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ग्राउंड रिपोर्ट : वाराणसी का बजरडीहा, जहां आज भी सन्नाटा चीख़ रहा है

बजरडीहा का नाम आजकल देश के उन जगहों के नाम पर शामिल हो गया जहां शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन के बावजूद लोगों को पुलिस की लठियाँ खानी पड़ी हैं। पिछले शुक्रवार को हुए पुलिस के लाठीचार्ज के बाद भगदड़ में 11 साल के एक बच्चे सगीर अहमद की मौत हो गई जबकि लगभग एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हैं।
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वाराणसी: हमने पूरी ज़िंदगी में इतनी पुलिस कभी नहीं देखी जितनी इस समय देखी है। हमें अपने ही गाँव, अपने ही मुहल्ले में डर लग रहा है, कहीं कोई हमें मारने न लग जाये। यहाँ तो हमें बचाने भी कोई नहीं आएगा। ये कहना है वाराणसी रेलवे स्टेशन से करीब 11 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में स्थित बजरडीहा इलाके के नुरूद्दीन (बदला हुआ नाम) का। बार-बार अपना नाम न बताने की इल्तिजा करते हुए नुरूद्दीन कहते हैं कि, 'मेरी उम्र करीब 56 साल है। कभी सोचा भी नहीं था हमें ऐसा दिन देखने को मिलेगा लेकिन ये सरकार जो दिन न दिखा दे।’

आपको बता दें कि बजरडीहा का नाम आजकल देश के उन जगहों के नाम पर शामिल हो गया जहां शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन के बावजूद लोगों को पुलिस की लठियाँ खानी पड़ी हैं। पिछले शुक्रवार को हुए पुलिस के लाठीचार्ज के बाद भगदड़ में 11 साल के एक बच्चे सगीर अहमद की मौत हो गई जबकि लगभग एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हैं, जिनका वाराणसी के अलग-अलग अस्पताल में इलाज हो रहा है, इसमें दो लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है।

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इसी गली के रहने वाले बच्चे सगीर की मौत हुई है।

मृतक सगीर अहमद की दादी बताती हैं, 'सगीर की माँ नहीं है उसको हम ही पालते थे। मेरा बच्चा कहता था कि दादी जब हम बड़े हो जाएँगे तो आपके लिए कपड़े लाएँगे। ' अपने आँसू पोंछते हुए मृतक की दादी कहती हैं, 'मेरा बच्चा पता नहीं क्यों उस तरफ चला गया था, नहीं गया होता तो आज मेरी आँखों के सामने होता ना। मुझे नहीं मालूम था कि मेरा बच्चा जब नमाज़ के लिए निकल रहा है तो अब वो कभी नहीं आएगा।' 

हफ्ते भर बाद भी सुनसान हैं रास्ते

वाराणसी के डीएलडब्ल्यू (डीजल रेल इंजन कारखाना) के पास स्थित बजरडीहा काफी भीड़भाड़ वाली जगह है। यहाँ जाने वाले रास्ते कभी सुनसान नहीं होते हैं। लेकिन पुलिस लाठीचार्ज के बाद यहाँ सन्नाटा पसरा हुआ है। रास्ते में कुछ लोग ही दिख रहे हैं। लाठीचार्ज के पाँच दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस का पहरा बना हुआ है। रास्ते में पड़ने वाली अधिकतर दुकाने बंद हैं। जहां दुकानें खुली हुई हैं वहाँ पर भी नाम मात्र लोग हैं।

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लोगों के शोर से ज़्यादा है चाय की आवाज़

दोपहर के दो बजने वाले हैं। मुख्य शहर से अंदर बजरडीहा में पहुँचने के बाद यहाँ एक चाय की दुकान पर रुककर लोगों से लाठीचार्ज वाले दिन की बात शुरू की जा रही है। इस दुकान पर दुकानदार को लेकर चार लोग हैं। जैसे ही लोगों ने लाठीचार्ज की बात सुनी, उनका सबसे पहला सवाल है, 'आप कौन?' आईडी दिखाते ही वो एकदम शांत हो गए, शांति इतनी ज्यादा है कि चाय के उबलने की आवाज ज्यादा तेज़ है।

