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मुसलमान क्यों न डरें?: पहचान के आधार पर ट्रेन में फिर पिटाई!

दिल्ली से मुरादाबाद जा रहे मुसलमान कारोबारी की पद्मावत एक्सप्रेस में पिटाई, जबरन धार्मिक नारे लगवाने की कोशिश का आरोप।
asim hussain
एफआईआर की कॉपी दिखाते हुए पीड़ित आसिम हुसैन

नए साल 2023 को शुरू हुए महज़ 10 दिन ही हुए होंगे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने भारत के मुसलमानों को लेकर एक बयान दिया। उन्होंने कहा है कि भारत में मुस्लिमों को डरने की ज़रूरत नहीं है। पर क्या वाक़ई ऐसा है?

इस बयान पर छिड़ी बहस अभी न्यूज़ चैनल पर थमी भी नहीं थी कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में चलती ट्रेन में एक यात्री की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल होने लगा।

इस वीडियो में कुछ लोग एक शख़्स को बेल्ट से बुरी तरह से पीटते हुए नज़र आ रहे हैं।

कौन है वो शख़्स?

ये उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले कारोबारी आसिम हुसैन का वीडियो था। जिनसे मैंने पूरा मामला जानने के लिए फोन पर बात की। बेहद डरे हुए आसिम हुसैन ने पहले तो बात करने से इनकार कर दिया। लेकिन एक ख़ामोशी के बाद अपने आप ही उन्होंने बोलना शुरू किया।

उनका आरोप है कि-

आसिम हुसैन - 12 तारीख़ को मैं दिल्ली से 7: 50 पर पद्मावत एक्सप्रेस ( जनरल बोगी) पर चढ़ा मुरादाबाद जाने के लिए। मैं किनारे खड़ा था कि तभी हापुड़ से कुछ लोग ट्रेन में चढ़े, अचानक ट्रेन में धक्का मुक्की हुई और पीछे से किसी ने कहा कि ये मुल्ला चोर है, और उन्होंने मुझे मारना चालू कर दिया। तभी उनमें से किसी ने कहा कि इससे जय श्री राम के नारे लगवाओ, मैंने उनसे मना किया तो उन्होंने मेरे कपड़े खींच कर फाड़ दिए और मुझे बहुत मारा, बहुत। मेरी जैकेट में 2200 रुपये थे वो भी छीन लिए।

आसिम हुसैन बात करने की हालत में बिल्कुल नहीं लग रहे थे। फिर भी कुछ डरे, सहमे से कभी ख़ामोश हो जाते तो कभी हिम्मत करके बात करने की कोशिश करते। इस मारपीट के बाद मैंने उनके घर में क्या माहौल है ये पूछा तो रुंधे गले से उन्होंने बताया कि

आसिम हुसैन: छोटा बच्चा चार साल का है लेकिन बेटी समझदार है (और ये कहते-कहते वो अपने रोने को रोक नहीं पाए) बेटी समझदार है बहुत घबराई हुई है, पत्नी भी बहुत डरी हुई है।

आसिम हुसैन ने और क्या आरोप लगाए?

आसिम हुसैन ने आरोप लगाया कि हापुड़ से जो मारपीट शुरू हुई तो लगातार जारी रही। उनकी दाढ़ी खींची गई। इस दौरान वहां मौजूद किसी भी शख़्स ने उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की। वहां मौजूद लोग या तो वीडियो बना रहे थे या फिर उन्हें पीट रहे थे। पर मुरादाबाद आउटर पर ट्रेन धीमी हुई तो एक यात्री ने आरोपियों की नज़र बचाकर आसिम को नीचे धक्का देकर ट्रेन से उतार दिया। वहां उन्हें कोई जान-पहचान का शख़्स मिल गया जिसने उन्हें कपड़े दिए और फिर वो डरी-सहमी हालत में चुपचाप घर चले गए।

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मामले में अब तक की कार्रवाई

इस मामले में FIR हो चुकी है लेकिन अपर्णा गुप्ता ( SP, रेल मुरादाबाद) से लगातार मैंने बात करने की कोशिश की तो या तो उन्होंने फोन नहीं उठाया या फिर उनका फोन स्विच ऑफ़ आ रहा था। हालांकि इससे पहले मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ उनका जो बयान आया है उसमें उन्होंने कहा था कि FIR दर्ज हो चुकी है और उचित कार्रवाई की जाएगी। हालांकि इस मामले में वायरल वीडियो के आधार पर दो आरोपियों की पहचान की जा चुकी है और उन पर बरेली जंक्शन की तरफ़ से कार्रवाई होने की ख़बर है। लेकिन फिलहाल वो आज़ाद हैं या फिर हिरासत में ये पता नहीं चल पाया है।

इस पूरे मामले को पुलिस जिस तरह से हैंडल कर रही है उसपर मेरी आसिम हुसैन के वकील रेहान से भी बात हुई। क्योंकि मेरे भी कुछ सवाल थे जिन्हें मैं जानना चाहती थी और इसमें सबसे बड़ा सवाल ये था कि आसिम हुसैन के साथ जब मारपीट हुई और जब उन्हें ट्रेन से नीचे उतारा गया तो वे सीधे पुलिस के पास न जा कर चुपचाप अपने घर क्यों चले गए? वहीं आसिम हुसैन के वकील ने भी उल्टा पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं।

आसिम हुसैन के वकील का क्या कहना है?

