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गुरुग्राम: दो हफ्तों से सफाई कर्मचारियों की हड़ताल जारी, प्रशासन ने बर्ख़ास्तगी और पुलिसिया कार्रवाई की कही बात

गुरुग्राम में फ़िलहाल कानून व्यवस्था बनाए रखने का हवाला देते हुए धारा-144 लागू है। साथ ही इन कर्मचारियों को काम पर लौटने का नोटिस भी जारी किया गया है।
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हरियाणा के गुरुग्राम में इन दिनों जगह-जगह कूड़े के ढेर और बदबूदार कचरा सुर्खियों में है। इसकी प्रमुख वजह सफाई कर्मचारियों की हड़ताल है, जो बीते दो हफ्तों से लगातार जारी है। इन कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों पर कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है न ही कोई पदाधिकारी उनकी समस्याओं को सुनने के लिए समय ही दे पा रहा है। निगम प्रशासन लीपा-पोती कर किसी भी तरह इस हड़ताल को खत्म करवाना चाहता है। इसलिए इन कर्मचारियों को काम पर लौटने का नोटिस जारी करने के साथ ही बर्खास्त करने और पुलिसिया कार्रवाई तक की धमकी दी गई है।

बता दें कि सफाई कर्मचारियों की हड़ताल और प्रदर्शन के मद्देनज़र गुरुग्राम में फिलहाल कानून व्यवस्था बनाए रखने का हवाला देते हुए धारा-144 लागू कर दी गई है। इन कर्मचारियों के मुताबिक इसके पीछे शासन-प्रशासन का मेन एजेंडा बाहर से लाए गए दूसरे सफाई कर्मचारियों को व्यवस्था में फिट कर बाकियों को बाहर करना है। लेकिन ये कर्मचारी भी इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में दिखाई दे रहे हैं और इनका कहना है कि सरकार और निगम कितनी भी पाबंदियां क्यों न लगा ले, ये एकजुट होकर अपने हक़ की आवाज़ 'सरकार के बहरे कानों' तक जरूर पहुंचाएंगे।

बता दें कि हरियाणा में मिड-डे मील वर्कर्स से लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और नगरपालिका कर्मचारियों सहित कई श्रमिक संगठन अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी का आरोप है कि राज्य सरकार वादे तो बड़े-बड़े करती है लेकिन जब बात कर्मचारियों के हितों की आती है तो चुप्पी साध लेती है। हरियाणा के सभी कर्मचारियों ने राज्य सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ 28 मई को जींद में चेतावनी रैली का आयोजन भी किया था। जिसमें कई हज़ार कर्मचारियों का जमावड़ा देखने को मिला था।

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क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक नगर पालिका कर्मचारी संघ के बैनर तले निगम सफाई कर्मियों का ये आंदोलन बीते लंबे समय से जारी है। इस हड़ताल में नियमित और ठेका दोनों सफाई कर्मचारी शामिल हैं। इनकी प्रमुख मांगों में समय से सभी को वेतन मिलना, ठेकेदारी प्रथा को खत्म करना, आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से सफाई कर्मचारियों की भर्ती और पीने के पानी, शौचालय सहित अन्य सुविधाएं शामिल हैं, जिस पर राज्य सरकार पहले सहमति भी जता चुकी है। बावजूद इसके अपनी मांगें पूरी न होने पर ये लोग अभी तक संघर्षरत हैं।

संगठन के पदाधिकारी बसंत कुमार न्यूज़क्लिक से कहते हैं कि शासन-प्रशासन नई भर्तियों के माध्यम से पुराने कर्मचारियों की छुट्टी करने की साजिश रच रहा है। और इसी के तहत करीब 200 सफाई कर्मियों को प्रशासन की ओर से नोटिस जारी हुआ है। इससे एक तरह से कर्मचारियों पर हड़ताल खत्म कर काम पर वापस लौटने का दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन इस बार सफाई कर्मी भी पीछे नहीं हटेंगे अब वो शहर भर में उल्टी झाड़ू के साथ सड़कों पर उतरेंगे और लोगों के बीच अपनी समस्याएं रखेंगे।

सरकार पर अनदेखी का आरोप

बसंत कुमार के मुताबिक फिलहाल जो गुरुग्राम में प्रदर्शन चल रहा है, वो इन कर्मचारियों के लगातार चलने वाले संघर्ष की ही एक कड़ी है। इसी साल फरवरी की शुरुआत में इन कर्मचारियों ने अपनी स्थानीय स्तर की मांगों को लेकर दो दिन की सांकेतिक हड़ताल की थी। जिस दौरान कमिश्नर की अध्यक्षता में मीटिंग भी हुई थी, और इसमें आश्वासन मिला था कि 15 दिन के भीतर जो भी मांगें लोकल स्तर पर हैं वो पूरी कर दी जाएंगी और जो सरकार के स्तर की होंगी उसका प्रस्ताव बनाकर आगे शासन-प्रशासन को भेज दिया जाएगा। बावजूद इसके जब कोई पहल नहीं हुई तो इन कर्मचारियों ने 24 फरवरी को फिर से सेक्टर 34 निगम मुख्यालय पर धरने की शुरुआत की और आज, 5 जून को इस धरने को चलते हुए लगातार 102 दिन हो गए हैं।

धरने पर बैठे कर्मचारियों का कहना है बीते तीन महीने से ये लोग सड़कोंं पर हैं और लगातार अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं। अब तक इन लोगों ने जनता के बीच जाकर भी अपील की, शहर में झाडू प्रदर्शन भी किया, विधायकों की कोठी पर भी गए लेकिन हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके चलते मजबूरी में इन्हें पिछले महीने 21 तारीख को निगम को दोबारा हड़ताल का अल्टीमेटम देना पड़ा। पहले एक दिन की हड़ताल का आयोजन हुआ फिर सरकार की बेरुखी के चलते इसे आगे बढ़ाना पड़ा।

कर्मचारियों की दिक़्क़तें और संघर्ष

इन कर्मचारियों की मानें तो, गुरुग्राम में लगभग 25 लाख आबादी है, क्षेत्रफल बड़ा है लेकिन यहां केवल 3100 सफाई कर्मचारी नियमित हैं, वहीं 3487 लोग ठेके पर हैं और खाली पद एक भी नहीं है। यानी इतने बड़े इलाके के लिए ये संख्या बहुत कम है, इसलिए यहां नई भर्तियां होनी चाहिए लेकिन निगम प्रशासन इस ओर भी कोई कदम नहीं उठा रहा। उल्टा ठेके कर्मचारियों को वर्कआउट फोर्स में तब्दील कर रहा है, जिससे भविष्य में उनके नियमित होने की संभावना ही खत्म हो जाती है। इसके साथ ही बीते कई महीनों से इन लोगों को समय पर तनख्वाह नहीं मिली। इनका यह भी आरोप है कि ठेकेदार द्वारा उनका मानसिक और आर्थिक रूप से शोषण किया जाता है।

गौरतलब है कि हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने अपने कार्यकाल में इन कर्मचारियों से कई वायदे तो कर लिए हैं लेकिन अब उन्हें अमल में न लाने के चलते बीते लंबे समय से प्रदेश में कर्मचारी संगठनों का विरोध झेल रही है। ऐसे में अगले साल होने वाले चुनाव मौजूदा सीएम खट्टर के लिए आसान साबित होते दिखाई नहीं दे रहे। कर्मचारियों का साफतौर पर कहना है कि शासन-प्रशासन केवल खोखले वादे कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश और गरीब मजदूरों की हितैषी होने का दिखावा करता है लेकिन वास्तव में उसे किसी की कोई चिंता नहीं है।

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