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चुनाव से पहले गुजरात में सांप्रदायिकता तनाव, उन जिलों में दंगों की कोशिश जहां भाजपा मजबूत नहीं

गुजरात में चुनावों से पहले सांप्रदायिकता का एक पैटर्न है। संयोग से, पिछले एक हफ्ते में जिन जगहों पर सांप्रदायिक तनाव देखा गया, वे सभी भाजपा के गढ़ नहीं माने जाते हैं
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हिम्मतनगर की वह मस्जिद जिस पर हमला हुआ था 

गुजरात में विधानसभा चुनाव से लगभग आठ महीने पहले, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अति सहयोगी संगठन बजरंग दल ने 13 मार्च को साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में बीस वर्षों में अपना सबसे बड़ा भर्ती अभियान चलाया है।

बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण (बीएपीएस) द्वारा संचालित स्वामीनारायण मंदिर में आयोजित समारोह में 'त्रिशूल दीक्षा' लेने के बाद हिम्मतनगर और पड़ोसी शहरों के 15 से 35 वर्ष के लगभग 2,600 पुरुष संगठन में शामिल हुए हैं। दो हजार छह सौ रंगरूटों ने हाथ में त्रिशूल के आकार का चाकू लेकर "हिंदू राष्ट्र, हिंदू धर्म और संस्कृति को विदेशी ताकतों से बचाने" की शपथ ली है।

कार्यक्रम के मंच से विहिप के प्रचार प्रसार के उपप्रमुख हितेंद्र सिंह राजपूत ने कहा, बजरंग दल के सदस्य आमतौर पर कुख्यात होते हैं, लेकिन इस साल डॉक्टर, इंजीनियर और वकील हमारे साथ आए हैं।

एक अन्य विहिप नेता ने अपने भाषण में कहा कि, "यदि आपके क्षेत्र का पुलिस निरीक्षक आपका नाम नहीं जानता है तो आपको बजरंग दल का सदस्य होने का दावा नहीं करना चाहिए।"

बाद में जैसे ही कार्यक्रम समाप्त हुआ, बजरंग दल के रंगरूटों ने स्थानीय पुलिस की निगरानी में हिम्मतनगर के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों से गुजरते हुए त्रिशूल के आकार के चाकू और तलवार हाथ में लहराते हुए एक रैली निकाली। 15 मार्च के आयोजन के बाद, संगठन ने इस साल मई में अहमदाबाद में आयोजित होने वाले 'केवल हिंदू' क्रिकेट टूर्नामेंट की घोषणा की है।

भर्ती अभियान के एक महीने से भी कम समय में 10 अप्रैल को विहिप ने हिम्मतनगर में रामनवमी के अवसर पर एक रैली का आयोजन किया। दोपहर करीब 1 बजे, सैकड़ों पुरुष हाथों में  तलवारें लहराते और तेज संगीत बजाते जुलूस को दो हिंदू इलाकों, शक्तिनगर और महावीरनगर के बीच से निकालते हुए मुस्लिम बहुल इलाके चपरिया में प्रवेश कर गए थे। स्थानीय लोगों का दावा है कि जुलूस को देखकर, कुछ मुस्लिम परिवारों ने खुद को अपने घरों में बंद कर लिया, जबकि कुछ छत पर चले गए थे।

चपरिया में प्रवेश करने के कुछ ही मिनटों के भीतर, स्थिति तनावपूर्ण हो गई क्योंकि छतों से पथराव शुरू हो गया था। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और धारा 144 लागू कर दी। हालांकि, बाद में दिन में एक मस्जिद पर हमला किया गया और हिम्मतनगर के कई इलाकों में सांप्रदायिक तनाव फैल गया।

“10 अप्रैल को शाम 4 बजे केवल एक रैली की अनुमति दी गई थी। लेकिन सुबह से, कई छोटे समूह पूर्वाभ्यास करते हुए रैलियां निकाल रहे थे। हर बार, वे तलवारें लहरा रहे थे और भड़काऊ और सांप्रदायिक नारे लगा रहे थे। गुजरात के अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता शमशाद पठान, जिन्होंने दंगों के बाद क्षेत्र का दौरा किया, ने मीडिया को बताया कि, बाद में दिन में, चपरिया में मस्जिद की मीनार पर भगवा झंडा फहरा दिया गया, और मस्जिद के अंदर की दरगाह को जला दिया गया।”

“मैं वहाँ अकेला था क्योंकि जब मैंने शहर में दंगों के बारे में सुना तो तब तक लोग जोहर की नमाज के बाद मस्जिद परिसर से निकल गए थे और दरवाजे बंद कर अपनी सुरक्षा के लिए निकल गए थे। उन्होंने उस दिन तीन बार इस स्थान पर आक्रमण किया। भीड़ वापस आती रही- पहले भीड़ सुबह-सुबह आई, फिर 10 अप्रैल को शाम 4 बजे आई। भीड़ फिर रात 9 बजे और 3 बजे (11 अप्रैल को) तड़के तलवारों के साथ वापस आ गई। मस्जिद के इमाम कारी मोहम्मद रफी ने मीडिया को बताया कि जब भी वे आते थे, वे मस्जिद के अंदर की दरगाह में आग लगा देते थे।