FIR दर्ज हो चुकी है लेकिन अब तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है। आसिम के वकील के मुताबिक़ पुलिस इस पूरे मामले को घुमाने की कोशिश कर रही है ताक़ि आसिम पीछे हट जाएं। इसके साथ ही वो बताते हैं कि पुलिस के काम करने के इसी ढंग की वजह से आसिम हुसैन सीधा पुलिस के पास नहीं गए थे और वो जानते थे कि अगर वो इस मामले में एक केस करेंगे उल्टा उन्हें चार केस में उलझाने की कोशिश की जाएगी।

आसिम हुसैन क्यों सीधा पुलिस के पास नहीं गए इसके जवाब में आगे उनके वकील रेहान ने कहा- आरोपियों की एक भी सुन ली जाएगी और उनकी दस भी नहीं मानी जाएगी।

वकील रेहान के मुताबिक़ पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करने की बजाए उल्टा आसिम हुसैन से ही लंबी पूछताछ कर रही है। डर के माहौल में पूरा परिवार ख़ामोश रहना ही मुनासिब समझ रहा है। लेकिन वीडियो के वायरल होने पर सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है।

आसिम की पीठ पर ज़ख़्मों के निशान हैं।और उनके वकील के मुताबिक़ आसिम को तो आरोपी मुरादाबाद से आगे लेकर जाना चाहते थे। वो तो किसी ने चुपके से उन्हें मुरादाबाद से गाड़ी चलते ही नीचे उतार दिया तो जान बच गई।

यहां कुछ सवाल उठते हैं

अगर ये मान भी लिया जाए कि आसिम हुसैन ने ट्रेन में कुछ किया था तो उन्हें पुलिस के हवाले क्यों नहीं किया गया?

क्या किसी भी राह चलते शख़्स के पास ये अधिकार है कि वो बेल्ट से पीट कर ऑन द स्पॉट जस्टिस करने लगे?

या फिर आसिम हुसैन की दाढ़ी की वजह से उन्हें गुनहगार साबित करने उन्हें टारगेट करने में सहूलियत हुई?

आपको बता दें कि ट्रेन में इस तरह पहचान के आधार पर मारपीट का यह पहला मामला नहीं है। याद रहे कि 2017 के जून महीने में ईद के मौके पर दिल्ली से खरीदारी कर ट्रेन से बल्लभगढ़ लौट रहे 16 साल के जुनैद खान नाम के नौजवान की इसी तरह पीटकर और चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी।

हमारे देश में सरकार और सत्तारूढ़ दल का पितृ संगठन RSS कहता है कि मुसलमानों को डरने की ज़रूरत नहीं लेकिन मुसलमान ख़ुद के साथ हो रही ज़्यादती के बावजूद ख़ामोशी ही चुन रहा है।

देश में मॉब लिंचिंग के मामले

कभी पहलू तो कभी अख़लाक मॉब लिंचिंग का शिकार हो रहे मुसलमानों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन आंकड़ों की कलाबाज़ी तो और दिल दुखा देने वाली है। विशेष पहचान के आधार पर भीड़ द्वारा मारपीट के आंकड़े तो छोड़िए भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या जिसे मॉब लिंचिंग कहा जाता है उनके सही आंकड़े तक नहीं मिलते।

हमारे देश में 2021-22 में मॉब लिंचिंग के कितने मामले सामने आए हैं तलाशने निकलिए तो नहीं मिलेंगे। National Crime Records Bureau ( NCRB ) के आंकड़ों में माथापच्ची कर लीजिए तो भी तस्वीर साफ़ नहीं होने वाली। 7 दिसंबर 2022 को राज्यसभा में मॉब लिंचिंग के एक सवाल पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि NCRB मॉब लिंचिंग का अलग से कोई डाटा नहीं रखती।( ''No separate data for mob lynching is maintained by NCRB'')

हालांकि उन्होंने 2017 से 2021 के बीच सांप्रदायिक और धार्मिक दंगों में मारे गए लोगों का आंकड़ा ज़रूर पेश किया।

 

बेशक सरकार के लिए ये एक मुश्किल काम होगा। क्योंकि बीते कुछ सालों में जिस तरह से मुसलमान हिंसा और भेदभाव का शिकार हो रहे हैं उसका हिसाब-किताब रखना सरकार की इमेज को सूट नहीं करता।

बहरहाल आसिम हुसैन की क़िस्मत अच्छी थी वो अपने बच्चों के पास लौट गए। हो सकता है कुछ वक़्त बाद उनके ज़ख़्म भी भर जाएं लेकिन उनके ज़ेहन पर जो चोट लगी है वो तो ता-उम्र नहीं भरने वाली ये तय है।

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