2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े
हिजाब, बुलडोज़र की राजनीति के बाद एक बार फिर देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने के लिए लाउडस्पीकर का हथकंडा अपनाया जा रहा है। जिन राज्यों में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उन्हें खासतौर पर सांप्रदयिक ज़हर का शिकार बनाया जा रहा है।
राजस्थान में जहां अगले साल चुनाव होने हैं, वहाँ खासतौर पर हिंदुवादी संगठन सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए दिन-रात नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। पहले राजस्थान के करौली में, हिंदुत्ववादी संगठनों ने नवसंवत्सर के मौके पर मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में बाइक रैली निकाली कर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की। इस रैली के दौरान हुड़दंगियों ने मुस्लिम समाज के खिलाफ उत्तेजक नारे लगाए, जिससे दोनों समुदाय आमने-सामने खड़े हो गए। यह बात इतनी बिगड़ गई कि इसके चलते हुई आगज़नी और पत्थरबाजी में कई लोग घायल हो गए और करोड़ों की संपत्ति को नुकसान भी पहुंचा।
इसके बाद, अजमेर को निशाना बनाया गया, जहां ब्यावर में उत्तेजक नारों के जरिए सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की गई। वहाँ भी इसके चलते हुई हिंसा में कई लोग घायल हुए और एक व्यक्ति की मौत हो गयी।
राजस्थान में सबसे ताज़ा सांप्रदायिकता की मार जोधपुर में देखने को मिली जहां सोमवार आधी रात के बाद इस्लामी ध्वज को लेकर हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़े लोगों ने इलाके में ऐसा तनाव पैदा किया कि जिले के कई इलाके हिंसा की चपेट में आ गए।
हालात कुछ यूं बिगड़े कि शहर में हालात पर निगाह रखने के लिए आला अधिकारियों के साथ लगभग 1,000 पुलिसकर्मियों को तैनात करना पड़ा। हालात और ना बिगड़ें इसके मद्देनजर मोबाइल इंटरनेट सेवा को पूरे जिले में अस्थाई रूप से फिलहाल बंद कर दिया गया है। इसके अलावा पूरे शहर में मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार, शांति एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने व जनजीवन व्यवस्थित रखने के लिए कर्फ्यू भी लगाया गया है।
ऐसा ही कुछ हाल इन दिनों महाराष्ट्र का नजर आता है जहां राज्य में शांति और कानून व्यवस्था को चोट पहुँचाने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) मुंबई में अजान के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग किये जाने के विरोध में मस्जिदों के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए उतारू है।
मनसे की राज्य की कानून व्यवस्था को चुनौती को देखते हुए शहर की पुलिस ने एहतियाती तौर पर मनसे के कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के खिलाफ दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा 149 (संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए) सहित विभिन्न धाराओं के तहत 1,600 से अधिक नोटिस जारी किए हैं।
पुलिस ने विभिन्न मस्जिदों के मौलवियों और न्यासियों के साथ बैठकें भी की और उन्हें उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों तथा ध्वनि प्रदूषण से संबंधित नियमों का पालन करने के लिए कहा।
हालांकि मनसे के कार्यकर्ताओं ने बुधवार सुबह मुंबई के चारकोप इलाके में एक मस्जिद के पास लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाई।
एक वीडियो में पार्टी का झंडा पकड़े एक मनसे कार्यकर्ता यहां एक ऊंची इमारत से लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाता नजर आया। वीडियो में एक मस्जिद के लाउडस्पीकर से ‘अजान’ की आवाज भी हल्की-हल्की सुनाई दे रही है।
राज ठाकरे ने उनके खिलाफ नोटिस जारी होने के बावजूद मुंगलवार को एक पत्र में लोगों से आग्रह किया था कि वे बुधवार को जहां भी लाउडस्पीकर पर ‘‘अजान सुनें, वहां वे लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजायें।’’ उन्होंने लोगों से अजान की आवाज सुनने पर 100 नंबर डायल कर पुलिस में शिकायत दर्ज कराने को भी कहा था।
