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गुजरात दंगे : पुलिस ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को गिरफ़्तार किया

एक अधिकारी ने बताया कि भट्ट को दंगों के संबंध में बेगुनाह लोगों को गलत तरीके से फंसाने की साजिश के एक मामले में 'स्थानांतरण वारंट' के जरिए गिरफ्तार किया गया है।
sanjiv bhatt
साभार: इंडियन एक्स्प्रेस

अहमदाबाद: गुजरात पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 2002 के साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े एक मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को पालनपुर जेल से गिरफ्तार किया है।

एक अधिकारी ने बताया कि भट्ट को दंगों के संबंध में बेगुनाह लोगों को गलत तरीके से फंसाने की साजिश के एक मामले में 'स्थानांतरण वारंट' के जरिए गिरफ्तार किया गया है।

जांच एजेंसी किसी अन्य प्राथमिकी या मामले में जेल में बंद व्यक्ति को हिरासत में लेने से पहले स्थानांतरण वारंट लेती है। इसके बाद आरोपी की हिरासत जांच एजेंसी को देने के लिए वारंट को संबंधित जेल अधिकारियों के पास भेजा जाता है।

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार के बाद इस मामले में गिरफ्तार भट्ट तीसरे आरोपी हैं।

वह 27 साल पुराने एक मामले में 2018 से बनासकांठा जिले की पालनपुर जेल में बंद थे। यह मामला राजस्थान के एक वकील को गलत तरीके से फंसाने से जुड़ा है। मुकदमे के दौरान पूर्व आईपीएस अधिकारी को जामनगर में हिरासत में मौत के एक मामले में उम्रकैद की सजा भी सुनायी गयी।

अहमदाबाद अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त चैतन्य मांडलिक ने बाद में कहा, ‘‘हमने स्थानांतरण वारंट पर पालनपुर जेल से संजीव भट्ट को हिरासत में लिया और मंगलवार शाम को उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।’’

गुजरात सरकार ने 2002 में गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगों से संबंधित विभिन्न मामलों में तथाकथित झूठे सबूत मामले में भट्ट, श्रीकुमार और सीतलवाड़ की भूमिकाओं की जांच के लिए पिछले महीने एसआईटी का गठन किया था और इसके सदस्यों में से एक मांडलिक भी हैं।

अपराध शाखा ने पिछले महीने सीतलवाड़ और श्रीकुमार को गिरफ्तार किया था और वे अभी जेल में हैं।

उच्चतम न्यायालय ने 2002 दंगा मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआईटी द्वारा दी गयी क्लीन चिट बरकरार रखा था, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया। उन पर तथाकथित बेगुनाह लोगों को फंसाने की साजिश में जाली सबूत पेश करने की साजिश रचकर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का आरोप है।

कुछ दिन पहले, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने तीस्ता सीतलवाड़, संजीव भट्ट और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर दुनिया भर से 2,200 से अधिक लोगों ने एक बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।

हस्ताक्षरकर्ताओं में पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज या पीयूसीएल के महासचिव वी सुरेश, नेशनल अलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट की संयोजक मेधा पाटकर, स्तंभकार अपूर्वानंद, थिएटर और फिल्म अभिनेता शबाना आजमी, लेखक आकार पटेल, कुमार केतकर, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास, लेखक शामिल हैं। और योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदा हमीद, लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व वीसी रूपरेखा वर्मा, लेखिका गीता हरिहरन, ह्यूमन राइट्स वॉच के हेनरी टिफागने, लेखक शमसुल इस्लाम, अभिनेत्री मल्लिका साराभाई और अन्य हजारों  लोगों ने  बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें सरकार द्वारा एक्टिविस्ट और पूर्व आईपीएस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की निंदा की गई थी।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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