मुस्लिम हैं इसलिए हमारे साथ ऐसा हुआ

चाय पीते हुए लोगों ने धीरे-धीरे बात करनी शुरू कर दी है। बात करने से ज्यादा ध्यान उनका आसपास के रास्ते पर है। पूछने पर हल्की दाढ़ी वाले चाय के दुकानदार ने बताया कि, 'कई दिनों के बाद आज दुकान खोले हैं, डर लग रहा है कि पुलिस वाले आकर डांटने न लग जाए। सवाल भर लहजे से चाय दुकानदार कहते हैं कि, 'आपको तो मालूम ही होगा कि जहां तीन चार लोग इकट्ठा हो रहे हैं पुलिस मार रही है।'

इसी दुकान पर बैठे करीब 45 साल के अधेड़ व्यक्ति जिन्होंने अपना नाम शम्सु बताया, उनका कहना कि, 'यहाँ पर बुनकर और मुस्लिम ज्यादा हैं। सभी को मालूम है कि जुमे की नमाज़ के बाद लोग एक साथ मस्जिद से बाहर निकलते हैं। उसी दिन लाठीचार्ज जान बूझकर किया गया, ताकि मुस्लिमों को ज्यादा से ज्यादा मारा जा सके। हम मुस्लिम हैं और इस देश के निजाम (सरकार) को मुस्लिम लोग नहीं चाहिए इसलिए ऐसा किया जा रहा है ताकि लोग भाग जाएँ।

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अभी भी है पुलिस का पहरा

घटना के सप्ताह भर होने को है लेकिन अभी भी इलाके में जगह-जगह पुलिस तैनात है। चहल-पहल वाली इलाकों में पुलिस का पहरा ज्यादा है। एरिया के अधिकतर मस्जिद के बाहर पुलिस तैनात है। लाठचार्ज वाली जगह पर ज्यादा संख्या में पुलिस मौजूद है। बजरडीहा क्षेत्र के लमही, अहमद नगर, महफूज नगर, मकदूम नगर, गल्ला, आजाद नगर, अंबा, धरहरा, मुर्गिया टोला, फारूखी नगर, जक्खा, कोल्हुआ सहित आसपास के अन्य इलाकों में शुक्रवार की शाम से सन्नाटा पसरा हुआ है।

पथराव, भगदड़ और लाठीचार्ज की घटना के बाद इलाके में चप्पे-चप्पे पर पुलिस और पीएसी के जवान दंगा नियंत्रक उपकरणों से लैस होकर तैनात हैं। 15 नामजद आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस टीमों ने रात भर इलाके के कई घरों में दबिश दी लेकिन किसी का पता नहीं लगा। पुलिस के अनुसार नामजद आरोपी घर छोड़ कर भाग गए हैं।

घर की ओर लौट रहे लोग

पुलिस के लाठीचार्ज के बाद लोग अपने घर को छोड़ अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ चले गए थे। आज से कुछ लोग अपने घर की ओर लौटना शुरू कर दिए हैं। कामरून निशा अपने घर का दरवाजा खोल रही हैं। वो कहती हैं कि, 'हमारे घर में कोई आदमी नहीं है, मां-बेटी ही रहते हैं। जिस दिन पुलिस ने लाठीचार्ज किया था उसी दिन रात को पुलिस कुछ लोगों के दरवाजे पर भी गई थी। अगले दिन सुबह हम अपनी बहन के यहाँ चले गए।

आमिर की उम्र 17 साल है। साबिर पाँच दिन के अपने घर लौटा है। साबिर कहता है कि लाठीचार्ज के बाद पुलिस 15 से 35 साल के लोगों को ढूंढ रही है जिसको पकड़ रही लेकर चली जा रही है, इसीलिए हम अपने नानी के घर चले गए थे ताकि मुझे पुलिस न पकड़े, अब जब माहौल थोड़ा ठीक हुआ है तो हम वापस लौट रहे हैं।

