में थोक महंगाई दर 15.88 फीसदी से घटकर 15.18 फीसदी हो गयी है, खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसदी से घटकर 7.01 फीसदी हो गयी है। लेकिन महंगाई में यह गिरावट बहुत मामूली है, इससे जनता को कोई खास फ़ायदा नहीं मिलने वाला है। साथ ही देश में बेरोजगारी बढ़ने के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति और कमज़ोर हुई है।  मौजूदा समय में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.8 फीसदी हो गयी है। वही जून के महीने में 1.3 करोड़ लोगों का रोजगार छिना है।

मंहगाई को कम करने के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने रेपोरेट में 0.90 आधार अंक की बढ़ोतरी की थी। जिसके कारण बैंक के ब्याज दरों में बढ़ोतरी हुई है, ब्याज दरें बढ़ने से मंहगाई से इतनी राहत नहीं मिली है, जितना की कर्ज का अतिरिक्त बोझ जनता के कंधों पर बढ़ गया है। सरकार जनता को कर्जे की ऊंची ब्याज दरों और महंगाई से राहत देने के लिए इन छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में बढ़ोतरी करें। 

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