इससे संबंधित घटनाक्रम में, पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली जिले की एक अदालत ने 14 साल पुराने एक मामले में राज ठाकरे के खिलाफ एक गैर-जमानती वारंट जारी किया है, जबकि मुंबई पुलिस ने उन्हें संज्ञेय अपराधों की रोकथाम से संबंधित सीआरपीसी की एक धारा के तहत नोटिस जारी किया है।
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए 3 मई की समयसीमा को लेकर मनसे अध्यक्ष को एक स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि राज्य अल्टीमेटम से नहीं चलता और यहां कानून का शासन है। हालांकि, मनसे के कुछ नेताओं ने चेतावनी दी कि मनसे प्रमुख के खिलाफ यदि आगे और कार्रवाई की गई तो वे सड़कों पर उतरेंगे।
एक अधिकारी ने कहा कि मुंबई से करीब 350 किलोमीटर दूर स्थित औरंगाबाद में पुलिस ने मंगलवार को राज ठाकरे के खिलाफ एक मामला दर्ज किया, जिन्होंने 4 मई से मस्जिदों के ऊपर लाउडस्पीकर को ‘‘बंद’’ करने का दो दिन पहले आह्वान किया था।
अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा कि 53 वर्षीय राज ठाकरे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 116, और 117 और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
तो वहीं राष्ट्रीय राजधानी में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए केजरीवल की आप सरकार ने अपने हाथ खड़े करते हुए ऐलान कर दिया है कि वे 'सैद्धांतिक रूप से' इसके लिए सहमत हैं।
दिल्ली में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने की भाजपा की मांग का कालकाजी विधायक आतिशी द्वारा विरोध करने के कुछ घंटों बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि वह इस विचार से ''सैद्धांतिक रूप से'' सहमत है कि लाउडस्पीकर ''हर धार्मिक स्थल और आस्था के केंद्र'' से हटा दिए जाएं।
आप ने भारतीय जनता पार्टी से राष्ट्रीय राजधानी में धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल से संबंधित उसकी मांग पर कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस से संपर्क करने का भी आग्रह किया।
आप ने एक बयान में कहा, ''आम आदमी पार्टी (आप) सैद्धांतिक रूप से हर धार्मिक स्थल और आस्था के केंद्रों से लाउडस्पीकर हटाने की अवधारणा से सहमत है।''
बयान में कहा गया है कि यह मामला दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है जो केंद्र में भाजपा नीत सरकार के अधीन है। इस प्रकार, हम भाजपा से दिल्ली पुलिस से ही इस पर कार्रवाई करवाने का आग्रह करते हैं।
इससे पहले दिन में पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आप नेता आतिशी ने कहा था कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय राजधानी में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के किसी भी कदम का विरोध करेगी। साथ ही, उन्होंने भाजपा पर लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया था।
उन्होंने कहा कि देश भर में विभिन्न धार्मिक अवसरों के दौरान लाउडस्पीकर बजाए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर रामलीला के साथ-साथ हनुमान चालीसा और 'सुंदरकांड' का पाठ किया जाता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी दिल्ली में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के किसी भी कदम का विरोध करेगी, आतिशी ने पत्रकारों से कहा, ''हम निश्चित रूप से इसका विरोध करेंगे।''
आतिशी ने कहा, रामलीला हो या सुंदरकांड का पाठ, लोगों की आस्था उनसे जुड़ी हुई है। मैं पूछना चाहती हूं कि लोगों की धार्मिक आस्था से उनको समस्या क्या है।
धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग को लेकर भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ''अब आप हमें बताएंगे कि हम जागरण का आयोजन नहीं करेंगे, हम सुंदरकांड पाठ का आयोजन नहीं कर सकते, हनुमान चालीसा का पाठ नहीं कर सकते।''
(भाषा इनपुट के साथ)
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