अपनी बात बताते हुए एक डर के साथ आमिर कहते हैं कि, 'अप्पी (रिपोर्टर को संबोधित करते हुए) पता है पुलिस कह रही थी कि 250 लोगों को गिरफ्तार करने का आदेश है, पुलिस गली में ये बात चिल्ला-चिल्लाकर कह रही थी, पुलिस ये भी बोल रही थी कि, 'जिन लोगों को गिरफ्तार करेंगे उनमे से बीस लोगों का जमानत भी नहीं होगी।

घर में कैदी की तरह रहे लोग

मुरादाबाद के लाल मोहम्मद किराये के मकान में पत्‍‌नी रुखसाना व बेटा रासिन के साथ बजरडीहा में रहते हैं। लाल मोहम्मद ने रोज की तरह बीते शुक्रवार को प्रदर्शन वाले दिन भी दुकान खोली थी। दोपहर बाद जैसे ही बड़ी संख्या में जुलूस आते देखा तो दुकान बंद कर अपने कमरे पर चले गए। उन्होंने कहा 'भीड़ को देखकर डर गए था। उसके बाद पथराव व लाठीचार्ज की घटना के बाद पूरा परिवार सहम गया था। डर के मारे अपने ही घर में कैदी की तरह रह रहे थे।'

यहाँ के एक अन्य निवासी रेयाज़ बताते हैं कि, 'हमने अपने अम्मी-अब्बू की जुबान से पुलिस की बहुत सी वारदातें सुनी थी लेकिन अब अपनी आँखों से देख लिया। अब समझ में आया कि लोग पुलिस से इतना डरते क्यों हैं? हमारे साथ पुलिस ने जो किया है उसे हम ज़िंदगी भर नहीं भूल पाएंगे। मालूम हो कि लाठीचार्ज में रेयाज़ की पीट में पुलिस का एक डंडा लगा है।

पोस्टर छपवाकर लोगों को ढूंढती पुलिस

पिछले शुक्रवार को हुई लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने एक पोस्टर जारी किया है जिसमें इस इलाके के कुछ लोगों की तस्वीरें हैं। यह पोस्टर पुलिस चौकी और एक मस्जिद पर लगा हुआ है। जारी किए गए पोस्टर में ही में लिखा हुआ है कि, 'इन लोगों को जो व्यक्ति जहां भी देखे तुरंत पुलिस को सूचित करे। पुलिस ने पोस्टर में शामिल लोगों का नाम-पता बताने वाले को इनाम देने की घोषणा की है। उनका नाम गोपनीय रखने का भी भरोसा दिया है। सूचना देने के लिए पुलिस ने अपना वाट्स एप नंबर 7897532425 जारी किया है। इस पोस्टर के बाद लोगों में दहशत और बढ़ गया है।

पोस्टर के लोग हैं बेगुनाह

पोस्टर के लोगों के बारे में पूछने पर यहाँ के निवासी सलमान अंसारी बताते हैं कि, 'इस पोस्टर में पुलिस जितने लोगों का फोटो दी हुई है उसमें से ज़्यादातर लोगों को मैं जानता हूँ। सब अच्छे लोग हैं पता नहीं क्यों पुलिस इन लोगों को ढूंढ रही है, ये लोग तो बुगुनाह लोग हैं। नमाज़ी और इबादत करने वाले लोग हैं। बेचारे, जब से पोस्टर में अपनी तस्वीर देखें हैं, शहर छोड़कर चले गए हैं।

हमें हमारे हाल पर छोड़ देंहमें अमन चाहिए

उस दिन की घटना के बारे में पूछने पर क्षेत्र के बुद्धिजीवी ऐनुलहक़ कहते हैं कि, 'हमारी इस सरकार से गुजारिश है कि हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया जाय। हम बस दो वक्त की सुकून की रोटी चाहते हैं और कुछ नहीं। हम अपने लोगों के आँसू और खून बहते हुए नहीं देख सकते।' लगभग 50 साल के जमील आलम कहते हैं कि, 'अगर किसी को हमसे दिक्कत है तो मार दे, जान से मार दें लेकिन ऐसा न करे कि हमसे देखा न जाए, बेवजह हमें बदनाम न किया जाये। हम यहाँ जनम लिए हैं दफन भी यही होंगे। हमारा वतन है ये कैसे हम अपने वतन के बारे में कुछ सुन लें और बर्दाश्त कर लें।'

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