हिम्मतनगर का एक मुस्लिम युवक जो दंगों में घायल हो गया था

गुजरात के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आशीष भाटिया के आदेश के बाद अहमदाबाद, अरावली, आनंद और मेहसाणा से, तीन राज्य रिजर्व पुलिस (एसआरपी) कंपनियों और स्थानीय पुलिस बलों को हिम्मतनगर भेजा गया है। हालांकि, शाम को शरारती तत्वों ने पटाखे चलाए और पुलिस पर पथराव भी किया, जिसमें कम से कम तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

उसी दिन, रामनवमी मनाने के लिए निकाली गई एक 'शोभा यात्रा' एक अन्य शहर– आनंद जिले के खंभात में सांप्रदायिक हिंसा में बदल गई थी। हिम्मतनगर जैसी ही एक घटना में, लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले खंबात के एक गाँव शक्कारपुरा से तलवार लहराते हुए सांप्रदायिक नारे लगाते हुए और भड़काऊ गीत बजाते हुए लगभग 4 हजार पुरुषों का एक जुलूस निकाला गया।

एक व्यक्ति- छतरीबाजार, खंभात निवासी 57 वर्षीय कन्हैया लाल राणा की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान लगी चोटों के कारण मौत हो गई। अगले दिन, पुलिस की मौजूदगी में स्थानीय विहिप के नेतृत्व में उनके पार्थिव शरीर के साथ एक अंतिम संस्कार का जुलूस निकाला गया।

घटना के बाद, आनंद पुलिस ने पांच मुस्लिम पुरुषों को गिरफ्तार किया और घोषणा की कि हिंसा "पूर्व नियोजित" थी।

पुलिस ने कहा कि “एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत, खंभात में रामनवमी जुलूस के दौरान पथराव किया गया था। आरोपी का मकसद यह था कि एक बार रामनवमी के जुलूस पर पथराव और धमकी दी गई तो भविष्य में ऐसा कोई धार्मिक जुलूस नहीं निकाला जाएगा। इस मामले में रज्जाक हुसैन मौलवी, माजिद, जमशेद खान पठान, मस्तकिम मौलवी, महमूद सईद और मतीन यूनिस वोरा को हिरासत में लिया गया है और घटना की आगे की जांच के लिए जिला स्तर पर एक एसआईटी का गठन किया गया है।

अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत 13 अप्रैल को शककरपुरा गांव में स्थानीय मुसलमानों की दुकानों को तोड़ा गया था।

खंबाटी में एक मुस्लिम के स्वामित्व वाली दुकान पर अतिक्रमण विरोधी अभियान की सूचना

“यहां पान, धोबी की और नाई की दुकान जैसी छोटी दुकानें थीं जो सालों से यहाँ मौजूद थीं। कुछ दुकानों को तोड़े जाने के एक दिन बाद, अधिकारियों ने स्थानीय मुसलमानों की शेष दुकानों के खिलाफ अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया। खंबात के एक कार्यकर्ता जानिसार शेख ने न्यूज़क्लिक को बताया कि हालाँकि, उसी सड़क के किनारे हिंदुओं की दुकानों को इस किस्म का कोई नोटिस नहीं दिया गया था।”

“शक्करपुरा के लगभग सभी पुरुष, महिलाओं और बच्चों को छोड़कर सांप्रदायिक तनाव के कारण वहां से भाग गए थे। कुछ मामलों में तो पूरा परिवार सुरक्षा के डर से घरों को छोड़ कर भाग गया था। स्थानीय पुलिस ने इस मामले में कुछ स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया है।"

इसी तरह की एक अन्य घटना में 18 अप्रैल को राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के गिर सोमनाथ जिले के वेरावल में हनुमान जयंती के अवसर पर एक जुलूस ने एक दरगाह में प्रवेश किया और उसकी छत पर भगवा झंडा फहरा दिया था। रैली में शामिल लोग तलवारें लिए हुए थे और उत्तेजक संगीत बजा रहे थे। घटना के बाद पांच लोगों को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया था।

गौरतलब है कि एक सप्ताह में सांप्रदायिक घटनाओं की चपेट में आने वाले स्थानों में से आनंद और वेरावल, जो सोमनाथ निर्वाचन क्षेत्र में आते हैं, कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ रहा है। 2017 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा खंबात से जीतने में सफल रही, लेकिन 2,000 से कम मतों के अंतर से जीती थी। बीजेपी के महेशकुमार कन्हैयालाल रावल को 71459 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के खुशमनभाई शांतिलाल पटेल को 69141 वोट मिले थे। इसी तरह हिम्मतनगर में बीजेपी के राजूभाई चावड़ा को 94340 वोट मिले जबकि कांग्रेस के कमलेशभाई पटेल को 92628 वोट मिले थे।

सोमनाथ 1962 से कांग्रेस का गढ़ रहा है। 2007 के विधानसभा चुनाव और 1995 में सोमनाथ से भाजपा जीती थी। 2017 के चुनावों में, कांग्रेस के विमलभाई चुडास्मा ने 20,450 मतों से यह सीट जीती थी।

गौरतलब है कि वर्ष 2001 में लगातार ग्राम पंचायत चुनाव और लगातार तीन विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद भाजपा में हड़कंप मच गया था। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी ने ले ली थी। अप्रैल 2002 में होने वाले विधानसभा चुनाव फरवरी में हुए दंगों के नौ महीने बाद दिसंबर 2002 में हुए थे, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम थे।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस आलेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: 

Communalisation Ahead of Election in Gujarat – Riots in Districts Not BJP Stronghold

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