Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

मप्र : अब मेधा पाटकर निशाने पर, धन के दुरुपयोग के आरोप में मामला दर्ज

पाटकर ने अपने ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों को ग़लत बताया है। उनके समर्थन में विपक्षी दल भी आए हैं और जनसंगठन भी। सभी ने इस कार्रवाई को प्रतिरोध की आवाज़ को ख़ामोश करने की साज़िश कहा है।
medha

शिकायतकर्ता ने कहा कि एनएनए को पिछले 14 वर्षों में विभिन्न स्रोतों से 13.50 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन इन निधियों का उपयोग ‘राजनीतिक और राष्ट्र विरोधी एजेंडे’ के लिए किया गया था, जिसके लिए जांच की आवश्यकता है।

प्राथमिकी में नामजद लोगो में मेधा पाटकर के आलावा परवीन रूमी जहांगीर, विजया चौहान, कैलाश अवस्या, मोहन पाटीदार, आशीष मंडलोई, केवल सिंह वसावे, संजय जोशी, श्याम पाटिल, सुनीत एसआर, नूरजी पड़वी और केशव वसावे शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्राथमिकी में शामिल आरोपियों में से एक आशीष मंडलोई की 12 साल पहले 20 मई, 2010 को मौत हो चुकी है।

मेधा पाटकर ने आरोपों को किया ख़ारिज

पाटकर ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘अभी पुलिस की तरफ से मुझे किसी भी प्रकार की कोई सूचना नहीं मिली है। मैं सभी आरोपों का जवाब देने के लिए तैयार हूं। आर्थिक मुद्दे को लेकर अगर शिकायत है तो हमारे पास ऑडिट रिपोर्ट भी मौजूद है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायत करने वाला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा हुआ है। पाटकर ने बताया कि उन्होंने राशि का सही उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि जीवन शाला का संचालन आज भी जारी है और बैंक खातों के लेनदेन की ऑडिट रिपोर्ट उनके पास मौजूद है।

उन्होंने कहा कि इस मामले के पीछे राजनीतिक कारण भी हो सकता है या फिर प्राथमिकी कराकर बदनाम करने की साजिश हो सकती है।

न्यूज़क्लिक से फोन पर बात करते हुए मेधा पाटकर ने कहा, "मैं तथ्यों के साथ सभी आरोपों का मुकाबला करने के लिए तैयार हूं और मैं संगठन को मिले एक-एक पैसे का ऑडिट करवाती हूं।"

उन्होंने कहा, "झूठे आरोप लगाकर मेरे संगठन को बदनाम करने के लिए पहले भी इसी तरह के प्रयास किए गए थे, लेकिन हम हर बार निर्दोष साबित हुए।" और यह कि वे हमेशा अपने बैंक खातों का ऑडिट करवाते हैं। "भविष्य में भी, हम जवाब देते रहेंगे और सबूत पेश करते रहेंगे।"

"प्रतिरोध की आवाज़ ख़ामोश करने की साज़िश"

 भाजपा सरकार अपने अपराधों को छुपाने और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ उठने वाली प्रतिरोध की हर आवाज़ को खामोश कर देना चाहती है। समाजसेविका और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर पर दर्ज की गई फर्जी एफ आई आर इसी का नतीजा है”।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि प्रतिरोध की आवाज़ को दबाने की कोशिश लोकतंत्र के लिए खतरा है। इस खतरे का सभी जनवादी ताकतों और सामाजिक संगठनों को एकजुट होकर मुकाबला करना चाहिए।

बयान के मुताबिक- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी मेधा पाटकर पर दर्ज झूठी एफ आई आर को वापस लेने की मांग करते हुए, इस संघर्ष में भी मेधा पाटकर के साथ एकजुटता व्यक्त करती है।

कांग्रेस महासचिव और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री दिगविजय सिंह ने भी ट्वीट किया और लिखा कि मेधा जी जैसी समाज सेविका के खिलाफ झूठी FIR दर्ज करने की मैं घोर निंदा करता हूँ।

उन्होंने आगे लिखा कि नर्मदा बांध डूब क्षेत्र के लोगों के लिए व निमाड़ के आदिवासियों के बीच में जो उन्होंने निःस्वार्थ भाव से सेवा की है यह अद्वितीय है।

30 से अधिक जनसंगठन भी आए समर्थन में

पाटकर व अन्य पर FIR के विरोध में 30 से अधिक संगठनों ने कहा कि सरकार झूठे आरोप लगाकर भय और आतंक का माहौल पैदा कर रही है।

देशभर के 30 से अधिक जनसंगठनों और संस्‍थाओं ने कड़ी निन्दा करते हुए इस एफआईआर के तत्काल निरस्तीकरण की मांग की है। संगठनों ने एक साझे बयान में कहा कि देशभर में जाने माने बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को झूठे आरोपों में उलझाने की यह अगली कड़ी है, और इसी के कारण एक भय और आतंक का माहौल पैदा किया जा रहा है, जिसमें लोकतंत्र का गला घुट रहा है और सरकार की तानाशाही को बढ़ावा मिल रहा है।

इस 30 संगठनों में जिला किसान संघ, राजनांदगांवछत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्त्ता समिति), आखिल भारतीय आदिवासी महासभा, जन स्वास्थ कर्मचारी यूनियन, भारत जन आन्दोलन,   हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), माटी (कांकेर), अखिल भारतीय किसान सभा (छत्तीसगढ़ राज्य समिति) छत्तीसगढ़ किसान सभा, किसान संघर्ष समिति (कुरूद) दलित आदिवासी मंच (सोनाखान), गाँव गणराज्य अभियान (सरगुजा) आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर) सफाई कामगार यूनियनमेहनतकश आवास अधिकार संघ (रायपुर) जशपुर जिला संघर्ष समिति, राष्ट्रीय आदिवासी विकास परिषद् (छत्तीसगढ़ इकाई, रायपुर) जशपुर विकास समिति, रिछारिया केम्पेन, भूमि बचाओ संघर्ष समिति (धरमजयगढ़) आदि उल्‍लेखनीय हैं।  

जन संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि इस तरह के फर्जी मुकदमे दर्ज कर वह जन आंदोलनों को दबा नहीं सकती। जनता के हकों में लड़ने वाले लोग इस तरह के फर्जी मुकदमों से डरने वाले नहीं हैं और ऐसी कार्रवाइयों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest